UP बोर्ड गणित - अध्याय 12: रैखिक प्रोग्रामिंग के Handwritten नोट्स
Launch Your Course Log in Sign up
Menu
Classes
Competitive Exam
Class Notes
Graduate Courses
Job Preparation
IIT-JEE/NEET
vidyakul X
Menu

UP बोर्ड कक्षा 12 वी गणित - अध्याय 12: रैखिक प्रोग्रामिंग के Handwritten नोट्स

UPMSP > Handwritten Notes > गणित - अध्याय 12: रैखिक प्रोग्रामिंग Handwritten Notes

रैखिक प्रोग्रामिंग एक गणितीय तकनीक है जिसका उपयोग अधिकतम या न्यूनतम मान निकालने के लिए किया जाता है, जबकि कुछ रैखिक बाधाएँ (constraints) लागू होती हैं। यह प्रोग्रामिंग विधि अक्सर व्यावसायिक, आर्थिक और औद्योगिक समस्याओं के समाधान में उपयोग की जाती है, जहाँ संसाधनों का सीमित उपयोग करते हुए लाभ या परिणाम को अधिकतम करना होता है।

Download this PDF

मुख्य बिंदु (Key Points):

  1. लक्ष्य फलन (Objective Function): रैखिक प्रोग्रामिंग में सबसे महत्वपूर्ण तत्व लक्ष्य फलन होता है, जिसे अधिकतम या न्यूनतम किया जाता है। यह एक रैखिक समीकरण होता है जो किसी व्यावसायिक या आर्थिक प्रक्रिया के परिणाम को व्यक्त करता है, जैसे लाभ, लागत, उत्पादन, आदि।

  2. बाधाएँ (Constraints): रैखिक प्रोग्रामिंग में कुछ सीमाएँ होती हैं, जिनके भीतर लक्ष्य फलन को अधिकतम या न्यूनतम करना होता है। ये बाधाएँ रैखिक असमानताएँ (linear inequalities) के रूप में होती हैं, जो विभिन्न संसाधनों के उपलब्धता और उनके उपयोग को प्रतिबंधित करती हैं।

  3. रैखिकता (Linearity): रैखिक प्रोग्रामिंग में उपयोग होने वाले सभी फलन और असमानताएँ रैखिक होती हैं। इसका मतलब है कि फलन के सभी चर पहले आदेश के होते हैं और इनका किसी भी उच्च आदेश का गुणन नहीं होता।

  4. वेरिएबल्स (Variables): रैखिक प्रोग्रामिंग में निर्णय वेरिएबल्स (decision variables) होते हैं, जो किसी समस्या के समाधान के लिए निर्धारित किए जाते हैं। ये वेरिएबल्स संसाधनों के उपयोग को दिखाते हैं, जैसे उत्पादन की मात्रा या श्रमिकों की संख्या।

  5. समाधान विधियाँ (Solution Methods): रैखिक प्रोग्रामिंग को हल करने के लिए विभिन्न विधियाँ होती हैं:

    • ग्राफिकल विधि (Graphical Method): यह विधि केवल दो वेरिएबल्स के लिए उपयोगी होती है, जिसमें समाधान को ग्राफ पर चित्रित किया जाता है।
    • सरलीकरण विधि (Simplex Method): यह एक अधिक सामान्य विधि है जिसका उपयोग कई वेरिएबल्स और बाधाओं वाली समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है।
    • Duality Theorem: रैखिक प्रोग्रामिंग में, हर समस्या का एक द्वैध रूप (dual form) होता है, जिसे हल करने से मूल समस्या का समाधान प्राप्त होता है।
  6. प्राकृतिक समाधान (Feasible Solution): रैखिक प्रोग्रामिंग का समाधान तभी होता है जब सभी बाधाएँ संतुष्ट होती हैं। इसे "feasible solution" कहा जाता है। यदि कोई समाधान इन बाधाओं को पूरा करता है, तो उसे सही समाधान माना जाता है।

  7. अधिकतम और न्यूनतम मान (Maximization and Minimization): रैखिक प्रोग्रामिंग में दो प्रमुख प्रकार के उद्देश्य होते हैं: अधिकतमकरण (maximization) और न्यूनतमकरण (minimization)। अधिकतमकरण में लक्ष्य फलन का मान अधिकतम करने का प्रयास किया जाता है, जबकि न्यूनतमकरण में इसका उद्देश्य कम से कम करना होता है।

  8. वास्तविक जीवन अनुप्रयोग (Real-life Applications): रैखिक प्रोग्रामिंग का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:

    • विनिर्माण (Manufacturing): उत्पादन की योजना बनाना, संसाधनों का प्रभावी उपयोग।
    • वित्त (Finance): निवेश और लाभ अधिकतम करना।
    • परिवहन (Transportation): परिवहन लागत कम करना।
    • प्रबंधन (Management): उत्पादन, वितरण और अन्य संसाधनों का प्रबंधन।

निष्कर्ष (Conclusion):

रैखिक प्रोग्रामिंग एक शक्तिशाली तकनीक है जिसका उपयोग सीमित संसाधनों के भीतर सबसे अच्छा निर्णय लेने के लिए किया जाता है। यह गणितीय मॉडलिंग, व्यावसायिक निर्णय लेने और उत्पादन प्रक्रिया में अनुकूलन के लिए अत्यधिक उपयोगी है। इसके द्वारा समाधान की प्राप्ति व्यापार, अर्थशास्त्र और औद्योगिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर होती है।

गणित के सभी अध्याय के हस्तलिखित नोट्स के लिए अभी Download करें Vidyakul App - Free Download Click Here