UP Board भौतिक विज्ञान - अध्याय 8: वैद्युतचुम्बकीय तरंगे Handwritten Notes
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UP Board - कक्षा 12वी - भौतिक विज्ञान - अध्याय 8: वैद्युतचुम्बकीय तरंगे Handwritten Notes

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वैद्युतचुम्बकीय तरंगे वे तरंगें होती हैं जो विद्युत क्षेत्र (Electric field) और चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic field) के आपसी संपर्क से उत्पन्न होती हैं। इन दोनों क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव होते हैं जो एक-दूसरे के लम्बवत होते हैं। ये तरंगें ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक बिना किसी भौतिक माध्यम के ट्रांसमिट करती हैं और अंतरिक्ष में फैल सकती हैं। इनका वेग प्रकाश के वेग के समान होता है, अर्थात लगभग 3 × 108 मीटर/सेकंड।.

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प्रमुख बिंदु (Key Points):

  1. वैद्युतचुम्बकीय तरंगों का निर्माण: जब विद्युत धारा प्रवाहित होती है या एक विद्युत आवेश गति करता है, तो इसके परिणामस्वरूप विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों का उत्पन्न होना होता है। यह उत्पन्न होने वाली तरंगें ही वैद्युतचुम्बकीय तरंगें कहलाती हैं।

  2. तरंगों का प्रकार: वैद्युतचुम्बकीय तरंगों का एक विस्तृत स्पेक्ट्रम होता है, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख श्रेणियाँ शामिल हैं:

    • रेडियो तरंगें (Radio Waves): लंबी तरंगदैर्घ्य वाली, इनका उपयोग संचार के लिए किया जाता है।
    • सूक्ष्म तरंगें (Microwaves): इनका उपयोग रेडार और वायरलेस संचार में होता है।
    • इन्फ्रारेड (Infrared): ये गर्मी के रूप में महसूस होती हैं, इनका उपयोग तापमान मापने में होता है।
    • दृश्य प्रकाश (Visible Light): जिसे हम देख सकते हैं, इसका आवृत्ति क्षेत्र विशेष होता है।
    • पराबैंगनी (Ultraviolet): यह सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणें होती हैं।
    • एक्स-रे (X-rays): इनका उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जाता है, खासकर हड्डी परीक्षण में।
    • गामा-रे (Gamma Rays): उच्चतम ऊर्जा वाली तरंगें, जो रेडिएशन उपचार में उपयोगी होती हैं।
  3. तरंगों की गति और वेग: वैद्युतचुम्बकीय तरंगों का वेग लगभग 300,000 किलोमीटर प्रति सेकंड (या 3×1083 \times 10^8 मीटर/सेकंड) होता है, जो कि प्रकाश के वेग के समान होता है। ये तरंगें खाली स्थान (वैक्यूम) में भी यात्रा कर सकती हैं, जैसे सूर्य से पृथ्वी तक सूर्य की रोशनी का आना।

  4. सापेक्षता सिद्धांत और वैद्युतचुम्बकीय तरंगें: अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार, विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, और इन्हें एक साथ वैद्युतचुम्बकीय तरंगों के रूप में देखा जाता है।

  5. अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse Waves): वैद्युतचुम्बकीय तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें होती हैं, जहां विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र एक-दूसरे के लम्बवत होते हैं। विद्युत क्षेत्र का कंपन एक दिशा में होता है, और चुम्बकीय क्षेत्र का कंपन उस दिशा के लम्बवत होता है।

  6. वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम: वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम में तरंगों के विभिन्न प्रकार के आवृत्तियों और तरंगदैर्घ्य होते हैं, जो हमें विभिन्न प्रकार की रचनाओं और उपयोगों का पता देते हैं। उदाहरण स्वरूप, रेडियो तरंगों का आवृत्ति क्षेत्र बहुत कम होता है, जबकि गामा-रे का आवृत्ति क्षेत्र बहुत अधिक होता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

वैद्युतचुम्बकीय तरंगें मानव सभ्यता के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और हमारे रोज़मर्रा के जीवन में इनका प्रयोग कई विभिन्न रूपों में होता है। इनका उपयोग दूरसंचार, चिकित्सा, मौसम विज्ञान, सैटेलाइट संचार, और अन्य कई क्षेत्रों में किया जाता है। इनके बिना हम कई आधुनिक सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकते। वैद्युतचुम्बकीय तरंगों का अध्ययन और समझना वैज्ञानिक प्रगति और समाज के विकास में मदद करता है।

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