बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. फीनॉल की अम्लता ऐल्कोहॉल की अपेक्षा अधिक है। क्यों ?
उत्तर⇒ फीनॉल की धातुओं (उदाहरणार्थ-सोडियम तथा ऐलुमिनियम) तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रियाएँ इसकी अम्लीय प्रकृति को दर्शाती है। फीनॉल में हाइड्रॉक्सिल समूह बेंजीन वलय के sp2 संकरित कार्बन से सीधा संयुक्त रहता है। जो कि इलेक्ट्रॉन अपनयक समूह के रूप में कार्य करता है।
किसी ऐल्कोहॉल तथा फिनॉल का आयनन निम्नलिखित प्रकार से होता है-
फीनॉल में -OH से संयुक्त sp2 संकरित कार्बन को उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण ऑक्सीजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है। जिससे O-H आबंध की ध्रुवता बढ़ती है।
ऐलकॉक्साइड आयनों में ऋणावेश ऑक्सीजन पर स्थानागत होता है। जबकि फीनॉक्साइड आयनों में विस्थापित होता है। ऋणावेश का विस्थानन संरचना (1 – V) फीनॉक्साइड आयनों को अधिक स्थायी बनाता है तथा फीनॉल के आयनन में सहायक होता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए :
उत्तर⇒ (i) 2, 2, 4-ट्राईमिथाइल पेंटेन-3-ऑल
(ii) 5-इथाइल हेप्टेन-2, 4-डाइऑल
(iii) ब्यूटेन-2, 3-डाइऑल
(iv) प्रोपेन-1, 2, 3-ट्राइऑल
(v) 2-मेथिल फिनॉल
(vi) 4-मेथिल फिनॉल
(vii) 2, 5-डाइमेथिल फीनॉल
(viii) 2, 6-डाइमेथिल फीनॉल
(ix) 1-मिथॉलमा-2-मेथिलप्रोपेन
(x) एथॉक्सीबेंजीन
(xi) 1-फीनॉक्सीहेप्टेन
(xii) 2-एथॉक्सीब्यूटेन।
प्रश्न 3. निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण दीजिए।
(i) प्रोपेन-1-ऑल का क्षारीय KMnO4 के साथ ऑक्सीकरण।
(ii) ब्रोमीन की CS2 की फिनॉल से अभिक्रिया।
(iii) तनु HNO3 की फिनॉल से अभिक्रिया।
(iv) फिनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया।
उत्तर⇒ (i) CH3CH2CH2OH + 2 [ O ] CH3CH2COOH + H2O
(ii) फिनॉल की ब्रोमीन व CS2 के साथ अभिक्रिया-
(iii) फिनॉल की तुन HNO3 के साथ अभिक्रिया
(iv) फिनॉल की CHCl3 व जलीय NaOH से अभिक्रिया
प्रश्न 4. निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए-
(i) विलियम्सन ईथर संश्लेषण
(ii) असममित ईथर।
उत्तर⇒ (i) विलियम्सन ईथर संश्लेषण- यह सममित और असममित ईथरों को बनाने की एक महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि है। इस विधि में, ऐल्क्लि हैलाइड की सोडियम ऐल्काक्साइड के साथ अभिक्रिया करायी जाती है।
R - C + R' ONa - R-O-R' +NaX
इस अभिक्रिया में प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्काक्साइड आयन का SN2 आक्रमण होता है।
(ii) असममित ईथर- यदि ईथरल ऑक्सीजन के दोनों ओर दो विपरीत एल्काइल या ऐरिल समूह उपस्थित हो तो ऐसा ईथर असममित ईथर कहलाता है।
प्रश्न 5. हाइड्रोजन आयोडाइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए
(i) 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन (ii) मेथॉक्सीबेन्जीन तथा (iii) बेन्जिल एथिल ईथर
उत्तर⇒
प्रश्न 6. निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए-
(i) फ्रिडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया-ऐनिसोल का ऐल्किलन
(ii) ऐनिसोल का नाइट्रीकरण
(iii) एथेनॉइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन
(iv) ऐनिसोल का फ्रिडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन।
उत्तर⇒ (i) फ्रिडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया-ऐनिसोल का ऐल्किलन-
(ii) नाइट्रीकरण- एनिसोल जब सांद्र H2SO4 व HNO3 के मिश्रण से मिलता है तब आर्थों और पैरा नाइट्रो ऐनिसाल बनता है।
(iii) एथेनोइक अम्ल माध्यम में एनिसॉल का ब्रोमीकरण- फिनाइल एल्काइल इथर को हैलोजनन करते हैं जैसे एनिसॉल का ब्रोमीन कर ब्रोमो ऐनिसाल बनता है।
(iv) ऐनिसोल का फ्रिडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन - ऐनिसोल इलेक्ट्रॉन प्रतिस्थापन अभिक्रिया दर्शाता है तब इसे ऐसीटल क्लोराइड के साथ AICI3 की उपस्थिति में क्रियाशील किया जाता है। AICI3 लेविस अम्ल की भाँति कार्य करता है। ऐसीटाइल वर्ग दोनों आर्थों और पैरा समूह पर आता है।
प्रश्न 7. मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल बनाने की विभिन्न सामान्य विधियों की विवेचना करें इनके सामान्य रासायनिक गुणों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल बनाने की सामान्य विधियाँ-
(i) ऐल्किल हैलाइड के जल-अपघटन द्वारा- ऐल्किल हैलाइड का जलीय कास्टिल क्षार या आर्द्र सिल्वर ऑक्साइड द्वारा जल-अपघटन करने पर ऐल्कोहल प्राप्त होते हैं।
R-X + KOH RHO + KX
CH3I + KOH CH3OH + Cl
मिथिल आयोडाइड मेथिल ऐल्कोहॉल
R - CH2 - X + AgOH R - CH2OH + AgX
CH3 - CH2 - Br CH3 - CH2OH + AgBr
एथिल ब्रोमाइड एथिल एल्कोहल
(i) ऐल्डिहाइड एवं कीटोन के अवकरण द्वारा- ऐल्डिहाइड एवं कीटोन का अवकरण करने पर एल्कोहल प्राप्त होता है। RCHO + 2 [ H ] R -CH2OH
प्राथमिक ऐल्कोहॉल
R - CO -R' + 2[ H ] R- CH(OH) - R'
द्वितीयक ऐल्कोहॉल
(iii) ग्रिगनार्ड-प्रतिकर्मक द्वारा- ग्रिगनार्ड प्रतिकर्मक की प्रतिक्रिया फॉर्मल्डिहाइड, फॉर्मल्डिहाइड को छोड़ किसी दूसरे ऐल्डिहाइड तथा कीटोन से करने पर पहले योगशील यौगिक प्राप्त होते हैं।
इनका जल-अपघटन करने पर क्रमशः प्राथमिक, द्वितीय एवं तृतीय ऐल्कोहल प्राप्त होते हैं।
जहाँ R , R' एवं R'' तीन भिन्न ऐल्किल मूलक हैं।
ऐल्कोहल के सामान्य रासायनिक गुण-
1. ऑक्सीकरण -
(क) प्राथमिक ऐल्कोहल को जलीय KMnO4 द्वारा ऑक्सीकृत करने पर कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं।
R-CH2-OH +2 [O]R - COOH +H2O
प्राथमिक एल्कोहल कार्बोक्सिल अम्ल
CH3 CH2CH2OH + 2 [ O ] CH3 CH2-COOH +H2O
प्रापिल एल्कोहल प्रोपायोनिक अम्ल
प्राथमिक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण पोटैशियम डाइक्रोमेट एवं सांद्र सल्फ्लूरिक अम्ल द्वारा कराने पर पहले ऐल्डिहाइड बनता है। जो पुनः ऑक्सीकृत होकर कार्बोक्सिलिक अम्ल में परिणत हो जाते हैं।
R -CH2OH + [ O ] R - COOH +H2O
कार्बोक्सिलिक अम्ल
CH3- CH2 2OH + [ O ]
CH3 CH2CHO CH3 CH2COOH
प्रोपायोनल्डिहाइड प्रोपायोनिक अम्ल
उपर्युक्त प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट होता है कि प्राथमिक एल्कोहॉल के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप प्राप्त ऐल्डिहाइड एवं अम्ल में कार्बन परमाणुओं की संख्या समान होती है।
(ख) द्वितीयक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण- द्वितीयक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण जलीय KMnO4 या K2Cr2O7 एवं सान्द्र H2SO4 द्वारा कराने पर ऐल्कोहॉल के समान कार्बन परमाणुओं की संख्या वाला कीटोन बनता है।
कीटोन एल्डिहाइड की तरह सुगमतापूर्वक ऑक्सीकृत नहीं होता है। यह प्रतिक्रिया की प्रचंड अवस्था में ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल से एक कम कार्बन परमाणुओं की संख्या वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल में परिणत हो जाते हैं।
(ग) तृतीयक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण- तृतीयक ऐल्कोहॉल उदासीन या क्षारीय घोल में ऑक्सीकरण का प्रतिरोधी होता है। किन्तु यह पोटैशियम डाइक्रोमेट एवं सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा ऑक्सीकृत होकर पहले कीटोन तथा फिर अम्ल बनाता है।
इस प्रकार, तृतीयक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण होने पर कार्बन परमाणुओं की संख्या पहले ही चरण में घट जाती है।
2. एस्टरीकरण - अम्लीय उत्प्रेरक ( HCl , H2SO4 तथा लूइस अम्ल BF3 आदि) की उपस्थिति में ऐल्कोहल कार्बोक्सिलिक अम्लों से प्रतिक्रिया कर एस्टर बनाते हैं।
R - COOH + H- O-R'RCOOR' + H2O
अम्ल ऐल्कोहॉल एस्टर
CH3COOH + HOC2H5 CH3COOC2H5 + H2O
ऐसीटिक अम्ल ऐथिल एल्कोहॉल एथिल ऐसीटेट
ऐल्कोहल एवं अम्ल की प्रतिक्रिया द्वारा एस्टर बनने की क्रिया एस्टरीकरण कहलाती है।
3. सल्फ्यूरिक अम्ल की प्रतिक्रिया- अन्य अम्ल की तरह सल्फ्यूरिक अम्ल भी ऐल्कोहॉल से कमरे के ताप पर प्रतिक्रिया कर एस्टर बनाता है।
R - OH +HOSO3H ROSO3H + H2O
ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट
सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा ऐल्कोहॉल जल निकलने की क्रिया निर्जलीकरण कहलाते हैं।
प्रश्न 8. ईथर बनाने की विभिन्न सामान्य विधियों की विवेचना करें। इनके सामान्य रासायनिक गुणों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ ईथर बनाने की सामान्य विधियाँ-
(i) अल्काइल हैलाइड से-अल्काइल हैलाइड को सोडियम एल्कोसाइड के साथ गर्म करने से ईथर बनता है।
R - ONa + R-X R-O-R + NaX
सोडियम अल्काइल ईथर
एल्कोसाइड हैलाइड
इसे विलियम्सन की विधि कहते हैं।
C2H5 -ONa + C2H5I C2H5-O-C2H5+NaI
सोडियम इथाइल डाइइथाइल ईथर
इथॉक्साइड आयोडाइड
(ii) अल्कोहल से- अल्कोहल के अधिक मात्रा को 140C तक सान्द्र गन्धकाम्ल के साथ गर्म करने पर ईथर बनता है।
R-OH +R-ORR - O - R + H2O
. ईथर
C2H5-OH + H-O-C2H5 C2H5 - O -C2H5+H2O
इथानॉल डाइइथाइल ईथर
(iii) अल्कोहल के निर्जलीकरण से- एल्कोहल को वाष्प के 250C तक तप्त किए हुए एल्युमिनियम ऑक्साइड उत्प्रेरक के ऊपर प्रवाहित करने से जल का एक अणु निष्कासित होता है और ईथर बनता है।
R - OH +HOR R - O - R + H2O
. ईथर
C2H5-OH +HO-C2H5 C2H5-O-C2H5+H2O
. डाइइथाइल ईथर
ईथर का सामान्य रासायनिक गुण-
(i) HX के साथ प्रतिक्रिया-
R - O -R+HXR - OH +RX
ईथर अल्कोहल अल्काइड
हैलाइड
C2H5-O - C2H5 + HI C2H5OH + C2H5I
डाइ इथाइल ईथर इथाइल इथाइल
. अल्कोहल आयोडाइड
(ii) FCl5 के साथ प्रतिक्रिया- ईथर PCl5 के साथ प्रतिक्रिया कर अल्काइन क्लोराइड देता है।
R - O +PCl5 2R - Cl +POCl3
ईथर अल्काइल क्लोराइड
C2H5- O -C2H5 +PCl5 2C2H5Cl +POCl3
डाइ ईथाइल ईथर अल्काइल क्लोराइड
(iii) एसिड हैलाइड के साथ प्रतिक्रिया - ईथर, एसिद्ध हैलाइड के साथ अनार्द्र जिंक क्लोराइड की उपस्थिति में प्रतिक्रिया कर एस्टर बनाता है।
प्रश्न 9. क्या होता है जब-
1. C2H5OH (इथाइल ऐल्कोहॉल) सोडियम से प्रतिक्रिया करता है।
2. मिथाइल ऐल्कोहॉल (CH3OH) अमोनिया के साथ प्रतिक्रिया करता है।
3. सोडियम एसीटेट के सोडा लाइम के साथ गर्म किया जाता है।
4. CH3CHO HCN गैस के साथ प्रतिक्रिया करता है।
5. C3H5Br Alc. KOH के साथ प्रतिक्रिया करता है।
6. फॉर्मलडिहाइड को फेहलिंग समाधान के साथ गर्म किया जाता है।
7. एथिल ऐल्कोहॉल को ब्लीचिंग पाउडर के साथ गर्म किया जाता है।
उत्तर⇒ 1. इथाइल ऐल्कोहॉल , सोडियम (Na से प्रतिक्रिया कर सोडियम एथोक्साइड (C2H5ONa) बनाता है।
प्रतिक्रिया 2C2H5OH + 2Na 2C2H5ONa + H2
2. मिथाइल ऐल्कोहॉल एवं अमोनिया के मूल्य मिजोटोन से लाल गरम ZnCl2 एवं NH3 के खुद के ऊपर प्रवाहित करने पर मिथाइल एमाइन का निर्माण होता है।
CH3OH + NH3 CH3-NH2 +H2O
3. जब सोडियम एसीटेट को सोडा लाइम के साथ गर्म किया जाता है तो nethare का निर्माण होता है।
CH3-COONa + NaOH CH4 + CH3COONa
4. एसीटैल्डिहाइड जब HCN गैस के साथ प्रतिक्रिया करता है तो एसीटैल्डिहाइड सायनोहाइड्रिन बनाता है।
5. एथिल ब्रोमाइड को जब Alc. KOH के साथ गर्म किया जाता है तो इथिलीन एवं डाइथाइल ईथर बनाता है।
C2H5Br + KOH C2H4 +KBr +H2O
C2H5Br + C2H5OH + KOH C2H5OC2H5 + KBr +H2O
6. फॉर्मलडिहाइड के जब फेलिंग के साथ गर्म किया जाता है। तो क्यूप्रस ऑक्साइड का लाल अवक्षेप बनता है।
HCHO + Cl(OH)2 H-COOH + Cu2O + 2H2O
7. जल की अनुपस्थिति में इथाइल अल्कोहल को ब्लीचिंग पाउडर के साथ गर्म करने पर एसीटैल्डिहाइड का निर्माण होता है।
Ca(OCl) Cl +H2O Ca(OH2) + Cl2
C2H5OH +Cl2 CH3CHO + 2HCl
प्रश्न 10. क्या होता है जब :
(i) इथाइल अल्कोहल को सान्द्र H2SO4 के साथ 100C तक गर्म किया जाता है।
(ii) एसीटोन को I2 एवं NaOH के साथ गर्म किया जाता है।
(iii) फॉर्मल्डेहाइड को जब KOH विलयन के साथ गर्म किया जाता है।
(iv) CH3CHO (एसीटैल्डिहाइड) सोडियम हाइड्रोक्साइड के विलयन के साथ प्रतिक्रिया करायी जाती।
(v) यूरिया के 5 % घोल का 273 K पर परासरणी दवाब की गणना करें।
उत्तर⇒ (i) जब इथेनॉल या इथाइलअल्कोहल को सान्द्र H2SO4 क माश 100C पर गर्म किया जाता है तो इथाइल हाइड्रोजन सल्फेट का निर्माण होता है।
(ii) जब एसीटोन को I2 एवं NaOH के साथ गर्म किया जाता है तो आयडोफार्म का निर्माण होता है।
CH3COCH3 + 3I2 + 4NaOH CHI3 + NaI + CH
. आयडोफार्म
(iii) फॉर्मल्डेहाइड को जब KOH विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो मिथाइल अल्कोहल एवं पोटैशियम फॉर्मेट बनता है।
2HCHO + KOH CH3OH + HCOOK
(iv) एसीटैल्डिहाइड को जब सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) के विलयन के साथ प्रतिक्रिया करायी जाती है तो एल्डोल संघनन का निर्माण होता है।
(v) हम जानते है कि = n R T V
यूरिया का आणविक भार = 60
यूरिया में मोलो की संख्या = 560 = 8.33
घोल का आयतन = 100 cc = 1001000
= 0.833 0.082 273 0.1 = 18.65 atom .
प्रश्न 11. क्या होता है जब बेंजाइल फिनाइल ईथर HI के साथ 675 K ताप पर अभिक्रिया करता है ?
उत्तर⇒
प्रश्न 12. इथोनॉल (C2H5OH) और फिनॉल को पहचानने के लिए परीक्षण लिखें।
उत्तर⇒ (i) लिटमस परीक्षण-क्योंकि फीनॉल अम्लीय है इसलिए नीले लिटमस को लाल कर देता है। जबकि एथेनॉल ऐसा नहीं करता है।
(ii) FeCl3 परीक्षण- उदासीन FeCl3 विलयन के साथ फिनॉल बैंगनी रंग उत्पन्न करता है।
(iii) Br2 परीक्षण- फिनॉल ब्रोमीन जल को रंगहीन कर देता है।
प्रश्न 13. मिथेनॉल और इथेनॉल को कैसे पहचानेंगे ?
उत्तर⇒ इथोनाफल आयोडोफार्म परीक्षण देता है। जबकि मिथेनॉल ऐसा नहीं करता।
CH3CH2OH + NaOI CH3CHO +NaI + H2O
CH3CHO + 3NaOI CHI3 + HCOONa + 2NaOH
प्रश्न 14. आप कैसे पहचानेंगे ?
(a) मिथेनॉल और इथेनॉल को।
(b) फीनॉल और साइक्लोहेक्सानॉल को
उत्तर⇒ (a) मिथेनॉल- यह आयोडोफार्म जाँच नहीं देता है
CH3OH + I2 + NaOH अवक्षेप नहीं
इथेनॉल- यह आयोडोफार्म परीक्षण देता है।
C2H5OH +I2 + NaOH CHI3
(b) फिनॉल- फिनॉल उदासीन FeCl3 से प्रतिक्रिया कर बैगनी रंग का आयरन फिनॉल जटिल यौगिक बनाता है।
साइक्लोहेक्सनॉल- यह FeCl3 परीक्षण नहीं देता है।
प्रश्न 15. निम्नलिखित आई० यू०पी०ए०सी० नाम वाले यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए-
(i) 2-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल
(ii) 1-फेनिलप्रोपेन-2-ऑल
(iii) 3, 5-डाइमेथिल हेम्सेन-1, 3, 5-ट्राइऑल
(iv) 2, 3-डाइएथिल फीनॉल
(v) 1-ऐथॉक्सी प्रोपेन
(vi) 3-मेथिल-2-एथाक्सीपेंटेन
(vii) साइक्लोहैक्सिल मैथेनॉल
उत्तर⇒
प्रश्न 16. समतुल्य आण्विक भार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं। इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर⇒ समतुल्य अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं क्योंकि ऐल्कोहॉल अणु जल के साथ हाइड्रोजन आबन्धन बनाते हैं तथा जल के अणुओं के मध्य पहले से उपस्थित H - आबन्धों को तोड़ भी सकते हैं। हाइड्रोकार्बन ऐसा नहीं कर पाते हैं।
प्रश्न 17. ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर के प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर ऐल्कोहॉल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं –
मेथिल ऐल्कोहॉल तथा गैसोलीन का 20 % मिश्रण एक श्रेष्ठ मोटर ईंधन है।
इसका प्रयोग तेल, वसा तथा वार्निश के विलायक के रूप में किया जाता है।
इसका प्रयोग स्वचालित वाहनों के रेडिएटरों में प्रतिशीतलक के रूप में किया जाता है।
इसका प्रयोग रंजक, औषधियों तथा सुगन्धियों के निर्माण में किया जाता है।
इसका प्रयोग टेरीलीन तथा पॉलीथीन के निर्माण में भी होता है।
इसका प्रयोग ऐल्कोहॉलीय पेय पदार्थ बनाने में किया जाता है।
फीनॉल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं –
इसका प्रयोग पिक्रिक अम्ल (विस्फोटक) के निर्माण में तथा रेशम व ऊन के रंजन में किया जाता है।
इसका प्रयोग साइक्लोहेक्सेनॉल विलायक के निर्माण में किया जाता है।
इसका प्रयोग साबुन, लोशन तथा आयण्टमेण्ट में ऐण्टिसेप्टिक के रूप में किया जाता है।
इसका प्रयोग ऐजो रंजक, फीनॉल्फ्थेलीन आदि के निर्माण में किया जाता है।
इसका प्रयोग बैकेलाइट प्लास्टिक के निर्माण में किया जाता है।
इसका प्रयोग ऐस्प्रिन, सेलॉल आदि औषधियों के निर्माण में किया जाता है।
ईथरों के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं –
इनका सर्वाधिक प्रयोग प्रयोगशाला एवं उद्योगों में तेल, रेजिन, गोद आदि के विलायकों के रूप में किया जाता है।
ईथर ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों के बनाने तथा वुज अभिक्रिया में अभिकर्मक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
ईथर का प्रयोग ‘सामान्य बेहोशीकारक के रूप में किया जाता है।
ऐल्कोहॉल तथा ईथर के मिश्रण का प्रयोग पेट्रोल के विकल्प के रूप में किया जाता है।
ईथर का प्रयोग प्रशीतक के रूप में किया जाता है क्योंकि यह वाष्पन पर ठण्डक उत्पन्न करता है। ईथर तथा शुष्क बर्फ (ठोस CO2) -110C ताप उत्पन्न करता है।
ईथर का प्रयोग धुआँरहित पाउडर बनाने में करते हैं। इनका प्रयोग सुगन्धी उद्योग में भी किया
प्रश्न 18. यौगिक C4H10O एक ऐल्केन की H2SO4/H2O के साथ क्रिया से निर्मित होता है जो कि प्रकाशिक समावयवियों में पृथक नहीं होता है। यौगिक की पहचान कीजिए।
उत्तर⇒
सूत्र सुझाता है कि यौगिक एक ऐल्कोहॉल है। चूंकि यह समावयवियों में पृथक् नहीं होता है अतः यह सममित है तथा यह तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल है। संगत ऐल्केन आइसोब्यूटेन है। ऐल्कोहॉल का निर्माण निम्नवत् होता है –
प्रश्न 19. हाइड्रोबोरॉनीकरण-ऑक्सीकरण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर⇒
डाइबोरेन का ऐल्कीनों से योग द्वारा ट्राइऐल्किलबोरेन का निर्माण तथा इसके क्षारीय H2O2 द्वारा ऑक्सीकरण से ऐल्कोहॉल का निर्माण, यह अभिक्रिया हाइड्रोबोरॉनीकरण-ऑक्सीकरण कहलाती है।
प्रश्न 20. फीनॉल का लीबरमान अभिक्रिया द्वारा परीक्षण लिखिए।
उत्तर⇒
जब फीनॉल सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल में घुले सोडियम नाइट्राइट से अभिक्रिया करता है तो नीला या हरा रंग प्रकट होता है। क्रियाकारी मिश्रण को जल से तनु करने पर रंग लाल हो जाता है तथा आधिक्य में NaOH मिलाने पर रंग पुनः नीला हो जाता है। इस अभिक्रिया को ही लीबरमान अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 21. सैटजैफ नियम को उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर⇒
मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 160 - 17OC पर गर्म करने पर ऐल्कोहॉल का -OH तथा -हाइड्रोजन परमाणु मिलकर H2O के अणु के रूप में निकल जाते हैं तथा एथिलीन बनती हैं।
प्रश्न 22. आप मेथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विभेद कैसे करेंगे? (केवल एक रासायनिक परीक्षण तथा अभिक्रिया का समीकरण दीजिए)।
उत्तर⇒ मेथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विभेद आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा किया जा सकता है। एथिल ऐल्कोहॉल को जब आयोडीन तथा जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड या जलीय सोडियम कार्बोनेट विलयन के साथ गर्म करते हैं तो पीला क्रिस्टलीय ठोस आयोडोफॉर्म बनता है।
मेथिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है।
प्रश्न 23. कारण बताइए कि मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में एथेनॉल का क्वथनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर⇒ ऋणविद्युती ऑक्सीजन परमाणु के हाइड्रोजन परमाणु से जुड़े होने के कारण एथेनॉल में अन्तरा-अणुक हाइड्रोजन आबन्धन पाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप एथेनॉल संयुग्मी अणु के रूप में पाया जाता है। H-आबन्धों को तोड़ने के लिए ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा की आवश्यकता पड़ती है। अतः एथेनॉल का क्वथनांक मेथॉक्सीमेथेन, जो कि हाइड्रोजन आबन्धन नहीं बनाता है, से उच्च होता है।
प्रश्न 24. निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए –
फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया-ऐनिसोल का ऐल्किलीकरण
ऐनिसोल का नाइट्रीकरण
एथेनोइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनीकरण
ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलीकरण।
उत्तर⇒
1. फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया – ऐनिसोल फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया दर्शाता है अर्थात् निर्जलीय ऐलुमिनियम क्लोराइड (लुईस अम्ल) उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐल्किल हैलाइड से अभिक्रिया होने पर ऐल्किल समूह ऑर्थों तथा पैरास्थितियों पर निर्देशित हो जाता है।
2. ऐनिसोल को नाइट्रीकरण – ऐनिसोल की अभिक्रिया सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल तथा सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के मिश्रण से कराने पर ऑथों तथा पैरा-नाइट्रोऐनिसोल का मिश्रण प्राप्त होता है।
3. एथेनोइक अम्ल के माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनीकरण ( हैलोजेनीकरण) - फेनिलऐल्किल ईथर बेन्जीन वलय में सामान्य हैलोजेनीकरण दर्शाते हैं; उदाहरणार्थ– ऐनिसोल आयरन (II) ब्रोमाइड उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में भी एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीन के साथ ब्रोमीनीकरण दर्शाता है। ऐसा मेथॉक्सी समूह द्वारा बेन्जीन वलय को सक्रियत करने के कारण होता है। पैरा समावयव की 90 % मात्रा प्राप्त होती है।
4. ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलीकरण –
प्रश्न 25. मेथॉक्सीमेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर⇒
मेथॉक्सीमेथेन तथा HI की सममोलर मात्राएँ मेथिल ऐल्कोहॉल तथा मेथिल आयोडाइड का मिश्रण बनाती हैं। अभिक्रिया की क्रियाविधि इस प्रकार है –
यदि HI की अधिक मात्रा का प्रयोग किया जाता है तो द्वितीय पद में बना मेथेनॉल निम्नलिखित क्रियाविधि द्वारा मेथिल आयोडाइड में परिवर्तित हो जाता है –