बिहार बोर्ड कक्षा 9 वी विज्ञान - ध्वनि की NCERT Book
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बिहार बोर्ड कक्षा 9 वी विज्ञान - अध्याय 12: ध्वनि की NCERT Book

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"ध्वनि" कक्षा 9 का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो ध्वनि के उत्पत्ति, गुण, और उसके फैलने के तरीके को समझाता है। ध्वनि हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और इसका उपयोग संचार, संगीत, अलार्म, और कई अन्य प्रक्रियाओं में होता है। यह अध्याय हमें यह समझने में मदद करता है कि ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है, कैसे यात्रा करती है, और उसके विभिन्न गुण क्या होते हैं। इसके अलावा, ध्वनि के विभिन्न उपयोगों और उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में भी चर्चा की जाती है।

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महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. ध्वनि की उत्पत्ति:

    • ध्वनि किसी भी वस्तु के कंपन से उत्पन्न होती है। जब कोई वस्तु गति करती है या कंपन करती है, तो वह आसपास के कणों को भी कंपित कर देती है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
    • उदाहरण: जब गिटार के तार को खींचा जाता है, तो वह कंपन करता है और हवा के कणों को भी कंपनित करता है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
  2. ध्वनि का फैलाव (Propagation of Sound):

    • ध्वनि का प्रसार एक माध्यम (air, पानी, धातु) में होता है। यह माध्यम की कणों के बीच से होकर यात्रा करती है।
    • ध्वनि केवल ठोस, तरल और गैस जैसे माध्यमों में फैलती है। इसे खाली स्थान (वैक्यूम) में नहीं सुना जा सकता, क्योंकि वहां कण नहीं होते जो ध्वनि को संचारित कर सकें।
    • ध्वनि का फैलाव ध्वनि तरंगों (sound waves) के रूप में होता है, जो कंप्रेशन और रारफिकेशन (compression and rarefaction) के रूप में होते हैं।
  3. ध्वनि की गुण:

    • आवृत्ति (Frequency): ध्वनि तरंगों की आवृत्ति यह निर्धारित करती है कि ध्वनि कितनी ऊँची या नीची होगी। उच्च आवृत्ति वाली ध्वनियाँ तेज और उच्च होती हैं, जबकि कम आवृत्ति वाली ध्वनियाँ धीमी और गहरी होती हैं।

      • उच्च आवृत्ति वाली ध्वनियाँ उच्च स्वर (high pitch) होती हैं, जैसे शेर की गर्जना।
      • कम आवृत्ति वाली ध्वनियाँ निम्न स्वर (low pitch) होती हैं, जैसे डमरू की आवाज़।
    • ध्वनि की तीव्रता (Intensity of Sound): यह ध्वनि की मात्रा या शक्ति को दर्शाती है। तीव्रता को dB (डेसिबल) में मापा जाता है। उच्च तीव्रता वाली ध्वनियाँ तेज़ होती हैं।

    • गुणवत्ता (Quality): यह ध्वनि के स्वर के रंग को संदर्भित करता है, जो विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न ध्वनियों को अलग-अलग बनाता है, जैसे एक गिटार और पियानो से निकलने वाली एक ही ध्वनि अलग-अलग महसूस होती है।

  4. ध्वनि की गति (Speed of Sound):

    • ध्वनि की गति का मान माध्यम पर निर्भर करता है। हवा में ध्वनि की गति लगभग 343 मीटर प्रति सेकंड (m/s) होती है, जबकि पानी और ठोस पदार्थों में ध्वनि की गति अधिक होती है।
    • ध्वनि की गति तापमान पर भी निर्भर करती है। उच्च तापमान पर ध्वनि की गति तेज़ होती है क्योंकि उच्च तापमान में कण जल्दी गति करते हैं।
  5. ध्वनि का प्रतिबिंब (Reflection of Sound):

    • जब ध्वनि तरंगें किसी ठोस सतह से टकराती हैं, तो वे वापस लौट जाती हैं। इसे ध्वनि का प्रतिबिंब (echo) कहते हैं। यह नियम सोनार (sonar) और इकोलोकेशन (echolocation) में उपयोग किया जाता है।
    • उदाहरण: गुफा में आवाज गूंजना या पहाड़ों में ध्वनि का गूंजना।
  6. ध्वनि का स्वास्थ्य पर प्रभाव:

    • अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह मानसिक तनाव, सुनने की क्षमता में कमी और अन्य शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
    • इसके परिणामस्वरूप उच्च तीव्रता की ध्वनियाँ (जैसे मशीनों या ट्रैफिक की आवाज़) कानों में सुनाई देती हैं और इससे सुनने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  7. ध्वनि की अनुप्रयोग (Applications of Sound):

    • संगीत और संचार: संगीत और अन्य संचार उपकरणों में ध्वनि का उपयोग किया जाता है।
    • सोनार और इकोलोकेशन: ध्वनि का उपयोग पानी के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।
    • ध्वनि का चिकित्सा में उपयोग: जैसे अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग चिकित्सा निदान (जैसे, अल्ट्रासाउंड) में किया जाता है।

निष्कर्ष:

"ध्वनि" अध्याय से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है, यह किस प्रकार माध्यम में फैलती है, और इसके विभिन्न गुण क्या होते हैं। ध्वनि की गति, तीव्रता, आवृत्ति और गुणवत्ता को समझकर हम ध्वनि की भौतिकी को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। ध्वनि का स्वास्थ्य पर प्रभाव और इसके विभिन्न अनुप्रयोगों को जानकर हम इसे अपने जीवन में सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं।