UP बोर्ड रसायन विज्ञान - अध्याय 6: तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम के Handwritten नोट्स
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UP बोर्ड कक्षा 12 वी रसायन विज्ञान - अध्याय 6: तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम के Handwritten नोट्स

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तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम रसायन विज्ञान की एक शाखा है, जो खनिजों से तत्वों (जैसे धातु, गैर-धातु) के निष्कर्षण और शुद्धीकरण के तरीकों और प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है। इस प्रक्रिया में खनिजों से उपयोगी तत्वों को पृथक करने के लिए विभिन्न रासायनिक और भौतिक विधियों का उपयोग किया जाता है। यह सिद्धांत उद्योगों में धातु निष्कर्षण, रीसाइक्लिंग, और अन्य तकनीकी अनुप्रयोगों में उपयोगी है।

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मुख्य बिंदु (Key Points):

  1. खनिज और अयस्क (Ore and Minerals):

    • खनिज: प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ठोस रासायनिक पदार्थ, जिनमें एक या एक से अधिक तत्व होते हैं। उदाहरण के तौर पर, बोक्साइट (Al₂O₃) का उपयोग एल्यूमिनियम के निष्कर्षण में किया जाता है।
    • अयस्क: वह खनिज जो किसी विशिष्ट तत्व के निष्कर्षण के लिए आर्थिक रूप से उपयुक्त हो। जैसे लौह अयस्क (Fe₂O₃), जो लोहा निष्कर्षित करने के लिए प्रयोग में आता है।
  2. निष्कर्षण के सामान्य सिद्धांत:

    • निष्कर्षण प्रक्रिया में पहले खनिजों से धातु या तत्व को पृथक किया जाता है। फिर उसे शुद्ध करने के लिए विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाएं लागू की जाती हैं।
    • यह प्रक्रिया तत्वों के रासायनिक गुणों, उनकी स्थितियों, और अन्य भौतिक गुणों पर निर्भर करती है, जैसे उनकी अभिक्रिया क्षमता, स्थिरता और उनके साथ जुड़े यौगिक।
  3. धातु निष्कर्षण के प्रक्रम:

    • सिलिकेट खनिजों से धातु निष्कर्षण: इस प्रक्रिया में धातु का अयस्क पहले खनिज से पृथक किया जाता है, फिर ताप और रासायनिक अभिक्रियाओं के द्वारा धातु निष्कर्षित की जाती है।
    • कार्बोथर्मल प्रक्रम: इस प्रक्रिया में कार्बन (कोक) का उपयोग करके उच्च तापमान पर धातु के ऑक्साइड को कार्बन के साथ अभिक्रिया कर धातु निष्कर्षित की जाती है। उदाहरण: लोहे का निष्कर्षण (Fe₂O₃ + 3C → 2Fe + 3CO₂)।
    • हाइड्रोमेटालर्जिकल प्रक्रम: इस प्रक्रिया में पानी और रसायनों का उपयोग करके धातु निष्कर्षण किया जाता है। उदाहरण के लिए, सोने के निष्कर्षण में साइनाइड का उपयोग किया जाता है।
  4. आयनिक और गैसीय निष्कर्षण विधियाँ:

    • आयनिक निष्कर्षण: इसमें धातु के अयस्क से धातु को उनके आयन रूप में निकालने के लिए विद्युत धारा का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, बोक्साइट से एल्यूमिनियम का निष्कर्षण करने के लिए हॉल-हेरोल्ट विधि का उपयोग किया जाता है।
    • गैसीय निष्कर्षण: इस विधि में गैसों का उपयोग करके धातु के यौगिकों से धातु को मुक्त किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, ZnO से जिंक का निष्कर्षण गैसीय प्रक्रिया के द्वारा किया जाता है।
  5. साधारण रासायनिक प्रक्रियाएँ:

    • अवसादन (Precipitation): इस प्रक्रिया में एक रासायनिक अभिक्रिया द्वारा किसी तत्व के अव्यक्त रूप (जैसे अवसाद) को उत्पन्न किया जाता है, जिससे तत्व का निष्कर्षण संभव होता है।
    • समूह गुणसूत्र प्रक्रियाएँ (Electrolysis): इसमें धातु के यौगिकों से इलेक्ट्रोलाइटिक विधि द्वारा धातु निष्कर्षित की जाती है। उदाहरण के लिए, सोडियम क्लोराइड से सोडियम प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
  6. गैस और लौह निष्कर्षण:

    • लौह निष्कर्षण: यह प्रक्रिया ब्लास्ट फर्नेस में की जाती है, जिसमें लौह अयस्क (हैमेटाइट) को कोक और चूना पत्थर के साथ पिघलाकर लौह निष्कर्षित किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत उच्च तापमान पर होती है।
    • गैसों का प्रयोग: विभिन्न गैसों का उपयोग धातु के निष्कर्षण में किया जाता है। जैसे, सोने और चांदी के निष्कर्षण में सीएन⁻ (साइनाइड) का उपयोग किया जाता है।
  7. अवयवी तत्वों का निष्कर्षण:

    • गैर-धातु तत्वों का निष्कर्षण भी विभिन्न रासायनिक विधियों द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए, क्लोरीन और आक्सीजन को इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया द्वारा निष्कर्षित किया जाता है।
  8. प्रतिक्रिया स्थिरता और प्रदूषण: निष्कर्षण प्रक्रिया से प्रदूषण हो सकता है, इसलिए धातु निष्कर्षण के साथ पर्यावरण की सुरक्षा के उपायों का ध्यान रखना जरूरी है। आधुनिक प्रौद्योगिकी प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपायों का सुझाव देती है, जैसे कि अपशिष्ट पुनर्चक्रण और अपशिष्ट गैसों का उपचार।

निष्कर्ष (Conclusion):

तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत और प्रक्रम आधुनिक उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन प्रक्रियाओं के माध्यम से खनिजों से धातु, गैस और अन्य तत्वों का निष्कर्षण किया जाता है, जो उत्पादन और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी होते हैं। इस क्षेत्र में नए वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के साथ प्रदूषण और संसाधन उपयोग में सुधार संभव है।

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