बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 12 एल्डिहाइड, कीटोन और कार्बोक्सिलिक अम्ल दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 12 एल्डिहाइड, कीटोन और कार्बोक्सिलिक अम्ल दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > रसायन विज्ञान अध्याय 12 एल्डिहाइड, कीटोन और कार्बोक्सिलिक अम्ल - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित अभिक्रिया को उदाहरण सहित व्याख्या करें :

(a) ऐलडोल संघनन (b) कैनिजारो अभिक्रिया

उत्तर⇒ (a) ऐलडोल संघनन-जिन ऐल्डिहाइडो व कीटोनो में कम-से-कम एक α-हाइड्रोजन विद्यमान होती है, वे तनु क्षार के उत्प्रेरक की तरह उपस्थिति में एक अभिक्रिया द्वारा क्रमशः β-हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (एलडोल) अथवा β-हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) प्रदान करते हैं। इस अभिक्रिया को ऐलडोल अभिक्रिया कहते हैं।

  ऐलडोल व कीटोल आसानी से जल निष्कासित करके α, β-असंतृप्त कार्बोनिल यौगिक देते हैं जो ऐलडोल संघनन उत्पाद है।

          (b) कैनिजारो अभिक्रिया-ऐल्डिहाइड, जिनमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते सांद्र क्षार की उपस्थिति में गरम करने से स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) की अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है। जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।

उदाहरण-

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प्रश्न 2. कोल्बे अभिक्रिया तथा राइमर-टीमन अभिक्रिया क्या है ? व्याख्या करें।

उत्तर⇒ कोल्बे अभिक्रिया- फीनॉल को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिकृत कराने से बना फीनॉक्साइड आयन, फीनॉल की अपेक्षा इलेक्ट्रॉनरागी ऐरोमैटिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति अधिक क्रियाशील होता है। अतः वह CO2 जैसे दुर्बल इलेक्ट्रॉनरागी के साथ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करता है। इससे ऑर्थी हाइड्रॉक्सीबेन्जोइक अम्ल मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।

         राइमर-टीमन अभिक्रिया- फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया से बेंजीन में, – CHO समूह ऑर्थो स्थिति पर प्रवेश कर जाता है। इस अभिक्रिया को राइमर-टीमन अभिक्रिया कहते हैं।

      प्रतिस्थापित मध्यवर्ती बेन्जिल क्लोराइड क्षार की उपस्थिति में अपघटित होकर सैलिसैलिडहाइड बनाता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी (IUPAC) नाम पद्धति में नाम लिखिए-

(i) CH3CH(CH3)CH2CHO

(ii) CH3CH2COCH(C2H5)CH2CH2Cl

(iii) CH3CH=CHCHO

(iv) CH3COCH2COCH3

(v) CH3CH(CH3)CH2C(CH3)2COCH3

(vi) (CH3)3CCH2COOH

(vii) OHCC6H4CHO-P

उत्तर⇒

प्रश्न 4. निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के आइयूपीएसी (IUPAC) नाम लिखिए और जहाँ संभव हो सके साधारण नाम भी दीजिए।

(i) CH3CO(CH2)4CH3

(ii) CH3CH2CHBr CH2CH(CH3)CHO

(iii) CH3(CH2)5CHO

(iv) Ph-CH=CH-CHO

(v)

(vi) PhcoPh

उत्तर⇒ (i) हेप्टेन-2-ओन

(ii) 4-ब्रोमो-2-मेथिल हैक्सेनैल

(iii) हैप्टेनल

(iv) 3-फेनिल प्रोपेनल

(v) साइक्लोपेन्टेन कार्बोल्डिहाइड।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में कौन-से यौगिकों में ऐल्डोल संघनन होगा, किनमें कैनिजारो अभिक्रिया होगी और किनमें उपर्युक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी ? ऐल्डोल संघनन तथा कैनिजारों अभिक्रिया में संभावित उत्पादों की संरचना लिखिए :

(i) मेथेनल

(ii) 2-मेथिलपेन्टेनैल

(iii) बेन्जोफीनॉन

(iv) साइक्लोहेक्सेनोन

(v) 1-फेनिलप्रोपेनोन

(vi) फेनिलऐसीटैल्डिहाइड

(vii) ब्यूटेन-1-ऑल

(viii) 2, 2 डाइमेथिलब्यूटेनैल।

उत्तर⇒ (i) मेथेनल HCHO कैनिजारो अभिक्रिया दर्शाता है-

     मेथेनल के दो अणु संयोग कर सांद्र NaOH की उपस्थिति में निम्न अभिक्रिया होती है।

यह एल्डोल संघनन नहीं दर्शाता।

(ii)

कैनिजारो अभिक्रिया को नहीं दर्शाता।

यह एल्डोल संघनन दर्शाता है।

(ii) बेंजएल्डिहाइड कैनिजारों अभिक्रिया दर्शाता है।

यह अणु न तो कैनिजारो तथा नहीं एल्डोस संघनन दर्शाता।

(v) साइक्लो हैक्सेनॉन O यह अणु एल्डोल संघनन दर्शाता है।

(vii) 1-फिनाइल ऐस्टेल्डिहाइड

        फीनाइल ऐस्टेल्डिहाइड के दो अणु NaOH की उपस्थिति में एल्डोल संघनन दर्शाते हैं।

(viii) ब्यूटेन-1-आन CH3-CH2-CH2-CH2OH

यह अणु न तो एल्डोल संघनन और न ही कैनिजारो अभिक्रिया दर्शाता ।

प्रश्न 6. निम्नलिखित यौगिक युगलों में विभेद करने के लिए रासायनिक परीक्षणों को दीजिए-

(i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन

(ii) पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन

(ii) एसीटोफीनॉन एवं बेन्जोफीनॉन

(iv) फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल

(v) बेन्जोइक अम्ल एवं ऐथिलबेन्जोएट

(vi) एथेनल एवं प्रापेनल।

उत्तर⇒ (i) प्रोपेनल एवं प्रोपेनाम में विभेद :

आयोडोफार्म परीक्षण : प्रोपेनल ऋणात्मक परीक्षण देता है। जबकि प्रोपेनान धनात्मक परीक्षण | जब प्रोपेनान का NaOH के साथ किया जाता है तब पीले रंग के अवक्षेप बनते हैं।

2NaOH +I2 Nal + NaOI + H2O

(ii) पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑल में विभेदन-पेन्टेन-2-ऑन हैलोफॉर्म परीक्षण देता है।

(iii) एसीटोफीनॉन एवं बेन्जोफीनॉन में विभेद : ऐसीटोफीनॉन आयोडोफार्म परीक्षण देता है।

(iv) फिनॉल और बेंजोइक अम्ल में विभेदन : फिनॉल बैंगनी रंग उत्पन्न करता है। जब इसे FeCl3 विलयन से क्रियाशील किया जाता है।

     या बेंजोइक अम्ल NaHCO3 से क्रिया कर CO2 गैस उत्पन्न करता है जबकि फीनॉल ऐसा नहीं करता।

फिनॉल Br2 जल को रंगहीन करता है।

(v) बेंजोइक अम्ल एवं ऐथिल बेन्जोएट में विभेदन : ऐसीटोफीनॉल आयोडोफार्म परीक्षण देता है जबकि बेन्जैल्डिहाइड ऐसा नहीं करता।

(vi) एथेनल और प्रोपेनल में विभेदन : एथेनल हैलोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि प्रोपेनल नहीं।

प्रश्न 7. निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन करें :

(i) ऐसीटाइलेशन

(ii) कैनिजारो अभिक्रिया

(iii) क्रॉस ऐल्डॉल संघनन

(iv) विकार्बोक्सिलन।

उत्तर⇒ (i) ऐसीटाइलेशन : एल्कोहल, फीनॉल या एमीन के सक्रिया हाइड्रोजन को एसाइल (RCO) समूह द्वारा प्रतिस्थापित कर संगत एस्टर या एमाइड बनाना ऐसीटाइलेशन कहलाता है । यह अभिक्रिया ऐसिड क्लोराइड या किसी अम्ल एन्हाइड्राइड की उपस्थिति में होती है।

(ii) कैनिजारो अभिक्रिया : ऐल्डिहाइड, जिसमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते। सांद्र क्षार की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन की अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है। जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।

2HCHOCH3OH +HCOONa

2C6H5CHO C6H5CH2OH + C6H5COONa

2(CH3)3CHOCH2OH + (CH3)3C0O -Na+

        यह अभिक्रिया उन सभी यौगिकों में संभव है जिनमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होता।

        (iii) क्रॉस ऐल्डोहल संघनन : जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे, क्रास ऐल्डोल संघनन कहते हैं। प्रत्येक में α-हाइड्रोजन हो तो ये चार उत्पादों का मिश्रण देते हैं।

       क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी एक घटक के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं।

       इस प्रकार ऐसीटोन, बेन्जैल्डिाइड से क्षारकीय माध्यम में क्रिया कर डाइबेन्जल ऐसीटोन बनता है।

(iv) विकार्बोक्सिलन : (a) कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडालाइम के साथ गरम करने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलन कहलाती है।

(b) कोल्बे वैद्युत अपघटन :

2RCOONa 2FCOO- +Na+ – आयन

2H2O ⇋ 2OH- + 2H+ + आयन

एनोड पर : 2RCOO--2e- 2RCOO- R - R+ + 2CO2

कैथोड पर : 2H+ + 2e-H2(g)

(c) विकार्बोक्सिलन :

CH2COOAg + Br CH3-Br + CO2+AgBr

(IV) कैल्शियम लवण भी विकार्बोक्सिल दर्शाते हैं।

Ca(CH3COO)2CH3COCH3 + CaCO3

प्रश्न 8. एल्डिहाइड का सामान्य परिचय दें।

उत्तर⇒ एल्डिहाइड तथा कीटोन का सामान्य सूत्र CnH2nO है । इन दोनों में द्विसंयोजक क्रियाशील कार्बोनिल मूलक >CO उपस्थित रहता है, जिसके कारण दोनों श्रेणियों के गुणों में बहुत समानता पायी जाती है। कार्बोक्सिल मूलक की उपस्थिति के कारण दोनों श्रेणियों को कार्बोनिल यौगिक भी कहा जाता है। एल्डिहाइड में कार्बोनिल मूलक के साथ अनिवार्य रूप से एक हाइड्रोजन परमाणु तथा दूसरे बंधन से भी एक हाइड्रोजन परमाणु अथवा एल्काइल मूलक जुड़ा रहता है। उसी कीटोनों में कार्बोनिल मूलक के दो बंधों से दो एल्काइल मूलक लगे रहते हैं।

      एल्डिहाइड में कार्बोनिल मूलक के साथ एक हाइड्रोजन परमाणु के संलग्न रहने के कारण रासायनिक प्रतिक्रियाओं में और विशेषकर ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया में कीटानों से ये अधिक क्रियाशीलता प्रदर्शित करते हैं।

      उपस्थित रहता है। इन यौगिकों का सामान्य सूत्र CnH2nO है और इन्हें साधारणतः RCHO द्वारा व्यक्त किया जाता है। कुछ महत्त्वपूर्ण एल्डिहाइडों के नाम इस प्रकार हैं-

प्रश्न 9. निम्नलिखित यौगिकों को नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिये

एथेनल, प्रोपेनल, प्रोपेनोन, ब्यूटेनोन

बेन्जैल्डिहाइड, p-टॉलूऐल्डिहाइड, p-नाइट्रो-बेन्जैल्डिहाइड, एसीटोफिनोन।

उत्तर⇒1. ब्यूटेनोन < प्रोपेनोन < प्रोपेनल < एथेनल

इस क्रम की भविष्यवाणी दो कारकों के आधार पर की जा सकती है-

+I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) तथा

त्रिविम प्रभाव।

2. एसीटोफिनोन <p-टॉलूऐल्डिहाइड < बेन्जैल्डिहाइड <p-नाइट्रो बेन्जैल्डिहाइड

इस क्रम की भविष्यवाणी (पूर्वानुमान) प्रेरणिक प्रभाव अनुनाद तथा अतिसंयुग्मन प्रभाव द्वारा की जा सकती है।

प्रश्न 10. (1) कीटोन ऐल्डिहाइड से कम क्रियाशील होते हैं, क्यों?

(2) बेन्जेल्डिहाइड, ऐसीटेल्डिहाइड से कम क्रियाशील है, क्यों?

उत्तर⇒ 1. कीटोन की ऐल्डिहाइड की तुलना में, कम क्रियाशीलता उसमें उपस्थित दो ऐल्किल समूह द्वारा उत्पन्न धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I) के कारण होती है जो कार्बोनिल कार्बन के धन आवेश में कमी कर देती है; फलतः इसकी नाभिकस्नेही अभिकर्मक के प्रति सुग्राहिता घट जाती है।

ऐल्डिहाइड में केवल एक ऐल्किल समूह होता है। अतः ये कीटोन की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होते हैं।

2. बेंजेल्डिहाइड का – CHO समूह के बेंजीन चक्र में साथ अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है जबकि ऐसीटेल्डिहाइड में अनुनाद नहीं पाया जाता है। बेंजेल्डिहाइड एरोमेटिक होता है व ऐल्डिहाइड एलीफैटिक होता है।

प्रश्न 11. फॉर्मेल्डिहाइड से यूरोट्रोपीन कैसे प्राप्त करोगें ? यूरोट्रोपीन का संरचना सूत्र लिखिये।

उत्तर⇒फॉर्मऐल्डिहाइड और अमोनिया की क्रिया से यूरोट्रोपीन बनता है।

प्रश्न 12. यद्यपि फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक है। परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल CH, फीनॉल की तुलना में प्रबल अम्ल हैं। क्यों ?

यूरोट्रोपीन का संरचना सूत्र

उत्तर⇒ कार्बोक्सिलेट आयन तथा फीनॉक्साइड आयन दोनों अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त करते है। किन्तु कार्बोक्सिलेट आयन फीनॉक्साइड आयन की तुलना में अधिक स्थायित्व प्राप्त करता है। क्योंकि इसमे ऋणावेश दो अधिक विद्युत ऋणात्मक आक्सीजन परमाणुओं पर विस्थानीकृत होता है जबकि फोनॉक्साइड आयन की संरचना II, III तथा IV में ऋणावेश का विस्थापन कम विद्युत ऋणात्मक कार्बन पर होता है। इस कारण कार्बोक्सिलिक अम्ल फोनॉल से अधिक अम्लीय होता है।

प्रश्न 14 . टॉलेन अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। अथवा, टॉलेन अभिकर्मक क्या है ? इसकी ऐसिटैल्डिहाइड के साथ अभिक्रिया लिखिए।

उत्तर⇒ टॉलेन अभिक्रिया- अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट का विलयन टॉलेन अभिकर्मक कहलाता है। जब टॉलेन अभिकर्मक को ऐल्डिहाइड के साथ गरम किया जाता है, तो ऐल्डिहाइड Ag+ आयन को Ag में ‘अपचयित कर देता है और परखनली की दीवार पर चमकदार रजत दर्पण बनाता है।

प्रश्न 15. कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक समान अणुभार वाले ऐल्कोहॉलों की अपेक्षा ऊँचे होते हैं। क्यों?

उत्तर⇒ कार्बोक्सिलिक अम्ल चक्रीय द्वितीयाणु के रूप में होते हैं। यह अणुओं के मध्य अन्तराण्विक हाइड्रोजन बन्ध बनने के कारण होता है।

अम्लों के हाइड्रोजन बन्ध ऐल्कोहॉलों के हाइड्रोजन बन्ध की तुलना में अधिक प्रबल होते हैं, इसी कारण कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक समान अणुभार के ऐल्कोहॉलों से उच्च होते हैं।

प्रश्न 16. फेहलिंग अभिक्रिया को समीकरण सहित समझाइये।

उत्तर⇒ फेहलिंग अभिक्रिया- सोडियम पोटैशियम टाटरेट से संकुलित क्षारीय Cuso4 का विलयन फेहलिंग विलयन कहलाता है। जब ऐल्डिहाइड को फेहलिंग विलयन के साथ गर्म करते हैं, तो ऐल्डिहाइड का ऑक्सीकरण हो जाता है तथा क्यूप्रस ऑक्साइड का लाल अवक्षेप प्राप्त होता है। यह फेहलिंग परीक्षण कहलाता

प्रश्न 17. फॉर्मेल्डिहाइड, ऐसीटैल्डिहाइड और ऐसीटोन में से कौन-सा यौगिक सबसे अधिक क्रियाशील है और क्यों?

उत्तर⇒ HCHO , CH3CHO और CH3COCH3 की क्रियाशीलता का निर्धारण कार्बोनिल समूहों के साथ जुड़े हुए समूहों की प्रकृति के आधार पर होता है। कार्बोनिल समूहों के कार्बन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन की कमी होने के कारण यौगिक अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। यदि >C=O समूह के साथ इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले– प्रभाव वाले समूह जुड़े होंगे तो वे कार्बोनिल समूह वाले कार्बन की इलेक्ट्रॉन न्यूनता को और बढ़ा देंगे जिससे यौगिक बहुत अधिक क्रियाशील हो जायेगा। इसके विपरीत यदि कार्बोनिल समूह के साथ इलेक्ट्रॉन देने वाले (+I प्रभाव वाले) समूह जुड़े हों तो वे कार्बोनिल समूह की क्रियाशीलता को कम कर देंगे। CH, समूह का +I प्रभाव होता है। अतः उपर्युक्त तीन यौगिकों की क्रियाशीलता का क्रम नीचे दिये अनुसार होगा

प्रश्न 18. एसीटिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल तथा क्लोरोऐसीटिक अम्ल की अम्लीय शक्ति की तुलना कीजिए।

उत्तर⇒ एसीटिक अम्ल में उपस्थित एक ऐल्किल समूह के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव के कारण हाइड्रॉक्सिल ऑक्सीजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ता है, जो अम्ल की प्रबलता को कम करता है। फॉर्मिक अम्ल में एक भी ऐल्किल समूह नहीं होता। फॉर्मिक अम्ल में ऑक्सीजन पर धन आवेश होने के कारण O-H बंध का इलेक्ट्रॉन युग्म ऑक्सीजन की ओर विस्थापित होता जाता है, फलस्वरूप O-H बंध का हाइड्रोजन प्रोटॉन के रूप में सरलता से अलग हो जाता है और फॉर्मिक अम्ल एक अम्ल के समान कार्य करता है, जबकि क्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित क्लोरीन परमाणु प्रबल ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव प्रदर्शित करता है, जिससे अम्ल में O-H बंध बनाने वाले इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन की ओर सरलता से विस्थापित हो जाते हैं, जिससे सरलता से H+ आयन मुक्त होता है। अतः क्लोरोऐसीटिक अम्ल फॉर्मिक अम्ल और ऐसीटिक अम्ल से अधिक प्रबल होता है।

प्रश्न 19. ऐसीटैल्डिहाइड के बहुलीकरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर⇒ 1.साधारण ताप पर ऐसीटैल्डिहाइड सान्द्र H2SO4 की कुछ बूंदों के साथ अभिकृत किये जाने पर पैराऐल्डिहाइड में बहुलीकृत हो जाता हैं। जिसका उपयोग निद्राकारी औषधि के रूप में होता हैं।

2. 0°C पर ऐसीटैल्डिहाइड में HCl गैस प्रवाहित करने पर मेटा ऐल्डिहाइड प्राप्त होता है।

प्रश्न 20. स्टीफन अभिक्रिया और बेंजोइन संघनन के उदाहरण एवं समीकरण द्वारा समझाइए।

उत्तर⇒ स्टीफन अभिक्रिया-ऐल्किल सायनाइड को ईथर या एथिल ऐसीटेट में विलेय कर उसका SnCl2 व HCl द्वारा अपचयन करके भाप आसवन करने पर ऐल्डिहाइड प्राप्त होता है। यह स्टीफन अभिक्रिया कहलाती है।

प्रश्न 21. निम्नलिखित क्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिये

(a) ऐसीटैल्डिहाइड की 0°C पर H3SO4 से क्रिया। ।

(b) फॉर्मेल्डिहाइड की अमोनियामय AgNO3 से क्रिया।

(c) एसीटिक ऐसिड को P2O5  के साथ गर्म करने पर।

उत्तर⇒

प्रश्न 22. पर्किन अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

क्या होता है जब ऐसीटोन को H2SO, के साथ गर्म करते हैं ?

उत्तर⇒ 1. पर्किन अभिक्रिया-ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइड को किसी ऐलिफैटिक अम्ल के सोडियम लवण की उपस्थिति में उस अम्ल के ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करते हैं तो a,B असन्तृप्त अम्ल बनता है। जैसे

2. H3SO4 की उपस्थिति में ऐसीटोन के तीन अणु संघनित होकर मेसिटिलीन बनाते हैं।

प्रश्न 23. क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए)

कैल्सियम फॉर्मेट को अकेले गर्म करते हैं।

कैल्सियम बेंजोएट को अकेले गर्म करते हैं।

कैल्सियम फार्मेट को कैल्सियम एसीटेट के साथ गर्म करते हैं।

कैल्सियम बेंजोएट को कैल्सियम फार्मेट का मिश्रण का शुष्क आसवन करते हैं।

उत्तर⇒ 

प्रश्न 24. ट्राइ क्लोरो ऐसीटिक अम्ल अकार्बनिक अम्लों की भाँति प्रबल क्यों है ? बेंजोइक अम्ल ठोस है जबकि प्रारम्भिक ऐलीफैटिक अम्ल द्रव है। कारण दीजिए।

उत्तर⇒  ट्राइ क्लोरो ऐसीटिक अम्ल में Cl परमाणु एक शक्तिशाली ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव (-I प्रभाव) डालते हैं। इसके कारण O-H बंध का इलेक्ट्रॉन जोड़ा ऑक्सीजन की ओर विस्थापित हो जाता है। इस अणु में हाइड्रोजन परमाणु ऑक्सीजन के साथ शिथिलता से जुड़ा रहता है तथा उसका आयनन सरलता से हो जाता है। अतः ट्राइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल अकार्बनिक अम्ल की भाँति प्रबल है।

बेंजोइक अम्ल अपनी ध्रुवीय प्रकृति एवं उच्च आण्विक द्रव्यमान के कारण ठोस है जबकि निम्न

ऐलिफैटिक अम्ल उनमें उपस्थित समूह के कारण आपस में अन्तर आण्विक हाइड्रोजन बंध द्वारा संगुणित होकर द्विलकीकृत हो जाते हैं। इस कारण ये द्रव अवस्था में पाये जाते हैं।

 

प्रश्न 25. ऐसीटिक अम्ल का फॉर्मिक अम्ल में और फॉर्मिक अम्ल का ऐसीटिक अम्ल में परिवर्तन की क्रियाएँ लिखिए।

उत्तर⇒ 1. एसीटिक अम्ल का फॉर्मिक अम्ल में परिवर्तन

2. फॉर्मिक अम्ल का ऐसीटिक अम्ल में परिवर्तन