UP बोर्ड जीव विज्ञान - अध्याय 3: मानव जनन के Handwritten नोट्स
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UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 3: मानव जनन के Handwritten नोट्स

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मानव जनन: मानवों में संतान उत्पत्ति की वह प्रक्रिया जिसमें नर और मादा के जनन अंगों का योगदान होता है। इसमें दोनों माता-पिता के गुणों का मिश्रण होता है, जिससे नए जीवन का निर्माण होता है।

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मुख्य बिंदु

  1. मानव जनन के अंग

    • नर जनन अंग:
      • अंडकोष (Testes): शुक्राणुओं का निर्माण।
      • अंडकोष नलिका (Seminal Vesicle): शुक्राणुओं को पोषक तत्व प्रदान करता है।
      • लिंग (Penis): शुक्राणुओं को मादा जनन अंग में स्थानांतरित करने का कार्य।
    • मादा जनन अंग:
      • अंडाशय (Ovary): अंडाणुओं का निर्माण।
      • अंडकोष नलिका (Fallopian Tubes): अंडाणु को अंडाशय से गर्भाशय तक लाने का कार्य।
      • गर्भाशय (Uterus): भ्रूण का विकास स्थान।
      • योनि (Vagina): निषेचन के बाद भ्रूण के बाहर जाने का मार्ग।
  2. मानव जनन की प्रक्रिया

    • गैमेट निर्माण:
      • नर में शुक्राणु और मादा में अंडाणु का निर्माण होता है।
    • निषेचन (Fertilization):
      • शुक्राणु और अंडाणु का मिलन होता है।
      • यह प्रक्रिया सामान्यत: मादा जनन अंग (फैलोपियन नलिका) में होती है।
    • गर्भावस्था (Pregnancy):
      • निषेचन के बाद अंडाणु गर्भाशय में स्थापित होता है।
      • भ्रूण का विकास गर्भाशय में 9 महीने तक होता है।
    • प्रसव (Childbirth):
      • गर्भाशय में भ्रूण के पूर्ण विकास के बाद प्रसव की प्रक्रिया होती है।
      • यह प्रक्रिया गर्भाशय के सिकुड़ने और योनि से बच्चे के बाहर आने के रूप में होती है।
  3. मानव जनन में हार्मोनल नियंत्रण

    • नर में:
      • टेस्टोस्टेरोन हार्मोन शुक्राणु निर्माण और यौन विशेषताओं के लिए जिम्मेदार होता है।
    • मादा में:
      • एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन अंडाणु उत्पादन और गर्भावस्था की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
  4. मानव जनन का महत्व

    • यह प्रजनन की प्रक्रिया है, जो मानव प्रजाति की निरंतरता सुनिश्चित करती है।
    • यह आनुवंशिक गुणों का मिश्रण करके संतान में विविधता लाता है।
    • जीवन की विकासात्मक प्रक्रिया का हिस्सा है और समाज में सामाजिक तथा जैविक स्थिरता बनाए रखता है।

निष्कर्ष

मानव जनन एक जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो जनन अंगों के माध्यम से संतान का निर्माण करती है। यह प्रक्रिया न केवल जीवन के निरंतरता का कारण बनती है, बल्कि आनुवंशिक गुणों के मिश्रण से विविधता भी लाती है। यह मानव समाज की स्थिरता और प्रजनन के लिए आवश्यक है।

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