बिहार बोर्ड कक्षा 9 वी विज्ञान - अध्याय 14: प्राकृतिक संसाधन की NCERT Book
"प्राकृतिक संसाधन" कक्षा 9 का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो हमें पृथ्वी पर उपलब्ध विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। प्राकृतिक संसाधन वे हैं जो प्रकृति से हमें बिना किसी मानव हस्तक्षेप के प्राप्त होते हैं, जैसे जल, हवा, खनिज, वनस्पतियाँ, और जीव-जंतु। इस अध्याय में हम इन संसाधनों की उत्पत्ति, उपयोग, और इनके संरक्षण की आवश्यकता को समझेंगे।
महत्वपूर्ण बिंदु:
प्राकृतिक संसाधन क्या हैं?
- प्राकृतिक संसाधन वे तत्व या पदार्थ हैं जो प्रकृति से सीधे प्राप्त होते हैं, बिना किसी मानव हस्तक्षेप के। इनमें भूमि, जल, वायु, खनिज, वनस्पतियाँ, और जीव-जंतु शामिल हैं।
- ये संसाधन हमारे जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किए जाते हैं और सभी जीवों के अस्तित्व के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार:
- नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources): ये संसाधन प्राकृतिक रूप से पुनः उत्पन्न होते रहते हैं। जैसे, सूर्य की ऊर्जा, वायु, जल, और वनस्पतियाँ।
- अविनाशी संसाधन (Non-renewable Resources): ये संसाधन सीमित होते हैं और एक बार समाप्त हो जाने पर पुनः उत्पन्न नहीं होते। जैसे, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम, और गैस।
प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग:
- जल: पीने के पानी, कृषि, उद्योग, और बिजली उत्पादन में उपयोग होता है।
- वनस्पतियाँ: भोजन, औषधियाँ, और लकड़ी की आपूर्ति में उपयोग की जाती हैं।
- खनिज: निर्माण, ऊर्जा उत्पादन, और अन्य उद्योगों में उपयोग होते हैं।
- वायु: वायु की गुणवत्ता जीवन के लिए आवश्यक है और इसका उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है (जैसे पवन ऊर्जा)।
प्राकृतिक संसाधनों का शोषण:
- इंसान ने प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण किया है, जैसे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, जल स्रोतों का अत्यधिक दोहन, और खनिजों की खनन गतिविधियाँ।
- इस शोषण के कारण पर्यावरणीय असंतुलन, जलवायु परिवर्तन, और जैव विविधता का नुकसान हुआ है।
- जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण जैसी समस्याएँ आज के समय की प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियाँ हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण:
- प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए हमें कई उपायों को अपनाना चाहिए।
- पुनर्नवीकरण (Recycling): संसाधनों के पुनर्नवीकरण से हम इनका उपयोग और बचत कर सकते हैं।
- संवर्धन (Conservation): जल, वन, और अन्य संसाधनों का सही उपयोग और इनके पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देना चाहिए।
- सतत विकास (Sustainable Development): इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित और दीर्घकालिक उपयोग करना है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका उपयोग कर सकें।
प्राकृतिक संसाधनों का असंतुलित उपयोग:
- वृक्षारोपण और जंगलों की कटाई: वनों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन और प्राकृतिविक संकट पैदा हो रहा है।
- जल संकट: जल का अत्यधिक उपयोग और प्रदूषण जल संकट का मुख्य कारण हैं।
- खनिजों का अत्यधिक उपयोग: खनिज संसाधनों का अत्यधिक दोहन पृथ्वी के पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालता है।
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के उपाय:
- वृक्षारोपण: अधिक से अधिक पेड़-पौधों की रोपाई करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
- जल पुनर्चक्रण (Water Recycling): जल का पुनः उपयोग करने से जल संकट को रोका जा सकता है।
- सौर ऊर्जा का उपयोग: सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करना चाहिए।
- प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग: हमें प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करके उनका संरक्षण करना चाहिए।
निष्कर्ष:
"प्राकृतिक संसाधन" अध्याय से यह स्पष्ट होता है कि पृथ्वी पर हमारे जीवन को बनाए रखने के लिए इन संसाधनों का सही और सतत उपयोग करना जरूरी है। इन संसाधनों का शोषण और असंतुलित उपयोग हमारे पर्यावरण और जैव विविधता को खतरे में डाल रहा है। इसलिए, इनका संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की उपलब्धता बनी रहे और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखा जा सके।