UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 6: वंशागति का आणविक आधार के Handwritten नोट्स
वंशागति का आणविक आधार: वंशागति वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से आनुवंशिक जानकारी (DNA के रूप में) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। यह प्रक्रिया कोशिकाओं के भीतर के आणविक संरचनाओं, जैसे DNA और जीन, के माध्यम से संचालित होती है।
मुख्य बिंदु
DNA (Deoxyribonucleic Acid)
- DNA वह आणविक संरचना है जो आनुवंशिक जानकारी का भंडारण करती है। यह एक दीर्घ श्रृंखला है, जिसमें न्यूक्लियोटाइड्स (A, T, C, G) होते हैं।
- DNA का कार्य कोशिकाओं को यह निर्देश देना है कि कौन से प्रोटीन का निर्माण करना है, और ये प्रोटीन कोशिका की संरचना और कार्यों में शामिल होते हैं।
जीन (Gene)
- जीन DNA का एक खंड होता है, जिसमें विशेष आनुवंशिक जानकारी होती है। यह एक प्रोटीन के निर्माण के लिए निर्देश देता है।
- जीन में मौजूद जानकारी कोशिका को प्रोटीन निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन करती है, जो जीव के लक्षणों का निर्धारण करती है।
- प्रत्येक जीन में दो प्रकार के संस्करण होते हैं: एक पितृसंगत (पारंपरिक) और एक मातृसंगत।
क्रोमोसोम (Chromosomes)
- क्रोमोसोम वे संरचनाएँ हैं जो DNA से बनी होती हैं और कोशिका के नाभिक (nucleus) में स्थित होती हैं।
- मानव शरीर में 23 जोड़े क्रोमोसोम होते हैं, जिनमें 22 जोड़े ऑटोसोम (autosoms) और एक जोड़ा युग्मज (sex chromosomes) होते हैं।
- क्रोमोसोम में जीन संकेंद्रित होते हैं और ये जीन वंशागति के माध्यम से अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं।
DNA की गुणसूत्र विभाजन में भूमिका
- माइटोसिस (Mitosis): यह एक प्रकार का कोशिका विभाजन है, जिसमें एक कोशिका दो समान कोशिकाओं में विभाजित होती है। इसमें जीन और क्रोमोसोम की सही वितरणता सुनिश्चित होती है।
- मीयोसिस (Meiosis): यह विशेष रूप से जनन कोशिकाओं (गैमेट्स) के निर्माण में होता है। इसमें जीन की विविधता के लिए क्रोमोसोम का पुनः संयोजन और विभाजन होता है।
वंशागति में उत्परिवर्तन (Mutation)
- उत्परिवर्तन DNA में किसी प्रकार का स्थायी परिवर्तन है, जो वंशागति की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे रासायनिक, भौतिक या जैविक कारण।
- उत्परिवर्तन नई आनुवंशिक विविधता उत्पन्न कर सकते हैं, जो प्राकृतिक चयन और विकास में सहायक हो सकते हैं।
सिद्धांत: जीन और गुणसूत्र
- ग्रेगर मेंडल के सिद्धांतों के अनुसार जीन वंशागति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं और अगली पीढ़ी में सही तरीके से वितरण होते हैं।
- जीन का प्रमुख सिद्धांत है कि वे स्वतंत्र रूप से एक-दूसरे से वितरण होते हैं (Law of Independent Assortment)।
निष्कर्ष
वंशागति का आणविक आधार DNA, जीन, और क्रोमोसोम के माध्यम से समझा जा सकता है। DNA में संचित आनुवंशिक जानकारी से प्रोटीन का निर्माण होता है, जो जीव के लक्षणों का निर्धारण करते हैं। जीन और क्रोमोसोम की संरचना और कार्य वंशागति के अनुशासन को सुनिश्चित करती है, जिससे जीवन की विविधता और स्थिरता बनी रहती है। उत्परिवर्तन की प्रक्रिया जैविक विकास में सहायक होती है, और इसके माध्यम से जीवन में विविधता उत्पन्न होती है।
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