UP Board भौतिक विज्ञान - अध्याय 6: वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण Handwritten Notes
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UP Board - कक्षा 12वी - भौतिक विज्ञान - अध्याय 6: वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण Handwritten Notes

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वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण वह प्रक्रिया है, जिसमें एक बदलते हुए चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा विद्युत धारा उत्पन्न होती है। जब एक चालक या विद्युत परिपथ चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन के संपर्क में आता है, तो उसमें विद्युत धारा का प्रवाह होता है, और इसे वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण कहा जाता है। यह घटना फैराडे के प्रेरण नियम द्वारा निर्धारित होती है, जो बताता है कि किसी बंद परिपथ में उत्पन्न होने वाली प्रेरित धारा उस चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन की दर के समानुपाती होती है।

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Key Points:

  1. फैराडे का प्रेरण नियम:
    फैराडे का प्रेरण नियम बताता है कि जब कोई चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता है, तो उस बदलाव के कारण विद्युत प्रेरणा उत्पन्न होती है। यह प्रेरणा उस परिवर्तन की दर के समानुपाती होती है। इसका सामान्य रूप से निम्नलिखित सिद्धांत होता है:

    • प्रेरित वोल्टेज = - (चुम्बकीय फ्लक्स का समय के साथ परिवर्तन)
  2. लेंज़ का नियम:
    लेंज़ का नियम यह बताता है कि प्रेरित विद्युत धारा हमेशा उस बदलाव के विरोधी दिशा में प्रवाहित होती है, जिससे उसने उत्पन्न हुई है। इसका उद्देश्य ऊर्जा के संरक्षण को सुनिश्चित करना है, यानी यदि चुम्बकीय क्षेत्र को बढ़ाने की कोशिश की जाती है, तो प्रेरित धारा उसका विरोध करती है और यदि चुम्बकीय क्षेत्र घटने की कोशिश करता है, तो प्रेरित धारा उसे बनाए रखने की कोशिश करती है।

  3. चुम्बकीय फ्लक्स:
    चुम्बकीय फ्लक्स एक माप है, जो चुंबकीय क्षेत्र की ताकत और उस क्षेत्र से गुजरने वाली क्षेत्रीय रेखाओं की संख्या को दर्शाता है। इसे गणितीय रूप में चुंबकीय क्षेत्र और क्षेत्रीय सतह के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जाता है। जब इस फ्लक्स में बदलाव होता है, तो प्रेरणा उत्पन्न होती है।

  4. प्रेरण के प्रकार:

    • स्थिर प्रेरण: जब चुम्बकीय क्षेत्र स्थिर रहता है और सिर्फ उसके द्वारा उत्पन्न वोल्टेज का माप लिया जाता है, तो इसे स्थिर प्रेरण कहा जाता है।
    • गतिशील प्रेरण: इसमें चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन या चालक की गति के कारण प्रेरणा उत्पन्न होती है। यदि कोई चालक चुंबकीय क्षेत्र से गुजरता है या क्षेत्र में बदलाव होता है, तो विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
  5. प्रेरण और विद्युत जनरेशन:
    वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण विद्युत जनरेशन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जनरेटर और ट्रांसफॉर्मर जैसे उपकरण इसी सिद्धांत पर काम करते हैं। जब कोई चालक या कॉइल चुम्बकीय क्षेत्र में गति करता है या क्षेत्र बदलता है, तो उसमें विद्युत धारा उत्पन्न होती है, जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है।

  6. एसी जनरेशन:
    वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण का उपयोग एसी (एसी) जनरेटर में होता है, जहां चुंबकीय क्षेत्र के परिवर्तन के कारण विद्युत धारा उत्पन्न होती है। यह विद्युत शक्ति उत्पादन की एक मुख्य विधि है जो बिजली संयंत्रों में उपयोग की जाती है।

Conclusion:

वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन से विद्युत धारा उत्पन्न करती है। यह सिद्धांत न केवल विद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विद्युत उपकरणों जैसे ट्रांसफॉर्मर, जनरेटर और मोटर्स में भी उपयोगी है। फैराडे और लेंज़ के नियमों के आधार पर, यह प्रक्रिया विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होती है और आधुनिक विद्युत तकनीकी प्रणालियों में केंद्रीय भूमिका निभाती है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जैसे ऊर्जा उत्पादन, संचार और चिकित्सा उपकरण।

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