बिहार बोर्ड कक्षा 9 वी गणित - अध्याय 8: चतुभुर्ज की NCERT Book
चतुभुर्ज" कक्षा 9 का एक महत्वपूर्ण ज्यामिति अध्याय है, जिसमें हम चार भुजाओं वाली आकृति, यानी चतुभुर्ज के बारे में अध्ययन करते हैं। चतुभुर्ज एक दो-आयामी (2D) आकृति होती है, जिसमें चार भुजाएँ, चार कोण और चार शीर्ष होते हैं। इस अध्याय में हम चतुभुर्जों के प्रकार, गुण और क्षेत्रफल के सूत्रों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। चतुभुर्जों का अध्ययन हमें अन्य ज्यामितीय संरचनाओं के बारे में समझने में मदद करता है और इसके विभिन्न प्रकारों को जानने से गणितीय समस्याओं को हल करना सरल होता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
चतुभुर्ज की परिभाषा (Definition of Quadrilateral):
- चतुभुर्ज एक ऐसी आकृति है, जिसमें चार भुजाएँ और चार कोण होते हैं। यह एक समतल आकृति होती है और इसके चार बिंदु होते हैं जिन्हें शीर्ष (vertices) कहा जाता है। चतुभुर्ज का कुल कोणों का योग हमेशा 360° होता है।
- उदाहरण: एक सामान्य चतुभुर्ज के चार कोण होते हैं जिनका योग 360° होता है, चाहे वह किसी भी प्रकार का हो।
चतुभुर्ज के प्रकार (Types of Quadrilaterals): चतुभुर्जों को उनके गुणों और भुजाओं के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
- आयत (Rectangle): आयत एक विशेष प्रकार का चतुभुर्ज होता है जिसमें सभी कोण समकोण (90°) होते हैं। इसके सामने की भुजाएँ समान होती हैं।
- वर्ग (Square): वर्ग एक विशेष आयत है जिसमें सभी भुजाएँ समान होती हैं और सभी कोण 90° होते हैं।
- समचतुर्भुज (Rhombus): समचतुर्भुज वह चतुभुर्ज होता है जिसमें चारों भुजाएँ समान होती हैं, लेकिन कोण 90° नहीं होते।
- समलंबी चतुभुर्ज (Parallelogram): समलंबी चतुभुर्ज वह चतुभुर्ज होता है जिसमें सामने की भुजाएँ समानांतर होती हैं।
- वृत्ताकार चतुभुर्ज (Trapezium): इस चतुभुर्ज में केवल एक जोड़ी भुजाएँ समानांतर होती हैं, जबकि अन्य भुजाएँ समानांतर नहीं होतीं।
- आधिकारिक चतुभुर्ज (Kite): यह वह चतुभुर्ज होता है जिसमें दो जोड़ी समान भुजाएँ होती हैं, और ये भुजाएँ एक दूसरे को समकोण पर मिलती हैं।
चतुभुर्ज के गुण (Properties of Quadrilaterals):
- आयत: इसके प्रत्येक कोण का माप 90° होता है, और सामने की भुजाएँ समान होती हैं।
- वर्ग: इसमें सभी भुजाएँ समान होती हैं और सभी कोण 90° के होते हैं।
- समलंबी चतुभुर्ज: इसके सामने की भुजाएँ समानांतर होती हैं, और कोणों का योग 360° होता है।
- वृत्ताकार चतुभुर्ज: इसमें केवल एक जोड़ी भुजाएँ समानांतर होती हैं, और दूसरे कोणों का माप भिन्न हो सकता है।
- समचतुर्भुज: इसमें सभी भुजाएँ समान होती हैं, लेकिन यह समकोण नहीं होता।
- काइट: इसमें दो जोड़ी समान भुजाएँ होती हैं, जो एक दूसरे को समकोण पर मिलती हैं।
चतुभुर्ज का क्षेत्रफल (Area of Quadrilateral): चतुभुर्जों का क्षेत्रफल निकालने के लिए कुछ विशेष सूत्र होते हैं:
- आयत का क्षेत्रफल:
- वर्ग का क्षेत्रफल:
- समलंबी चतुभुर्ज का क्षेत्रफल:
- समचतुर्भुज का क्षेत्रफल: समचतुर्भुज का क्षेत्रफल उस आकृति के कोणों और भुजाओं के आधार पर हेरॉन के सूत्र या अन्य विधियों से निकाला जा सकता है।
चतुभुर्ज का क्षेत्रफल निकालने के सामान्य विधि:
- कुछ चतुभुर्जों के क्षेत्रफल को डायगोनल (आड़ा-तिरछी रेखाएँ) के आधार पर भी निकाला जा सकता है। विशेषकर, समचतुर्भुज और काइट के क्षेत्रफल को दो आड़ा-तिरछी रेखाओं की लंबाई से प्राप्त किया जा सकता है।
चतुभुर्जों का अनुप्रयोग (Applications of Quadrilaterals):
- चतुभुर्जों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे निर्माण कार्य, आर्किटेक्चर, और डिजाइन में। विशेष रूप से, आयत, वर्ग, और समलंबी चतुभुर्ज का उपयोग भवनों की संरचनाओं और संरचनात्मक डिज़ाइन में किया जाता है।
- गणितीय समस्याओं के समाधान में भी चतुभुर्जों के गुणों और सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष:
"चतुभुर्ज" अध्याय हमें विभिन्न प्रकार के चतुभुर्जों, उनके गुण, प्रमेय और क्षेत्रफल के सूत्रों को समझने में मदद करता है। चतुभुर्जों का अध्ययन गणितीय ज्यामिति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह हमें अन्य ज्यामितीय संरचनाओं को समझने में सहायक होता है। इस अध्याय का ज्ञान हमारे गणितीय सोच को मजबूत करता है और विभिन्न अनुप्रयोगों में सहायक सिद्ध होता है।