UP बोर्ड जीव विज्ञान - अध्याय 5: वंशागति और विविधता के सिद्धांत के Handwritten नोट्स
Launch Your Course Log in Sign up
Menu
Classes
Competitive Exam
Class Notes
Graduate Courses
Job Preparation
IIT-JEE/NEET
vidyakul X
Menu

UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 5: वंशागति और विविधता के सिद्धांत के Handwritten नोट्स

UPMSP > Handwritten Notes > जीव विज्ञान - अध्याय 5: वंशागति और विविधता के सिद्धांत Handwritten Notes

वंशागति: वंशागति वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से एक पीढ़ी के गुण, लक्षण और विशेषताएँ अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं। यह आनुवंशिकता के माध्यम से होता है, जिसमें डीएनए (DNA) के गुणसूत्र (chromosomes) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विविधता: विविधता का तात्पर्य जैविक रूप से प्रजातियों में अंतर या भिन्नता से है। यह विभिन्न गुणसूत्रों, जेनेटिक और शारीरिक लक्षणों में भिन्नता को दर्शाता है, जो प्रजातियों के अस्तित्व और अनुकूलन में सहायक होते हैं।

Download this PDF

मुख्य बिंदु

  1. वंशागति के सिद्धांत

    • ग्रेगर मेंडल का सिद्धांत:
      • पहला सिद्धांत (Law of Segregation): प्रत्येक गुण (gene) के लिए दो संस्करण होते हैं (एक प्रत्येक माता-पिता से)। जब जनन कोशिकाएँ बनती हैं, तो ये गुण अलग-अलग होते हैं और प्रत्येक जनन कोशिका में केवल एक गुण का संस्करण होता है।
      • दूसरा सिद्धांत (Law of Independent Assortment): अलग-अलग गुण स्वतंत्र रूप से एक दूसरे से वितरित होते हैं, यानी एक गुण का चुनाव दूसरे गुण पर प्रभाव नहीं डालता।
      • तीसरा सिद्धांत (Law of Dominance): कुछ गुण (dominant traits) दूसरों (recessive traits) पर हावी होते हैं, अर्थात यदि दोनों गुण होते हैं, तो प्रकट गुण वही होगा जो प्रमुख (dominant) होता है।
  2. वंशागति के प्रकार

    • मोनोहाइब्रिड क्रॉस (Monohybrid Cross): इसमें केवल एक गुण का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के लिए, रंग का अंतर (सफेद और लाल)।
    • डिहाइब्रिड क्रॉस (Dihybrid Cross): इसमें दो गुणों का अध्ययन किया जाता है, जैसे कि रंग और आकार।
  3. विविधता के प्रकार

    • जैविक विविधता: यह विभिन्न जीवों के बीच भिन्नता को दर्शाता है। उदाहरण स्वरूप, पशुओं, पौधों और सूक्ष्मजीवों में भिन्नता।
    • आनुवंशिक विविधता: यह एक ही प्रजाति के भीतर विभिन्न गुणसूत्रों और जीन में भिन्नता को दर्शाता है।
    • इकोलॉजिकल विविधता: यह विभिन्न पारिस्थितिकीय परिस्थितियों में रहने वाले जीवों के भिन्नता को दर्शाता है, जैसे कि वर्षा वन, रेगिस्तान, समुद्र तट आदि।
  4. विविधता का महत्व

    • जैविक विविधता जीवन की स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
    • यह पर्यावरणीय परिवर्तन के प्रति अनुकूलन में सहायक है।
    • विविधता नए और अधिक प्रभावी आनुवंशिक गुणों के लिए अवसर प्रदान करती है, जिससे प्रजातियाँ अधिक सुरक्षित और सक्षम बनती हैं।
  5. विविधता में परिवर्तन

    • प्राकृतिक चयन (Natural Selection): यह वह प्रक्रिया है जिसमें प्रकृति के दबाव के कारण कुछ लक्षण अधिक सफल होते हैं और वे अगली पीढ़ी में अधिक पाए जाते हैं।
    • अनुकूली परिवर्तन (Adaptive Variation): समय के साथ जीवों में कुछ परिवर्तन होते हैं, जो उन्हें अपने पर्यावरण में बेहतर तरीके से अनुकूलित करने में मदद करते हैं।

निष्कर्ष

वंशागति और विविधता जीवन के विकास और प्रजातियों के अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वंशागति के माध्यम से गुण अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं, जबकि विविधता नए गुणों के प्रसार और अनुकूलन में मदद करती है। प्राकृतिक चयन और आनुवंशिक विविधता जीवन के अनुकूलन और स्थायित्व को सुनिश्चित करती है। 

जीव विज्ञान के सभी अध्याय के हस्तलिखित नोट्स के लिए अभी Download करें Vidyakul App - Free Download Click Here