UP बोर्ड हिंदी - गद्य खण्ड - अध्याय 5: निन्दा रस के Handwritten नोट्स
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UP बोर्ड कक्षा 12 वी हिंदी - गद्य खण्ड - अध्याय 5: निन्दा रस के Handwritten नोट्स

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निन्दा रस एक प्रकार का रस है, जो साहित्यिक काव्य या नाटक में तब उत्पन्न होता है, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की निन्दा या आलोचना की जाती है। यह रस नकारात्मक भावनाओं, जैसे क्रोध, घृणा, या अपमान के रूप में व्यक्त होता है। साहित्य में निन्दा रस का प्रयोग उस स्थिति को प्रकट करने के लिए किया जाता है, जिसमें आलोचना या अपमान को प्रमुखता दी जाती है।

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मुख्य बिंदु (Key Points):

  1. भावना का प्रकटन (Expression of Emotion): निन्दा रस नकारात्मक भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका है। यह भावनाएँ आम तौर पर क्रोध, घृणा, या अन्य प्रकार की निन्दा से संबंधित होती हैं।
  2. साहित्य में भूमिका (Role in Literature): निन्दा रस का उपयोग साहित्यिक काव्य, नाटक और अन्य काव्यात्मक विधाओं में किसी पात्र या घटना की निन्दा करने के लिए किया जाता है। यह रस उस स्थिति को व्यक्त करता है जिसमें किसी की बुराई या दोष उजागर किया जाता है।
  3. प्रकार (Types): निन्दा रस का उपयोग आम तौर पर नकारात्मक विचारों या कृत्यों को उजागर करने के लिए किया जाता है, जैसे कि किसी की निन्दा करना या आलोचना करना।
  4. सहायक भावनाएँ (Associated Emotions): निन्दा रस के साथ घृणा, क्रोध, ईर्ष्या, और अपमान जैसी सहायक भावनाएँ जुड़ी हो सकती हैं।
  5. संवेदनाएँ (Sensations): यह रस सामान्यतः दुःख और पीड़ा को उत्पन्न करता है, क्योंकि इसमें नकारात्मकता और आलोचना का भाव होता है।

निन्दा रस का उपयोग (Usage of Ninda Ras): निन्दा रस का उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की अवहेलना, अपमान या अन्य नकारात्मक भावनाओं का अभिव्यक्ति होती है। यह रस अधिकतर विरोधाभास और संघर्षपूर्ण स्थितियों में पाया जाता है, जैसे कि किसी काव्य या नाटक में जहाँ एक पात्र दूसरे पात्र की निन्दा करता है।

निन्दा रस का उदाहरण (Example): यदि कोई काव्यकार किसी व्यक्ति के बुरे व्यवहार या गलत कार्यों का विरोध करता है, तो उसे निन्दा रस के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। जैसे, कोई साहित्यकार किसी नायक की निंदा करता है या उसकी बुराई को उजागर करता है, तो यह निन्दा रस कहलाता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

निन्दा रस एक महत्वपूर्ण और विशेष प्रकार का रस है जो साहित्य में नकारात्मक भावनाओं को प्रकट करने के लिए इस्तेमाल होता है। यह आलोचना, घृणा और अपमान को उजागर करता है, और साहित्य में उन भावनाओं को व्यक्त करने के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस रस का उद्देश्य किसी की निन्दा करना और उस पर व्यंग्य करना होता है, जिससे साहित्य में एक विशिष्ट भावनात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है।

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