UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 9: खाध्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति के Handwritten नोट्स
खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति: यह विभिन्न जैविक, तकनीकी, और प्रबंधन प्रक्रियाओं का संयोजन है, जो फसलों, पशुपालन, मत्स्य पालन और अन्य कृषि उत्पादों की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अपनाई जाती हैं। इस कार्यनीति का उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करना और कृषि को अधिक टिकाऊ बनाना है।
मुख्य बिंदु
हरित क्रांति (Green Revolution)
- हरित क्रांति कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों और उच्च उपज देने वाली फसल किस्मों (HYV) के उपयोग से जुड़ी है।
- इसमें रासायनिक उर्वरकों, सिंचाई प्रबंधन, कीटनाशकों और कृषि यंत्रीकरण का उपयोग किया जाता है।
श्वेत क्रांति (White Revolution)
- श्वेत क्रांति भारत में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की एक प्रमुख पहल थी।
- ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) कार्यक्रम के तहत दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया गया, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बना।
- इसने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और पोषण को बढ़ावा दिया।
नीली क्रांति (Blue Revolution)
- नीली क्रांति मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने से संबंधित है।
- इसमें समुद्री और अंतर्देशीय (inland) मछली पालन को बढ़ावा दिया गया।
पीली क्रांति (Yellow Revolution)
- पीली क्रांति तिलहन (oilseeds) उत्पादन में वृद्धि से जुड़ी है।
- तिलहन फसलों, जैसे सरसों, मूंगफली और सोयाबीन, की पैदावार बढ़ाने के लिए तकनीकी सुधार किए गए।
- इसका उद्देश्य खाद्य तेल की आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था।
जैव प्रौद्योगिकी और जैविक खेती (Biotechnology and Organic Farming)
- जैव प्रौद्योगिकी: आनुवंशिक रूप से परिवर्तित फसलें (GM crops) जैसे Bt कपास और गोल्डन राइस उत्पादन बढ़ाने में सहायक हैं।
- जैविक खेती: यह प्राकृतिक विधियों, जैसे जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों, का उपयोग करती है। यह पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ खेती का एक तरीका है।
फसल प्रबंधन (Crop Management)
- उन्नत सिंचाई तकनीकें, जैसे ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई, जल संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करती हैं।
- मिश्रित खेती (Mixed Cropping) और फसल चक्र (Crop Rotation) मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में सहायक हैं।
पशुपालन और कुक्कुट पालन (Animal Husbandry and Poultry Farming)
- उच्च नस्लों के पशुओं का उपयोग और उनके पोषण के लिए संतुलित आहार से दूध और मांस उत्पादन में वृद्धि होती है।
- कुक्कुट पालन (Poultry Farming) से अंडे और मांस की आपूर्ति बढ़ती है, जो प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत है।
मत्स्य पालन (Fisheries)
- मत्स्य पालन के लिए जलीय पारिस्थितिक तंत्र का सही प्रबंधन आवश्यक है।
- कृत्रिम तालाब और आधुनिक उपकरणों का उपयोग मछली उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होता है।
सामाजिक और आर्थिक पहल
- किसानों को ऋण और सब्सिडी प्रदान करना।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना।
खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि
- खाद्य सुरक्षा: सुनिश्चित करना कि सभी नागरिकों को उचित मात्रा में पौष्टिक खाद्य पदार्थ प्राप्त हों।
- सतत कृषि: प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए भविष्य के लिए कृषि उत्पादकता को बनाए रखना।
निष्कर्ष
खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीतियाँ बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हरित क्रांति, जैव प्रौद्योगिकी, फसल प्रबंधन, पशुपालन, और मत्स्य पालन जैसी आधुनिक तकनीकों और योजनाओं ने खाद्य उत्पादन को बढ़ाने में मदद की है। सतत और पर्यावरण-अनुकूल कृषि विधियाँ अपनाकर हम न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
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