UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 7: विकास के Handwritten नोट्स
विकास: विकास वह जैविक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक जीव का आकार, संरचना और कार्य में परिवर्तन होता है, जिससे वह जीवन के विभिन्न चरणों में परिपक्वता और संतुलन प्राप्त करता है। विकास को जन्म से लेकर मृत्यु तक की प्रक्रिया माना जा सकता है, जिसमें विकासात्मक परिवर्तन जैविक, शारीरिक, और कार्यात्मक रूप से होते हैं।
मुख्य बिंदु
विकास की परिभाषाएँ
- जैविक विकास: यह जीवन के सभी चरणों में जैविक परिवर्तनों की प्रक्रिया को संदर्भित करता है, जैसे भ्रूण का निर्माण, शारीरिक वृद्धि, यौवन, और प्रजनन क्षमता का विकास।
- व्यक्तिगत विकास: यह जीव के जीवन के प्रत्येक चरण में शारीरिक और मानसिक परिवर्तन को संदर्भित करता है, जैसे बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक की शारीरिक और मानसिक अवस्था।
- विकासात्मक जैविकी: यह जीवविज्ञान की वह शाखा है जो विकास के दौरान जीवों के शारीरिक संरचनाओं में हो रहे परिवर्तनों का अध्ययन करती है।
विकास के सिद्धांत
- डार्विन का विकासवाद (Theory of Evolution):
- चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत है कि जीवों की विविधता प्राकृतिक चयन (natural selection) और अनुकूली विकास (adaptive evolution) के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है।
- जीवों में उत्परिवर्तन के कारण जो गुण लाभकारी होते हैं, वे अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं।
- वंशागति का सिद्धांत:
- यह सिद्धांत बताता है कि विकास में जीवों के गुणसूत्रों में होने वाले परिवर्तनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- वंशागति और उत्परिवर्तन मिलकर विकास की प्रक्रिया को संचालित करते हैं, जिससे नई प्रजातियाँ उत्पन्न होती हैं।
- डार्विन का विकासवाद (Theory of Evolution):
विकास के चरण
- भ्रूण विकास (Embryonic Development): यह विकास का प्रारंभिक चरण है, जिसमें अंडाणु और शुक्राणु के मिलन से भ्रूण का निर्माण होता है। भ्रूण में विभिन्न अंगों का विकास और विभेदन होता है।
- यौवन (Puberty): यह वह चरण है जब जीवों में यौन विकास और शारीरिक परिवर्तन होते हैं।
- परिपक्वता (Maturity): यह वह अवस्था है जब जीव शारीरिक, मानसिक और यौन दृष्टि से पूर्ण विकसित होता है और प्रजनन की क्षमता प्राप्त करता है।
- वृद्धावस्था (Senescence): यह वह अवस्था है जब जीव के शरीर में कार्यात्मक बदलाव होते हैं, जिससे शरीर की कार्यक्षमता में कमी आती है।
विकास में आनुवंशिकी का योगदान
- विकास के दौरान आनुवंशिक जानकारी (DNA) का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जीन में उत्परिवर्तन और विविधता विकास को प्रभावित करती है।
- आनुवंशिक विविधता: उत्परिवर्तन के माध्यम से जीन में बदलाव आते हैं, जो नई प्रजातियों की उत्पत्ति में सहायक होते हैं।
- प्राकृतिक चयन (Natural Selection): यह प्रक्रिया विकास के दौरान लाभकारी लक्षणों को चुनती है, जो जीवों को उनके पर्यावरण में अधिक प्रभावी बनाते हैं।
विकासात्मक परिवर्तन और पर्यावरण
- विकास के दौरान पर्यावरण का प्रभाव जीवों के विकास पर बहुत महत्वपूर्ण होता है। पर्यावरण में बदलाव और प्राकृतिक दबाव विकास की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
- आधुनिक विकास (Modern Evolution): यह सिद्धांत बताता है कि पर्यावरणीय दबाव और आनुवंशिक विविधता मिलकर विकास को नियंत्रित करते हैं।
निष्कर्ष
विकास एक जटिल और निरंतर चलने वाली जैविक प्रक्रिया है, जिसमें जीवों के आकार, संरचना, और कार्य में परिवर्तन होता है। यह प्रक्रिया उत्परिवर्तन, वंशागति, और प्राकृतिक चयन के माध्यम से संचालित होती है, और इसके परिणामस्वरूप प्रजातियाँ समय के साथ बदलती हैं और नई प्रजातियों का जन्म होता है। विकास के विभिन्न चरणों और कारकों का अध्ययन जैविक विविधता को समझने में सहायक है और जीवन के विकासात्मक इतिहास को स्पष्ट करता है।
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