UP Board - कक्षा 12वी - भौतिक विज्ञान - अध्याय 11: विकिरण एवं द्रव्य की द्वैत प्रकृति Handwritten Notes
विकिरण और द्रव्य की द्वैत प्रकृति यह सिद्धांत है कि वे दोनों तरंगों और कणों के गुण प्रदर्शित कर सकते हैं। यह अवधारणा क्वांटम यांत्रिकी में महत्वपूर्ण है, जो बताती है कि प्रकाश और अन्य कणों (जैसे इलेक्ट्रॉन) में दोनों तरंगों और कणों जैसी विशेषताएँ होती हैं।
प्रमुख बिंदु (Key Points):
प्रकाश का द्वैत व्यवहार:
- तरंग गुण: जब प्रकाश को एक तरंग के रूप में समझा जाता है, तो वह परासरण (interference), विवर्तन (diffraction), और ध्रुवण (polarization) जैसी घटनाओं को दिखाता है।
- कण गुण: प्रकाश को कणों (फोटोन्स) के रूप में भी समझा जा सकता है, जो ऊर्जा के पैकेट होते हैं। यह कण व्यवहार तब सामने आता है जब हम प्रकाश के फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव (photoelectric effect) का अध्ययन करते हैं, जहाँ प्रकाश ने इलेक्ट्रॉन को बाहर खींच लिया।
द्रव्य की द्वैत प्रकृति:
- कण गुण: सामान्यत: द्रव्य (जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन) को कणों के रूप में जाना जाता है, जो निश्चित स्थानों पर पाए जाते हैं और गति करते हैं।
- तरंग गुण: 20वीं सदी की शुरुआत में यह पाया गया कि द्रव्य कणों में तरंगों जैसे गुण भी होते हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनों के लिए डेब्रॉयल (de Broglie) तरंगों का अस्तित्व। इलेक्ट्रॉन जैसे कण भी तरंगों की तरह व्यवहार कर सकते हैं, जैसे वे किसी बाधा से विवर्तित हो सकते हैं या एकतरफा पथ में चल सकते हैं।
क्वांटम यांत्रिकी और द्वैतता:
- हेज़ेनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार, हम किसी कण के स्थान और गति को एक साथ पूर्ण रूप से नहीं जान सकते हैं। इसका मतलब है कि कणों की द्वैत प्रकृति की वजह से हमें केवल उनके संभावित स्थान और गति का अनुमान ही लगाया जा सकता है।
- ड्व ब्रॉयल तरंगदैर्घ्य: लुई डेब्रॉयल ने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया कि सभी कणों के पास एक निश्चित तरंगदैर्घ्य होती है, जो उनकी गति पर निर्भर करती है।
फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव: यह सिद्धांत अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा दिया गया था, जिसमें यह दिखाया गया कि प्रकाश के कण (फोटोन्स) जब धातु की सतह से टकराते हैं, तो वे इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित करते हैं। यह कणों के व्यवहार का प्रमाण था, जो विकिरण के तरंग सिद्धांत के खिलाफ था।
निष्कर्ष (Conclusion):
विकिरण और द्रव्य की द्वैत प्रकृति ने पारंपरिक भौतिकी की सीमाओं को चुनौती दी और क्वांटम यांत्रिकी को जन्म दिया। इस सिद्धांत ने यह सिद्ध किया कि प्रकाश और कणों का व्यवहार केवल एक ही रूप में नहीं समझा जा सकता, बल्कि वे दोनों ही गुण प्रदर्शित कर सकते हैं। यह अवधारणा आधुनिक भौतिकी की नींव है और इसके परिणामस्वरूप कई महत्वपूर्ण तकनीकी और वैज्ञानिक खोजें हुई हैं।
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