बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 4 रासायनिक बलगतिकी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 4 रासायनिक बलगतिकी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > रसायन विज्ञान अध्याय 4 रासायनिक बलगतिकी

दीर्घ  उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अभिक्रिया की कोटि तथा अणुकता में अन्तर लिखें।

उत्तर⇒ अभिक्रिया की कोटि तथा अणुकता में निम्नलिखित अन्तर हैं-

अभिक्रिया की कोटि

अणुकता

1. अभिक्रिया में लेने वाले उन अणुओं की संख्या जिनका सान्द्रण परिवर्तन होता है।

यह प्रयोग द्वारा ज्ञात की जाती है। इसका मान शून्य, पूर्ण तथा भिन्न भी हो सकते हैं।

यह ताप, दाब एवं सान्द्रण पर निर्भर करता है।

अभिक्रिया में भाग लेने वाले कुल अणुओं की संख्या है।

यह केवल सैद्धान्तिक मान है। इसका मान हमेशा पूर्ण होता है।

यह ताप, दाब तथा सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता है।


प्रश्न 2. प्रथम कोटि प्रतिक्रिया के लिए दर स्थिरांक का व्यंजक प्राप्त करें।

उत्तर⇒ प्रथम श्रेणी अभिक्रियाओं का वेग गुणांक -एक सामान्य प्रथम श्रेणी अभिक्रिया के लिए,

A → प्रतिफल

           माना कि A का प्रारम्भिक सान्द्रण R0 हैं। जिसमें t समय में x मोल क्रिया कर गये हैं, अतः R मोल शेष बचे हैं।

द्रव्यानुपाती क्रिया के नियमानुसार, अभिक्रिया की दर,- dRdt ∝R

A                                             प्रतिफल पदार्थ

प्रारम्भिक सान्द्रण                            Ro

 t समय के बाद सान्द्रण                   R

 

जहाँ k1 प्रथमक्रम की प्रतिक्रिया का दर स्थिरांक है। उपरोक्त समीकरण (i) का समाकलन  करने पर

प्रथम कोटि प्रतिक्रिया के लिए दर स्थिरांक का व्यंजक प्राप्त करें

(जहाँ, C = समाकलन स्थिरांक)

प्रारंभ में जब t = 0, R = R0 तब समीकरण (2) से,

-loge R0 = C

समीकरण (2) में C का मान रखने पर,

-loge R = kt – logeR

या, kt = loge R0R

  k=2.303tlog10R0R

यह प्रथम क्रम अभिक्रिया की दर स्थिरांक का समीकरण कहलाती है।

प्रश्न 3. अर्द्धजीवन काल और औसत जीवन काल का वर्णन करें।

उत्तर⇒ अर्द्धजीवन काल-किसी भी रासायानिक प्रतिक्रिया के ठीक अर्द्ध पूरा होने में जो समय लगता है उसे अर्द्धजीवन काल कहा जाता है। इसे tफलक केंद्रित घनीय या चतुष्कोणीय में जालक बिन्दुद्वारा सूचित किया जाता है।

प्रथम श्रेणी अभिक्रिया- प्रथम श्रेणी अभिक्रिया के लिय,

k=2.303tlog10R0R

 जब प्रतिकारक के प्रारम्भिक मात्रा की आधी मात्रा अपघटित हो चुकी है तब R= R02, t =t12

प्रथम श्रेणी अभिक्रिया समीकरण में रखने पर,

k1=2.303t12log10R0R02,

k1=2.303t12log102

या   t12=2.303k1log102

या,  t12=2.3030.3010k

t12=0.693k

    समीकरण में क्योंकि अभिकरक की सांद्रता भाग नहीं लेती है। अतः यह स्पष्ट है कि प्रथम श्रेणी की अभिक्रिया में t12 अभिक्रिया के प्रारम्भिक सान्द्रता से मुक्त होती है।

औसत जीवन काल- दर स्थिरांक के व्युत्क्रम को औसत जीवन काल कहा जाता है। इसे T द्वारा सूचित किया जाता है। अर्थात् T = अर्द्धजीवन काल तथा औसत जीवन काल का वर्णन करें

k का मान उपयुक्त समीकरण में रखने पर ,

T=10.693t12=10.693t12=0.693k

औसत आयुकाल = 1.41 × अर्द्धजीवन काल

 

प्रश्न 4. सक्रियण ऊर्जा को समझावें।

उत्तर⇒ सक्रियण ऊर्जा -सभी अणु जो टकराते हैं क्रिया नहीं करते अपितु इसमें कुछ ही अणु अर्थात् सक्रिय अणु ही क्रिया करते हैं अतः जो अणु टकराकर क्रिया फलों में बदलते हैं, वे टकराने से पहले निश्चित मान की ऊर्जा प्राप्त कर सक्रिय अणु बन जाते हैं। यह ऊर्जा जो अणु को सक्रिय बनाने में प्रयोग होते हैं सक्रियण ऊर्जा कहलाते हैं। यह अभिक्रिया पर निर्भर होती है। आरहेनियम के समीकरण से,

k=Ae-EaRT      

(A = आवृत्तिकारक स्थिरांक, Ea = सक्रियण ऊर्जा T = परमताप)

Ea व A दोनों ही अभिक्रिया पर निर्भर करते हैं।

या, loge K = loge A - EaRT   RT यदि दो तापक्रम, T1 व T2 पर दर स्थिरांक k1 व k2 हो तो,

logk2k1=Ea2.303RT2-T1T1T2

 

प्रश्न 5. समाकलित वेग समीकरण से क्या समझते हैं ? किसी शून्य कोटि एवं प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए समालित वेग समीकरणों की व्युत्पत्ति करें।

उत्तर⇒ अभिक्रियाओं के सांद्रता पर आधारित तात्कालिक अवकल वेग (समीकरण) निर्धारण आसान नहीं होता है। इससे वेग नियम एवं अभिक्रिया की कोटि को ज्ञात करना कठिन हो जाता है। इस जटिलता से बचने के लिए समीकरण को समाकलित करके समाकलित वेग समीकरण ज्ञात कर लिया जाता है। इससे विभिन्न समय पर अभिक्रियाओं की सांद्रता तथा वेग स्थिरांक के बीच संबंध ज्ञात हो जाता है।

           शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित वेग समीकरण की व्युत्पत्ति-कोई अभिक्रिया R → P एक शून्य कोटि की अभिक्रिया है।

अतः वेग =-d[R]dt=K[R]0

वेग = -d[R]dt=K

या, -d [R] = K.dt

दोनों तरफ समाकलन करने पर- [R] = – Kt + I …(A)

जहाँ I = समाकलन स्थिरांक

जब, t = 0 हो, तो R की सांद्रता = [R]0 होगी।

[जहाँ [R]0 अभिक्रिया की प्रारंभिक सांद्रता]

अब, समीकरण (A) में [R]0 का मान रखने पर

[R]o = – K × 0 + I = I

पुनः I का मान समीकरण (A) में रखने पर

[R] = – Kt + [R]o                                         ….(B)

या, – Kt = [R] – [R]o

या, Kt = [R]o – [R]

और K =[R]0-[R]T                                                 ….(C)

           प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित वेग समीकरण की व्युत्पत्ति

किसी अभिक्रिया R → P के लिए

वेग =-d[R]dt=K[R]1

या,   d[R][R]=-K.dt

 

इस समीकरण का समाकलन करने पर- In [R] = – Kt + I         …(D)

जहाँ I समाकलन स्थिरांक है।

जब t = 0, [R] = [R]0 जहाँ [R]0 = प्रारंभिक सांद्रता

समीकरण (D) के अनुसार, In [R]0 = –K × O+ I = I

या, Kt=In[R]0-In[R]=In[R][R]

या, K=1tIn[R]0[R]=2.303tlog10[R]0[R]

इस प्रकार समीकरण (C) एवं (E) क्रमशः शून्य कोटि एवं प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के लिए स्थिरांक (K) प्राथमिक सांद्रता एवं अंतिम सांद्रता के बीच संबंध बताता है। इन्हें ही समाकलित वेग समीकरण कहा जाता है।

प्रश्न 6. अभिक्रिया की अणुकता एवं कोटि को समझाएँ।

उत्तर⇒ अणुकता -किसी अभिक्रिया में भाग लेने वाले परमाणुओं या अणुओं की न्यूनतम संख्या को अभिक्रिया की अणुकता कही जाती है।

उदाहरण-

      (i) हाइड्रोजन परऑक्साइड के अपघटन में इसका कम-से-कम एक अणु भाग लेता है।

H2O2H2O+12O2

अतः इस अभिक्रिया की अणुकता = 1 है।

         (ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड द्वारा इथाइल ऐसीटेट के जल अपघटन में दोनों के एक-एक अणु भाग लेते हैं।

CH3COOC2H+ NaOH CH3COONa + C2H5OH

अतः इस अभिक्रिया की अणुकता = 1 + 1 = 2

जिस अभिक्रिया की अणुकता 1 होती है। उसे एक अणुक अभिक्रिया कहा जाता है। इसी प्रकार 2 तथा 3 अणुकता वाली अभिक्रियाएँ क्रमशः द्विअणुक और त्रिअणुक अभिक्रिया कहलाती है।

           अभिक्रिया की कोटि -वेग समीकरण में प्रयुक्त सान्द्रण पदों के घातों के योगफल को अभिक्रिया की कोटि कहा जाता है।

       मान लिया कि किसी अभिक्रिया का वेग निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जाता है।

वेग K[A]n1 [B]n2 [C]n3 

जहाँ n1, n3 क्रमशः अभिकारक A, B तथा C के सान्द्रण के घात हैं तथा K एक स्थिरांक है।

∴              अभिक्रिया की कोटि = n1 + n2 + n3

उदाहरण

(i) X → प्रतिफल, वेग = K (X)1

∴            अभिक्रिया की कोटि = 1

(ii) x + Y → प्रतिफल, वेग = K [X]’ [Y]1

∴            अभिक्रिया की कोटि = 1 + 1 = 2

(iii) CH3COOCH3 + H2Oसमाकलित वेग समीकरण से क्या समझते हैंCH3COOH+CH3OH

            वेग = K.[CH3COOCH3]4 × स्थिरांक

∴         अभिक्रिया की कोटि = 1

प्रश्न 7. वेग स्थिरांक पर ताप के प्रभाव को समझाएँ।

उत्तर⇒ वेग स्थिरांक पर ताप का प्रभाव-अभिक्रिया का वेग ताप वृद्धि के साथ बढ़ जाता है। यह देखा गया है कि सामान्यतः 10°C ताप वद्धि से अभिक्रियाओं का वेग स्थिरांक लगभग दुगुना या तिगुना हो जाता है।

             ताप के प्रभाव को ताप गुणांक के रूप में व्यक्त किया जाता हैं ताप गुणांक उन दो तापों पर वेग स्थिरांकों का अनुपात है जिसमें 10°C का अन्तर हो।

K350CK250C=ताप गुणांक

उदाहरण- KClO3 का वियोजन 2KClO3→ 2KCl + 3O2 तापक्रम की वृद्धि या 10°C तापक्रम बढ़ाने पर KClO3 का वियोजन का दर लगभग दुगुना हो जाता है। ताप में वृद्धि होने पर अणुओं की गति बढ़ जाती है अतः टक्करों की संख्या बढ़ जाती है। जब टक्करों की संख्या बढ़ती है तो प्रतिक्रिया की दर भी बढ़ जाती है। आरहेनियस ने अपने प्रायोगिक निरीक्षणों के आधार पर प्रतिक्रिया के वेग पर ताप के प्रभाव को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया-

d In kdT=EaRT2

         जहाँ K = प्रतिक्रिया का वेग स्थिरांक, T = तापक्र (केल्विन में) R = गैस स्थिरांक तथा, Ea = प्रतिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा

यदि Ea ताप के सापेक्ष स्थिर हो तो इस समीकरण का अवकलन करने पर In K =EaRT  + C (जहाँ C = अवकलन स्थिरांक है)

इन स्थिरांक का मान In A के बराबर होता है।

अतः In K = – EaRT + InA

या      In K / A = –EaRT

या      K = EaRT

जहाँ A को कम्पनावृत्ति गुणक कहा जाता है। उपर्युक्त समीकरण

In K = –EaRT + In A

या,        In K = In A–EaRT

या, 2.303log K = 2.303 log A – EaRT

या, log K = log A- Ea2.303RT

मान लिया कि T1 ताप पर वेग स्थिरांक K1 तथा T2 ताप पर स्थिरांक K2 है, तो

log K1  = log A- Ea2.303RT1

तथा log K2  = log A- Ea2.303RT2

दोनों को घटाने पर हम पाते हैं कि

logK2K1=Ea2.303R1T1-1T2

उपर्युक्त समीकरण से हम वेग स्थिरांक का मान निकाल सकते हैं।

प्रश्न 8. शून्य क्रम की प्रतिक्रिया से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर⇒ (a) शून्य क्रम प्रतिक्रिया वह रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसके प्रतिक्रिया की दर किसी प्रतिकारक के सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है, शून्य क्रम की प्रतिक्रिया कहलाता है। ऐसी स्थिति में प्रतिक्रिया स्थिर दर से आगे बढ़ती है।

शून्य कोटि की प्रतिक्रिया के लिए,

दर = K = स्थिरांक

(i) NH3 का प्लैटिनम सतह पर विघटन 

(ii) HI का सोने के सतह पर विघटन

(b) रासायनिक प्रतिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक हैं-

(i) प्रतिकारकों का सांद्रण-प्रतिकारकों के सांद्रण बढ़ने से प्रतिक्रिया की दर बढ़ता है।

(ii) उत्प्रेरक की उपस्थिति-उत्प्रेरक सक्रियण ऊर्जा को घटाकर प्रतिक्रिया दर बढ़ाता है।

          तापक्रम-प्रतिक्रिया की दर तापक्रम बढ़ने से बढ़ता है। तापक्रम बढ़ने से प्रभावी टक्करों की संख्या बढ़ जाती है जो प्रतिक्रिया की दर को बढ़ा देता है। यह पाया गया है कि प्रत्येक 10°C तापक्रम बढ़ने से प्रायः प्रतिक्रिया की गति दुगुनी हो जाती है।

(iii) सतह का क्षेत्रफल-प्रतिक्रिया की गति प्रतिकारकों के सतह के क्षेत्रफल बढ़ने से बढ़ता है।

(iv) एक्टीवेशन ऊर्जा-एक्टीवेशन ऊर्जा के मान कमने से प्रतिक्रिया की दर बढ़ती है।

प्रश्न 9. निम्न पर संक्षिप्त नोट लिखें :

(क) ब्राउनियम गति 

उत्तर⇒ (क) ब्राउनियम गति- राबर्ट ब्राउन ने 1827 ई० में गति का पता लगाया था। कोलायडी विलयनों को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर पता चलता है कि कोलायडी कण टेढ़े-मेढ़े तरीके से निरंतर गति करते रहते हैं; अंधेरे कमरे में एक छोटे पिण्ड से निकलते प्रकाश मार्ग में या प्रोजेक्टर से पर्दे पर पड़ने वाले प्रकाश मार्ग से धूल के कण लगातार गति करते हुए दिखते हैं। इस गति का कारण 1863 में बीनर द्वारा दिया गया जिसके अनुसार यह गति कोलायडी कणों के परिक्षेपण माध्यम के अणुओं के साथ असमान रूप से टक्कर के कारण उत्पन्न होती है। कोलायडी कण अपने चारों ओर के परिक्षेपण माध्यम के अणुओं से टकराते रहते हैं और गति करते रहते हैं। कोलाइडी कण का आकार तथा परिक्षेपण माध्यम की श्यानता पर बाउनी गति निर्भर करती है। कोलायडी कण जितने ही सूक्ष्म होते हैं और परिक्षेपण माध्यम की श्यानता जितनी कम होती है बाउनी गति उतनी ही अधिक होती है। कणों का आकार बढ़ने से ब्राउनी गति कम होती है और निलम्बन में पूर्ण समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 10.अभिक्रिया का अर्द्धकाल को समझाएँ।

उत्तर⇒  अर्द्ध जीवन काल- किसी भी प्रथम कोटि की प्रति के ठीक आधा सम्पन्न होने में जो समय लगता है उसे अर्द्धजीवन काल कहा जाता है। इसे t1/2 से सूचित किया जाता है।

हम जानते हैं :

K=2.303tlogaa-x

या  t=2.303Klogaa-x

t=t12 हो तो x=a2

t12=2.303Klogaa-a2=2.303Klog 2

=2.303K0.301=0.693K

t12=0.693K

प्रश्न 11: नीचे दी गई प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के वेग स्थिरांक से अर्द्ध-आयु की गणना कीजिए- -

(i) 200 s-1

(ii) 2 min-1

(iii)4 year-1

उत्तर :

(i) अर्द्ध – आयु, t12=0.691K

    =0.693200 s-1=3.47 s (लगभग)

(ii) अर्द्ध-आयु, t12=0.693K

=0.6932 min-1=0.35 min (लगभग)

 

(iii) अर्द्ध-आयु, t12=0.693K

=0.6934 year-1=0.173 years (लगभग)


प्रश्न 12: निम्नलिखित अभिक्रियाओं के वेग व्यंजकों से इनकी अभिक्रिया कोटि तथा वेग स्थिरांकों की इकाइयाँ ज्ञात कीजिए-

(i) 3NO(g)N2O(g)                                     वेग =k[NO]2

(ii) H2O(aq) + 31 - (aq)+2H2H2O(I)+I3 - वेग = k[H2O2][I-]

(iii) CH3CHO(g)-CH+(E)+CO(g)               वेग = k [ CH3CHO]32

(iv) C2H5Cl(g)C2H4(g)+HCl(g)               वेग = k [C2H5Cl]

उत्तर 4.1:

(i) दिया गया वेग = k[NO]2

 अतः अभिक्रिया कोटि = 2

वेग स्थिरांक की इकाई =वेग[NO]2mol L-1s-1(mol L-1)2 =mol L-1s-1mol2 L-2 =L mol-1s-1  

(ii) दिया गया वेग =k[H2O2][I-]

 अतः अभिक्रिया कोटि = 2

वेग स्थिरांक की इकाई=  =वेग[H2O2][I-]mol L-1s-1(mol L-1)(mol L-1) =L mol-1s-1

(iii) दिया गया वेग = K [ CH3CHO]32

इसलिए, अभिक्रिया कोटि = 32

वेग स्थिरांक की इकाई =वेग [ CH3CHO]32mol L-1s-1(mol L-1)32 =mol L-1s-1mol32 L32 = L32mol12 s-1 वेग  

(iv) दिया गया वेग = k [C2H5Cl]

 इसलिए, अभिक्रिया कोटि = 1

वेग स्थिरांक की इकाई वेग =वेग [C2H5Cl]mol L-1s-1(mol L-1) =s-1

प्रश्न 13: किसी अभिक्रिया A → उत्पाद के लिए k=2.010-2 s-1 है। यदि । की प्रारंभिक सांद्रता 1.0 mol L-1 हो तो 100s के पश्चात् इसकी सांद्रता क्या रह जाएगी?

उत्तर :

 k=2.010-2 s-1 ; T = 100s; [A]。 = 1.0 mol L-1  

चूँकि का मात्रक s-1  है, दी गई अभिक्रिया प्रथम कोटि की अभिक्रिया है ।

इसलिए, k=2.303tlog[A]0[A]=2.010-2 s-1=2.303100slog1.0[A]

⇒2.010-2 s-1=2.303100s(-log[A])⇒-log[A]=2.010-21002.303

⇒ [A] = antilog-2.010-21002.303=0.135 mol L-1 (लगभग) 

अत: A की शेष सान्द्रता 0.135 mol L-1 है। 

प्रश्न 14: अम्लीय माध्यम में सूक्रोस का ग्लूकोस एवं फ्रक्टोज में विघटन प्रथम कोटि की अभिक्रिया है । इस अभिक्रिया की अर्धा 3.0 घंटे है। 8 घंटे बाद नमूने में सूक्रोस का कितना अंश बचेगा ? 

उत्तर :  

प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए, k = 2.303tlog[R]0[R]

दिया है, t12 = 3.00 घंटे, इसलिए, k = 0.693t12 ⇒0.6933h-1 =0.231 h-1  

तब, 0.231 h-1 =2.3038hlog[R]0[R]=log[R]0[R]=0.231 h-1 8 h2.303

⇒[R]0[R]= antilog (0.8024) ⇒[R]0[R]=6.3445 ⇒[R]0[R]=0.1576 (लगभग)

अतः, सुक्रोज के नमूने का अंश जो 8 घंटे के बाद रहता है, 0.158 है।

प्रश्न 15:  हाइड्रोकार्बन का विघटन निम्न समीकरण के अनुसार होता है। Ea की गणना कीजिए । 

                        k=(4.51011 s-1) e-28000KT

उत्तर :

दिया गया समीकरण है, k=(4.51011 s-1) e-28000KT  ……………….(i)

अरहेनियस समीकरण द्वारा, k=Ae-EaRT             …………………(ii)

समीकरण (i) और (ii) से,

⇒EaRT=28000kT ⇒ E0=R28000 k ⇒ 8.314 J K-1 mol-1 28000 K

⇒ 232792 J mol-1 = 232.792 kj mol-1

प्रश्न 16: 10°C ताप पर A के उत्पाद में विघटन के लिए k का मान 4.5103 s-1 तथा सक्रियण ऊर्जा 60 KJ  mol-1 है। किस ताप पर k  का मान 1.5104 s-1होगा?

उत्तर :

अरहेनियस समीकरण से,

logk2k1=Ea2.303RT2-T1T1T2

k1=4.5103 s-1

T1=273k+10=283k

k2=   1.5104 s-1

Ea= 60 KJ  mol-1 =6.0104 J  mol-1

तब, log1.51044.5103=6.0104 J  mol-1 2.3038.314  J K-1  mol-1 T2-283283T2

⇒ 0.5229=3133.627T2-283283T2

⇒ 0.5229283T23133.627=T2-283

⇒ 0.0472 T2= T2-283

⇒ 0.9528 T2= 283

⇒ T2= 297.019 K (लगभग)

⇒ 297 K= 24°C

अतः, 24°C पर का मान 1.5104 s-1 होगा। 

प्रश्न 17: R P, अभिक्रिया के लिए अभिकारक की सान्द्रता 0.03M से 25 मिनट में परिवर्तित होकर 0.02 M हो जाती है। औसत वेग की गणना सेकण्ड तथा मिनट दोनों इकाइयों में कीजिए ।

 उत्तर 17:

अभिक्रिया का औसत वेग,⇒[R]t=-[R]2-[R]1t2-t1 ⇒0.02-0.0325M min-1

⇒--0.0125M min-1⇒ 410-4 M min-1

⇒410-460M S-1 ⇒6.6710-6 M S-1

प्रश्न 18:  2A → उत्पाद, अभिक्रिया में A की सान्द्रता 10 मिनट में 0.5 mol L-1 से घटकर 0.4mol L-1  रह जाती है। इस समयान्तराल के लिए अभिक्रिया वेग की गणना कीजिए।

 उत्तर :

औसत वेग=-12[A]t

⇒-12[A]2-[A]1t2-t1

⇒-120.4-0.510

⇒-12-0.110

⇒ 0.005 mol L-1 min-1 ⇒ 5 x 10-3 M min-1

प्रश्न 19: एक अभिक्रिया A + B → उत्पाद, के लिए वेग नियम r =k [A]12[B] से दिया गया है। अभिक्रिया की कोटि क्या है?

उत्तर:

अभिक्रिया की कोटि⇒12+2⇒212=2.5

प्रश्न 20: अणु X का Y में रूपान्तरण द्वितीय कोटि की बलगतिकी के अनुरूप होता है। यदि x की सान्द्रता तीन गुनी कर दी जाए तो Y के निर्माण होने के वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

उत्तर :

अभिक्रिया X→Y दूसरे कोटि के गतिकी का अनुसरण करती है। इसलिए, इस अभिक्रिया के लिए वेग समीकरण

वेग = k [X]2 …………….(1)

यदि [X] = a mol L-1 , तब समीकरण (1) को इस प्रकार लिखा जा सकता है:

वेग, = k. (a)2= ka2

यदि X की सांद्रता को तीन गुना तक बढ़ा दिया जाए, तो [X] = 3 amol L-1

अब, वेग समीकरण: वेग = k ( 3a )2 = 9 ( ka2)

इसलिए, उत्पाद बनने की दर 9 गुना बढ़ जाएगी।

प्रश्न 21: एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया का वेग स्थिरांक 1.1510-3 s-1 है। इस अभिक्रिया में अभिकारक की 5g मात्रा को घटकर 3g होने में कितना समय लगेगा?

उत्तर:

प्रश्न के अनुसार, प्रारंभिक राशि = 5g तथा अंतिम सांद्रता = 3g

वेग स्थिरांक = 1.1510-3 s-1

हम जानते हैं कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए,

⇒t = 2.303klog[R]0[R]=2.3031.1510-3log53 ⇒ t=2.3031.1510-30.2219

⇒t =444.38 s = 444 s (लगभग)

प्रश्न 22:  SO2Cl2 को अपनी प्रारम्भिक मात्रा से आधी मात्रा में वियोजित होने में 60 मिनट का समय लगता है। यदि अभिक्रिया प्रथम कोटि की हो तो वेग स्थिरांक की गणना कीजिए ।

उत्तर :

हम जानते हैं कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए, t12=0.693k

दिया है: t12= 60 मिनट

.k = 0.693t12 ⇒ 0.69360 = 0.01155 min-1 = 1.155 min-1

या  k = 1.92510-3 s-1