बिहार बोर्ड कक्षा 9 वी विज्ञान - कार्य और ऊर्जा की NCERT Book
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बिहार बोर्ड कक्षा 9 वी विज्ञान - अध्याय 11: कार्य और ऊर्जा की NCERT Book

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"कार्य और ऊर्जा" कक्षा 9 का एक महत्वपूर्ण भौतिकी अध्याय है, जो ऊर्जा के सिद्धांत और कार्य की परिभाषा पर आधारित है। इस अध्याय में कार्य, ऊर्जा और उनके आपसी संबंध को समझाया गया है। कार्य तब होता है जब कोई बल किसी वस्तु को किसी दिशा में गति प्रदान करता है। ऊर्जा वह क्षमता है जो कार्य करने के लिए आवश्यक होती है। यह अध्याय हमें यह समझने में मदद करता है कि ऊर्जा का रूपांतरण कैसे होता है और हमारे दैनिक जीवन में यह कैसे लागू होता है।

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महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. कार्य (Work):

    • कार्य तब होता है जब कोई बल किसी वस्तु को किसी दिशा में गति देता है। इसे गणितीय रूप में W = F × d × cosθ द्वारा व्यक्त किया जाता है, जहां:
      • W = कार्य,
      • F = बल,
      • d = वस्तु की विस्थापन (displacement),
      • θ = बल और विस्थापन के बीच कोण।
    • कार्य की इकाई जूल (Joule) है। यदि एक न्यूटन बल एक मीटर की दूरी पर कार्य करता है, तो यह 1 जूल कार्य कहलाता है।
  2. ऊर्जा (Energy):

    • ऊर्जा वह क्षमता है जो कार्य करने के लिए आवश्यक होती है। ऊर्जा का रूपांतरण भिन्न-भिन्न रूपों में हो सकता है, जैसे यांत्रिक ऊर्जा, तापीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि।
    • ऊर्जा की इकाई भी जूल (Joule) होती है।
    • ऊर्जा के प्रमुख प्रकार:
      • यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy): यह गति (kinetic energy) और स्थिति (potential energy) दोनों का योग होती है।
      • कायनोटिक ऊर्जा (Kinetic Energy): यह किसी वस्तु की गति से संबंधित ऊर्जा है। इसे KE = ½ mv² द्वारा व्यक्त किया जाता है, जहां:
        • m = वस्तु का द्रव्यमान,
        • v = वस्तु की गति।
      • संभाव्य ऊर्जा (Potential Energy): यह किसी वस्तु की स्थिति या स्थिति में परिवर्तन से संबंधित ऊर्जा है। जैसे उच्च स्थान पर रखी हुई वस्तु में गुरुत्वाकर्षण के कारण ऊर्जा होती है।
  3. ऊर्जा का रूपांतरण (Transformation of Energy):

    • ऊर्जा विभिन्न रूपों में बदल सकती है, जैसे यांत्रिक ऊर्जा को तापीय ऊर्जा में बदलना।
    • उदाहरण: एक घर्षण बल द्वारा गति से उत्पन्न ऊर्जा को गर्मी (तापीय ऊर्जा) में बदल दिया जाता है।
    • ऊर्जा का संरक्षण होता है, यानी ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती, केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदलती है।
  4. ऊर्जा का संरक्षण का नियम:

    • ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत कहता है कि "किसी बंद प्रणाली में कुल ऊर्जा हमेशा स्थिर रहती है।"
    • इसका मतलब है कि ऊर्जा का न तो निर्माण हो सकता है और न ही उसका विनाश, बल्कि यह एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो जाती है। उदाहरण के लिए, एक गिरती हुई गेंद की संभाव्य ऊर्जा गति (कायनोटिक ऊर्जा) में बदल जाती है।
  5. कार्य और ऊर्जा के बीच संबंध:

    • कार्य और ऊर्जा के बीच एक घनिष्ठ संबंध होता है। जब कोई कार्य किया जाता है, तो उसमें ऊर्जा का रूपांतरण होता है। यदि कोई वस्तु गतिमान होती है, तो उसमें ऊर्जा होती है, और जब वह गति करती है, तो यह ऊर्जा कार्य के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
    • उदाहरण: जब हम कोई भार उठाते हैं, तो उसे ऊपर उठाने में कार्य होता है और उस वस्तु में संभाव्य ऊर्जा जमा होती है।
  6. ऊर्जा का दैनिक जीवन में उपयोग:

    • हमारे दैनिक जीवन में ऊर्जा का कई रूपों में उपयोग होता है, जैसे बिजली, पेट्रोल, गैस, और जैविक ईंधन। यह सभी ऊर्जा के रूप हैं जो विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे वाहनों की गति, घरों में रोशनी, आदि।

निष्कर्ष:

"कार्य और ऊर्जा" अध्याय कार्य और ऊर्जा के सिद्धांतों को समझने में मदद करता है और यह बताता है कि कैसे ऊर्जा का रूपांतरण कार्य में होता है। यह अध्याय यांत्रिक ऊर्जा, संभाव्य ऊर्जा, कायनोटिक ऊर्जा, और ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांतों को स्पष्ट करता है। कार्य और ऊर्जा का अध्ययन भौतिकी के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमारे दैनिक जीवन में इनका उपयोग कैसे होता है, यह भी स्पष्ट करता है।