UP Board - कक्षा 12वी - भौतिक विज्ञान - अध्याय 7: प्रत्यावर्ती धारा Handwritten Notes
प्रत्यावर्ती धारा (AC) वह विद्युत धारा है जिसका प्रवाह समय के साथ अपनी दिशा को बदलता रहता है। इस धारा का प्रवाह एक निश्चित समय अंतराल में एक दिशा से दूसरी दिशा में बदलता है। यह धारा मुख्य रूप से विद्युत शक्ति वितरण, घरेलू उपकरणों, और उद्योगों में उपयोग की जाती है।
>मुख्य बिंदु::
- दिशा में परिवर्तन: प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह की दिशा समय के साथ बदलती है। इसका मानक आवृत्ति 50 हर्ट्ज़ (Hz) होती है, जिसका अर्थ है कि हर सेकंड में धारा अपनी दिशा 50 बार बदलती है।
- ऊर्जा का वितरण: AC की खासियत है कि इसे लंबी दूरी तक बिना ज्यादा ऊर्जा खोए प्रसारित किया जा सकता है। यह उच्च वोल्टेज में परिवर्तित हो सकती है, जिससे शक्ति का कम नुकसान होता है।
- ट्रांसफॉर्मर का उपयोग: AC को वोल्टेज के उच्च और निम्न स्तरों में बदलने के लिए ट्रांसफॉर्मर का उपयोग किया जाता है, जो इसे बहुत उपयोगी बनाता है।
- अनुप्रयोग: AC का उपयोग मुख्य रूप से घरेलू और औद्योगिक उपकरणों में जैसे कि पंखे, बल्ब, कूलर, एयर कंडीशनर आदि में किया जाता है।
Advantages:
- कम ऊर्जा हानि: लंबी दूरी पर विद्युत आपूर्ति करते समय AC में कम ऊर्जा हानि होती है, क्योंकि इसे उच्च वोल्टेज में परिवर्तित किया जा सकता है।
- आसान वितरण: AC का वितरण आसान होता है और इसे कहीं भी बिना किसी बड़े तकनीकी सुधार के भेजा जा सकता है।
- संचालन की सादगी: AC जनरेटर और ट्रांसफॉर्मर में उपयोग में आसानी के कारण इसे अधिक स्थानों पर उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष::
प्रत्यावर्ती धारा का महत्व विद्युत शक्ति के संचारण और वितरण में अत्यधिक है। इसकी सादगी, कम लागत और ऊर्जा के कुशल प्रसारण ने इसे आधुनिक समाज में अनिवार्य बना दिया है। AC विद्युत ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत बन चुकी है जो हर क्षेत्र में काम आ रही है, विशेषकर ऊर्जा प्रसारण, घरेलू उपकरणों, और औद्योगिक कार्यों में।
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