बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 14 जैव अणु दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. एंजाइम की परिभाषा लिखिए। एंजाइम साधारण रासायनिक उत्प्रेरकों से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर⇒एंजाइम एक प्रकृति सरल अथवा संयुग्मी प्रोटीन है, जो कोशिका की प्रक्रियाओं में विशिष्ट उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। एंजाइम एवं रासायनिक उत्प्रेरक में निम्नांकित अन्तर है।
एंजाइम | रासायनिक उत्प्रेरक |
1. यह एक कार्बनिक पदार्थ है। | 1. यह कार्बनिक या अकार्बनिक दोनों हो सकता है। |
2. यह मुख्यतः प्रोटीन का बना होता है। | 2. यह प्रोटीन का बना हुआ नहीं होता है। |
3. यह अभिक्रिया को 1020 गुणा तक बढ़ा देता है। | 3. यह अभिक्रिया को उतना नहीं बढ़ा पाता है। |
4. इसे पुनर्निर्माण की दर अति-तीव्र होता है। | 4. इसके पुनर्निर्माण की दर कम होती है। |
5. यह उदासीन स्थिति तथा शरीर तापक्रम पर कार्य करता है। | 5. इसके लिए उच्च तापमान की आवश्यकता पड़ती है। |
प्रश्न 2. कार्बोहाइड्रेट क्या है ? इसके सामान्य सूत्र एवं प्रकार को लिखें। इसके मुख्य प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ कार्बोहाइड्रेट-कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से निर्मित वे रासायनिक यौगिक जो ध्रुवण, घूर्णक, पॉलिहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड अथवा कीटोन हो, कार्बोहाइड्रेट कहलाता है यह हमारे भोजन का मुख्य अवयव है तथा ऊर्जा के सस्ते स्त्रोत के रूप में जाना जाता है।
कार्बोहाइड्रेट का सामान्य सूत्र C4(H2O)n है।
कार्बोहाइड्रेट को उनके जल-अपघटन तथा उनके फलस्वरूप बने उत्पाद की संख्या के आधार पर तीन वर्गों में बाँटा गया है-
(i) मोनोसैकेराइड
(ii) ऑलिगोसैकेराइड
(iii) पॉलिसैकेराइड
(i) मोनोसैकेराइड- कार्बोहाइड्रेट के वे प्रकार जिनको और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं किया जा सकता है, मोनोसैकेराइड कहलाता है। सभी कार्बोहाइड्रेट जल अपघटन के फलस्वरूप मोनोसैकेराइड में परिवर्तित हो जाते हैं। ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस मोनोसैकेराइड के उदाहरण हैं।
(ii) ऑलिगोसैकेराइड– कार्बोहाइड्रेट का वह प्रकार जो जल द्वारा अपघटित होकर एक से ज्यादा (लगभग 2-10) मोनोसैकेराइड अणु देते हो, ऑलिगोसैकेराइड कहलाता है।
वैसे ऑलिगोसैकेराइड जो मोनोसैकेराइड के दो अणुओं के संयोग से बना होता है, डाइसैकेराइड कहलाता है। तनु अम्लों या एंजाइमों द्वारा जल अपघटित होने पर ये समान अथवा भिन्न मोनोसैकेराइड के दो अणु बनाते हैं।
C12H22O11+H20 C6H12O6+C6H12O6
. ग्लूकोस फ्रक्टोस
(iii) पॉलिसैकेराइड– कार्बोहाइड्रेट का वह प्रकार जिसमें हजारों मोनोसैकेराइड इकाइयाँ ग्लाइकोसिडिक बंधन द्वारा जुड़े होते हों, पॉलिसैकेराइड कहलाता है। स्टार्च, सेलूलोस, ग्लाइकोजीन तथा डेक्सीड्रीन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
(C6H10O5)n(C6H10O5)nC12H22O11 C6H12O6
स्टार्च माल्टोस D-ग्लूकोस
प्रश्न 4. विभिन्न प्रकार के विटामिनों की कमी से होने वाले रोग तथा विटामिन के स्रोत को सारणीबद्ध करें।
उत्तर⇒विभिन्न प्रकार के विटामिन, उनकी कमी से होने वाले रोग तथा उनके स्रोत निम्नलिखित है-
विटामिन | स्रोत | हीनताजनित रोग |
1. विटामिन-A | मछली का तेल, गुर्दा | जोरोफलमिया |
2. विटामिन-B1 (थायोमील) | यीस्ट, दूध, हरी सब्जियाँ | बेरी-बेरी |
3. विटामिन-B2 (राबोफ्लौविन) | यीस्ट, सब्जियाँ दूध, अंडे की सफेदी | त्वचाशोथ, गाढ़ी, लाल जीभ, तथा ओष्ठ विदारता कीलोसिस |
4. विटामिन-B6 (पिरिडॉक्सिन) | अन्न, चना, शीरा यीस्ट, अंड-पीत तथा माँस | तीव्र त्वचाशोथ, आक्षेप। |
5. विटामिन-B12 | बैल, भेड़, मछली आदि का यकृत | प्राणी रक्ताल्पता |
6. विटामिन-C | नींबू जाति के फल, हरी सब्जियाँ | स्कर्वी |
7. विटामिन-E | गेहूँ, सोयाबीन, तेल | बंध्यता |
8. विटामिन-K | अन्न-पत्तेदार सब्जियाँ | रक्तस्रावीय अवस्था |
प्रश्न 5. मोनोसैकेराइड क्या है ? ग्लूकोस के निर्माण एवं गुणों का प्रकाश डालें।
उत्तर⇒ कार्बोहाइड्रेट के वे प्रकार जिन्हें जल अपघटन द्वारा और सरल यौगिकों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है, मोनोसैकेराइड कहलाता है।
ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस ऐल्डोहैक्सोस तथा सेल्डोकीटोज के विशिष्ट उदाहरण हैं।
ग्लूकोस -
(i) उपस्थिति- प्रकृति में ग्लूकोस स्वतंत्र तथा संयुक्त दोनों रूपों में पाया जाता है। मीठे फल, शहद तथा पके अंगूरों में ग्लूकोस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ग्लूकोस को Instant form of energy कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
(ii) निर्माण-विधि- ग्लूकोस का निर्माण शर्करा तथा स्टार्च द्वारा निम्न प्रकार से किया जाता है।
(a) सूक्रोस अर्थात् शर्करा द्वारा- सूक्रोस एक डाइसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट है। इसके जलीय अपघटन के फलस्वरूप ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस प्राप्त होता है। सूक्रोस के ऐल्कोहॉलीय विलयन को तनु HCl तथा H2SO4 के साथ उबालने पर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोज समान मात्रा में प्राप्त होता है।
C12H22O11+H2O C6H12O6+C6H12O6
(b) स्टार्च द्वारा- औद्योगिक स्तर पर ग्लूकोस का निर्माण स्टार्च द्वारा किया जाता है। स्टार्च का जल अपघटन तनु H2SO4 के साथ 393 K तापमान पर उबालने से होता है। जल अपघटन के फलस्वरूप ग्लूकोज का निर्माण होता है।
(C6H12O5)n+n H2O nC6H12O6
स्टार्च ग्लूकोस
(iii) ग्लूकोस के गुण-
(a) ऐसीटिक एन्हाइड्राइड द्वारा अभिक्रिया- ग्लूकोस ऐसीटिक एन्हाइड्राइड द्वारा अभिक्रिया कर पेंटाएसिटेट का निर्माण करता है। यह अभिक्रिया इस बात को साबित करता है कि ग्लूकोस में पाँच हाइड्रॉक्सिल समूह उपस्थित हैं।
OHC - (CHOH)6-CH2OH OHC - (CHOCOCH3)-CH2OOCHCH3
(b) हाइड्रॉक्सिल ऐमीन के साथ अभिक्रिया- ग्लूकोस हाइड्रोक्सिल ऐमीन के साथ अभिक्रिया कर मोनो ऑक्सीजन देता है। यह हाइड्रोजन साइनाइड के एक अणु से अभिक्रिया कर साइनोहाड्रिन बनाता है। ये अभिक्रियाएँ ग्लूकोस में एक कार्बोनिल समूह की उपस्थिति (सिद्ध करती है।
(iv) सिल्वर नाइट्रेट विलयन से अभिक्रिया- ग्लूकोस एमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन से अभिक्रिया कर सिल्वर धातु देता है। यह ग्लूकोस में एक ऐल्डिाइडिक समूह की उपस्थिति को दर्शाता है।
HOCH2-(CHOH)4-CHO+Ag2O HOCH2 -(CHOH)4-CHO + 2Ag
(v) नाइट्रिक अम्ल द्वारा अभिक्रिया- ग्लूकोस नाइट्रिक अम्ल द्वारा ऑक्सीकृत होकर सैकेटिक अम्ल का निर्माण करता है।
HOCH2-(CHOH)4-CHO HOOC-(CHOH)4-COOH
(vi) हाइड्रोजन आयोडाइड से अभिक्रिया– ग्लूकोस HI के साथ लम्बे समय तक गर्म करने पर n-हेक्सेन बनाता है। यह प्रदर्शित करता है कि ग्लूकोस में 6 कार्बन परमाणु एक ऋजु-श्रृंखला में आबंधित है।
HOCH2-(CHOH)4-CHO H3C-CH2-CH2-CH2-CH2-CH3
प्रश्न 6. एन्जाइम क्या होते हैं ? एन्जाइम कैसे कार्य करते है ?
उत्तर⇒ (क) एन्जाइम- ऐन्जाइम एक उत्प्रेरक है। लगभग सभी एन्जाइम गोलिकाकार प्रोटीन होते हैं। एन्जाइम किसी विशेष अभिक्रिया अथवा विशेष क्रियाधार के लिए विशिष्ट होते हैं। इसका नामकरण सामान्यतया उपयोगिक या यौगिकों के वर्ग पर आधारित होता है। जिस पर ये कार्य करते हैं। जैसे उस एन्जाइम का नाम माल्टेस है। जो माल्टोज के ग्लूकोस में जल अपघटन को उत्प्रेरित करता है।
C12H22O112C6H12O6
. ग्लूकोज
कभी-कभी एन्जाइम का नाम उप अभिक्रिया के आधार पर दिया जाता है। जिसमें इसका उपयोग होता है। जैसे जो एन्जाइम एक क्रियाधार का ऑक्सीकरण उत्प्रेरित करते हैं तथा साथ ही दूसरे क्रियाधार का अपचयन उन्हें आक्सिडोरिडक्टेस नाम दिया जाता है। एन्जाइम के नाम के अंत में ऐसा आता है।
किसी अभिक्रिया की प्रगति के लिए एन्जाइम की बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है। रासायनिक उत्प्रेरक की क्रिया के समान कहा जाता है कि एन्जाइम सक्रियण ऊर्जा के परिमाण को कम कर देते हैं। जैसे सूक्रोज के अम्लीय जलअपघटन के लिए सक्रियण ऊर्जा 6.22 kJ / मोल है। जबकि सूक्रेस एन्जाइम द्वारा जल अपघटित होता है तो सक्रियण ऊर्जा केवल 2.15 kJ/ मोल होती है।
(ख) विटामिन- भोजन में कुछ कार्बनिक यौगिकों की आवश्यकता सूक्ष्म मात्रा में होती है। परन्तु उनकी कमी के कारण विशेष रोग हो जाते हैं। इन यौगिकों को विटामिन कहते हैं। ये कार्बनिक यौगिक विशिष्ट जैविक क्रियाओं के संपन्न होने के लिए हमारे आहार में आवश्यक वे पदार्थ हैं जिनसे जीव की इष्टतम वृद्धि एवं सवास्थ्य का सामान्य रख-रखाव होता है। विटामिनों को A , B , C , D आदि अक्षरों के द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। इनमें से कुछ को पुनः 34 वर्गों उदाहरणार्थ B1 , B2 , B6 तथा B12 आदि के नाम दिया जाता है। विटामिन का आधिक्य भी हानिकारक होता है। अतः चिकित्सक के परामर्श बिना विटामिन की गोली नहीं लेनी चाहिए।
जल या वसा में घुलनशील के आधार पर विटामिनों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है।
(i) वसा विलेय विटामिन-इस वर्ग में उन विटामिनों को रखा गया है जो वसा तथा तेल में विलेय होते हैं परंतु जल में अविलेय । ये विटामिन A , D , E तथा K हैं। ये यकृत तथा ऐडिपोस ऊत्तक में संग्रहित रहते हैं।
(ii) जल में विलेय विटामिन- B वर्ग के विटामिन तथा विटामिन C जल में विलेय होते हैं। अतः इन्हें एक साथ इस वर्ग में रखा गया है। जल में विलेय विटामिनों की पूर्ति हमारे आहार में नियमित रूप से होनी चाहिए। क्योंकि ये आसानी से मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं। इन्हें हमारे शरीर में (B12 विटामिन के अतिरिक्त) संचित नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 7.ग्लूकोज तथा सुक्रोज जल में विलेय है जबकि साइक्लो-हेक्सेन अथवा बेंजीन (सामान्यतः छः सदस्यीय वलय युक्त यौगिक) जल में अविलेय होते हैं, समझाइए।
उत्तर⇒बेंजीन व साइक्लोहेक्सेन में न तो यह ध्रुवीय और न ही इनमें -OH समूह होता है। अत: यह जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन बंध बनाने के योग्य नहीं होते हैं, अतः जल में अघुलनशील होते हैं।
ग्लूकोज व सुक्रोज ध्रुवीय अणु होते हैं तथा इनमें बड़ी संख्या में -OH समूह उपस्थित होते हैं (ग्लूकोज में पाँच तथा सुक्रोज में आठ) हैं ये व्यापक (विस्तृत) रूप में जल के साथ हाइड्रोजन बंध बनाते हैं, अत: ये जल में घुलनशील होते हैं।
प्रश्न 8. न्यूक्लियोसाइड तथा न्यूक्लियोटाइड में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर⇒ एक न्यूक्लियोसाइड श्रृंखला केवल न्यूक्लिक अम्ल का आधार घटक है, जिसका नाम पेन्टोज शर्करा तथा एक नाइट्रोजनीय क्षार की बनी होती है। एक न्यूक्लियोसाइड में न्यूक्लिक अम्ल के सभी तीन घटक जिनका नाम एक फॉस्फोरिक अम्ल समूह, एक पेन्टोज शर्करा तथा एक नाइट्रोजनीय क्षार होता है।
प्रश्न 9. प्रोटीन के संदर्भ में निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए
पेप्टाइड बंध,
प्राथमिक संरचना,
विकृतिकरण।
उत्तर⇒1. पेप्टाइड बंध- पेप्टाइड बंध एक एमाइड बंध है, जो -COOH समूह एक -एमीनो अम्ल के तथा दूसरे -एमीनो अम्ल के -NH2 समूह के बीच जल के एक अणु के निष्कासन द्वारा बनता है। . ये दो एमीनो अम्ल की इकाइयों को एक पेप्टाइड अणु में जोड़ देती है।
2. प्रोटीन – एमीनो अम्लों का पॉलीमर है-यह पॉलीमर (पॉलीपेप्टाइड के नाम से भी जाने जाते हैं), एमीनो अम्लों से जो एक-दूसरे से विशिष्ट क्रम के साथ बंधा होता है के द्वारा संघटित होता है। एमीनो अम्लों का यह क्रम प्रोटीन की प्राथमिक संरचना कहलाता है। एमीनो अम्लों के इस क्रम में कोई भी परिवर्तन (अर्थात् प्राथमिक संरचना) एक अलग प्रोटीन का निर्माण करता है।
3. विकृतिकरण- वह अभिक्रिया जो प्रोटीन की भौतिक तथा जैविक गुणों को बिना प्रोटीन की रासायनिक संघटन में प्रभाव डाले परिवर्तित कर देते हैं, विकृतिकरण कहलाते हैं। विकृतिकरण निश्चित भौतिक व रासायनिक उपचार है, जैसे -PH में परिवर्तन, ताप, कुछ लवणों की उपस्थिति या निश्चित रासायनिक कारकों के कारण होता है।
प्रश्न 10. न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं ? इनके दो महत्वपूर्ण कार्य लिखिए।
उत्तर⇒न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लियोटाइड की लंबी शृंखलित बहुलक होते हैं। इन्हें पॉलीन्यूक्लियोटाइड भी कहते हैं। न्यूक्लिक अम्ल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं,
डि-ऑक्सी-राइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) तथा
राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA) के होते हैं।
कार्य-
1. DNA एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक वंशागत प्रभाव को स्थानान्तरित करते हैं। ये कोशिका विभाजन के दौरान प्रतिकरण के विशिष्ट गुण तथा दो DNA रज्जुक के पुत्री कोशिका में स्थानान्तरित होने के कारण होता है।
2. DNA तथा RNA सभी प्रोटीन के संश्लेषण के लिए उत्तरदायी होते हैं तथा हमारे शरीर के विकास तथा संरक्षण के लिए आवश्यक होते हैं। वास्तविकता में प्रोटीन का संश्लेषण कोशिका में विभिन्न RNA अणु (m -RNA & t-RNA इत्यादि) के द्वारा होता है। वस्तु विशेष प्रोटीन के संश्लेषण की सुचना DNA में रहती है।
प्रश्न 11. ग्लाइकोसाइडी बंध से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ ऑक्सीजन लिंकेज जिसके द्वारा दो मोनोसैकेराइड इकाई जल के एक अणु को निष्कासित कर डाइसैकेराइड का एक अणु बनाते हैं । यह ग्लाइकोसिडिक लिंकेज या ग्लाइकोसाइडी बंध कहलाते हैं। उदाहरण के लिये-सुक्रोज (एक डाइसैकेराइड) a-ग्लूकोज के C1 तथा 8-फ्रक्टोज के C2 में ग्लाइकोसाइडी बंध द्वारा बनते हैं।
प्रश्न 12. ऐमीनो अम्लों की उभयधर्मी प्रकृति को आप कैसे समझायेंगे?
उत्तर⇒ द्विध्रुवीय या ज्विटर आयन संरचना के कारण एमीनो अम्ल उभयधर्मी स्वभाव के होते हैं । एमीनो अम्लों का अम्लीय स्वभाव समूह के कारण तथा क्षारीय गुण -COOH समूह के कारण जैसा कि निम्न में दिखाया गया है, होता है
प्रश्न 13. एन्जाइम क्या है ? उद्योगों में इनके चार अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर⇒ एन्जाइम - एन्जाइम उच्च अणुभार के नाइट्रोजनयुक्त जटिल कार्बनिक यौगिक हैं, जो जीवित कोशिकाओं में उत्पन्न होते हैं। ये मुख्य रूप से रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, अतः एन्जाइम जीव-उत्प्रेरक कहलाते हैं।
उदाहरण- इनवर्टेस एन्जाइम सुक्रोस के जल-अपघटन को उत्प्रेरित करता है।
ग्लूकोस फ्रक्टोस एन्जाइम की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाले कारक-
(1) ताप
(2) PH
(3) एन्जाइम की सान्द्रता
(4) पदार्थ की सान्द्रता
(5) बनने वाले उत्पाद की सान्द्रता।
अनुप्रयोग-
कार्बोहाइड्रेट के किण्वन से बीयर, विस्की, मादक पेय द्रव्य निर्माण में।
खाद्य उपयोग में मक्का के स्टार्च से शरबत बनाने में।
पनीर बनाने में।
किण्वन क्रिया द्वारा शीरा से ऐल्कोहॉल निर्माण में।
प्रश्न 14. प्रोटीन की संरचना में पेप्टाइड लिंक का बनना स्पष्ट कीजिए। अथवा ऐमाइड एवं पेप्टाइड बन्ध क्या हैं ?
उत्तर⇒ ऐमाइड बन्ध- प्रोटीन एक जटिल कार्बनिक पदार्थ है, जो विभिन्न अमीनो अम्लों के आपस में संयुक्त होने से बनता है। एक अमीनो अम्ल का कार्बोक्सिलिक समूह दूसरे अमीनो अम्ल के अमीनो समूह से संयोग करके ऐमाइड बन्ध बनाता है।
पेप्टाइड बन्ध- अमीनो अम्ल प्रोटीन के निर्माण की इकाई होती हैं। प्रोटीन में अमीनो अम्ल पेप्टाइड बन्धों द्वारा अर्थात् -CONH- समूह द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं । पेप्टाइड बन्ध का निर्माण -अमीनो समूह और दूसरे – अमीनो समूह के कार्बोक्सिलिक समूह की परस्पर क्रिया के फलस्वरूप होता है। पार्श्व श्रृंखला के R में उपस्थित कोई भी समूह पेप्टाइड बन्ध के निर्माण में भाग नहीं लेता।
प्रश्न 15. सुक्रोज और माल्टोज के पाइरानोस संरचना दीजिए।
उत्तर⇒ सुक्रोज-सुक्रोज में दो मोनोसैकेराइड्स अणु (ग्लूकोज और फ्रक्टोस) परस्पर ग्लाइकोसाइडिक बन्ध के द्वारा जुड़े होते हैं । जो - ग्लूकोस के C1 तथा - फ्रक्टोस के C2 के मध्य जुड़ा होता है।
प्रश्न 16. न्यूक्लिक अम्ल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर⇒न्यूक्लिक अम्ल - यह जीव कोशिका के केन्द्रक में पाया जाता है। इसमें फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है। न्यूक्लिक अम्ल पॉली न्यूक्लिओटाइड होते हैं, जो अनेक न्यूक्लिओटाइड की इकाइयों के , मिलने से बनती है।
प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड तीन रासायनिक घटकों का बना होता है –
फॉस्फेट समूह,
पेण्टोज राइबोज शर्करा या डी-ऑक्सीराइबोज,
विषमचक्रीय बेस, जैसे-पायरीमिडीन के व्युत्पन्न (थाइमीन, यूरेसिल, साइटोसीन) एवं प्यूरीन के व्युत्पन्न (ऐडीनीन एवं ग्वानीन)।
न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं
(A) DNA -डी-ऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल
(B) RNA - राइबोन्यूक्लिक अम्ल ।
DNA के घटक
(a) डी-ऑक्सीराइबोस शर्करा अणु,
(b) फॉस्फोरिक अम्ल के अणु,
(c) नाइट्रोजन बेस। ये दो तरह के होते हैं
पिरीमिडीन बेस-इसके अन्तर्गत साइटोसीन (C) और थायमीन (T) आते हैं।
प्यूरीन बेस- इसके अन्तर्गत एडीनीन (A) और ग्वानीन (G) आते हैं।
RNA के घटक - RNA में राइबोज तथा नाइट्रोजन बेस, जैसे-ऐडीनीन (A), ग्वानीन (G), यूरेसिल (U), और साइटोसीन (C) होते हैं।
प्रश्न 17. कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ? इनका वर्गीकरण करके चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर⇒ परिभाषा-प्रकाश सक्रिय पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन या वे पदार्थ जो जल-अपघटित होकर इनका निर्माण करते हैं, कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं।
उदाहरण- ग्लूकोस, स्टार्च, सेल्युलोस, सुक्रोस आदि।
कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण –
कार्बोहाइड्रेट के कार्य –
1.यह कोशिका का प्रमुख संरचनात्मक घटक है।
2. यह जैव-ईंधन की तरह कार्य करता है और जीवधारियों को कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
3. लीवर में कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोजन के रूप में आरक्षित रहते हैं, जो जल-अपघटित होकर आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
4. सेल्युलोस घास और पौधों में पाया जाता है जो घास चरने वाले जानवरों को ऊर्जा प्रदान करता है क्योंकि जानवरों के शरीर में सेल्युलोस को ग्लूकोस में जल-अपघटित करने वाले विशिष्ट एन्जाइम पाये जाते हैं।
प्रश्न 18. क्या होता है जब, प्रोटीन का विकृतिकरण होता है ?
उत्तर⇒प्रोटीन का विकृतिकरण-प्रोटीन, ऊष्मा तथा रसायनों से प्रभावित होते हैं। प्रोटीन को गर्म करने पर अथवा रासायनिक यौगिकों से क्रिया कराने पर इसकी जैविक क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है ये विकृत और स्कन्दित होकर अविलेय हो जाते हैं। इस क्रिया को प्रोटीन का विकृतिकरण कहते हैं।
विकृतिकरण से प्रोटीन की प्राथमिक संरचना अपरिवर्तित रहती है, किन्तु द्वितीयक एवं तृतीयक संरचना में परिवर्तन हो जाता है। जैसे-जब अण्डे को उबलते हुए पानी में कुछ समय के लिए रखा जाता है, तो अण्डे की प्रोटीन अविलेय रेशेदार प्रोटीन में परिवर्तित हो जाती है, जिससे प्रोटीन स्कन्दित हो जाता है अर्थात् प्रोटीन का विकृतिकरण हो जाता है।
प्रश्न 19. न्यूक्लिओसाइड तथा न्यूक्लिओटाइड से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ न्यूक्लिओसाइड- जब कोई प्यूरीन या पाइरामिडीन बेस, पेण्टोस शुगर अणु के साथ जुड़ जाता है, तो इसे न्यूक्लिओसाइड कहते हैं।
क्षार + चीनी → न्यूक्लियोसाइड
न्यूक्लिओटाइड- यह न्यूक्लिओसाइड का फॉस्फेट एस्टर है।
प्रश्न 20. प्रोटीन की संरचना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर⇒ प्रोटीन के अणु का निर्माण ऐमीनो अम्लों से होता है। वस्तुतः प्रोटीन अणु ऐमीनो अम्लों के रैखिक बहुलक होते हैं। इनकी सम्पूर्ण संरचना चार पदों में निर्धारित की जाती है।
1. प्राथमिक संरचना- इसमें प्रोटीन की पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में विभिन्न ऐमीनो अम्लों के परस्पर जुड़ने के क्रम का ज्ञान होता है।
2. द्वितीयक संरचना- यह प्रोटीन की पेप्टाइड शृंखलाओं के संरूपण का ज्ञान कराती है।
3. तृतीयक संरचना- इससे यह ज्ञान होता है कि प्रोटीन अणु किस प्रकार मुड़कर एक विशिष्ट आकृति प्राप्त कर लेता है।
4. चतुर्थक संरचना- इससे यह पता चलता है कि दो पॉलिपेप्टाइड शृंखलाएँ एक-दूसरे के सापेक्ष किस प्रकार व्यवस्थित हैं।
प्रश्न 21. DNA के दो रज्जुक समान नहीं होते, अपितु एक-दूसरे के पूरक होते हैं। समझाइए।
उत्तर⇒ DNA अणु में दो रज्जुक (तन्तु) एक-दूसरे से एक रज्जुक के प्यूरीन क्षार तथा दूसरे के पिरिमिडीन क्षार के बीच हाइड्रोजन बंध द्वारा बँधे रहते हैं । क्षारों के विभिन्न आकार तथा ज्यामिति के कारण, DNA में संभावित युग्मन है-ग्वानीन (G) तथा साइटोसीन (C) तीन हाइड्रोजन बंध द्वारा अर्थात् (C=G) तथा एडेनीन (A) तथा थायमीन (T) दो हाइड्रोजन बंधों द्वारा (अर्थात् A=T)। इस क्षार युग्मन सिद्धान्तानुसार एक रज्जुक में क्षारों का क्रम स्वतः दूसरे रज्जुक में क्षारों के क्रम को स्थिर करता है। अतः दो रज्जुक एक-दूसरे के पूरक तथा असमान होते हैं।
प्रश्न 22. किन्हीं चार प्रोटीनों के नाम देते हुए उनके द्वारा मनुष्य के शरीर में किये जाने वाले कार्य लिखिए।
उत्तर⇒ प्रोटीन और उनके कार्य –
1. हीमोग्लोबिन- यह रक्त में पाया जाता है तथा श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन नामक अस्थायी यौगिक बनाता है, जो फेफड़ों से विभिन्न ऊतकों तथा ऑक्सीजन का संवहन करता है।
2. मायोसिन-यह मांसपेशियों में पाया जाता है तथा यह मांसपेशियों के संचालन में सहायक होता है।
3. पेप्सिन-यह शरीर के आहार नाल के आमाशय में पाया जाता है तथा यह भोजन के पाचन में सहायक होता है।
4. फाइब्रिनोजेन-यह रक्त में पाया जाता है तथा यह रक्त का थक्का बनाने में सहायक होता है।
प्रश्न 23. विटामिन्स क्या हैं ? उन विटामिन्स के नाम लिखिये जिनकी कमी से निम्नलिखित बीमीरियाँ उत्पन्न होती हैं –
खून का थक्का न जमना
रतौंधी
रक्त अल्पता
सूखा रोग
पायरिया
बन्ध्यता
अरक्तता।
उत्तर⇒विटामिन जटिल कार्बनिक यौगिक हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व के समान कार्य करते हैं, यद्यपि ये हमारे शरीर में बनते नहीं, परन्तु इनके अभाव से अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। विटामिनों की थोड़ी-सी मात्रा भी शरीर के सुचारु रूप से कार्य करने और वृद्धि के लिए आवश्यक हैं। विटामिन कई प्रकार के होते हैं। जैसे- A , B , C , D , E व K.
खून का थक्का न जमना-विटामिन-K(फाइलोक्विनोन)
रतौंधी-विटामिन-A (रेटिनॉल) एक्सेरोफाइटॉल
रक्त अल्पता-विटामिन-B12 (सायनोबलेमीन)
सूखा रोग-विटामिन-D (कैल्सिफेरॉल)
पायरिया-विटामिन-C (ऐस्कार्बिक एसिड)
बन्ध्यता-विटामिन-E (aटोकॉफेरॉल)
अरक्तता- विटामिन-B6 (पिरिडॉक्सीन)।
प्रश्न 24. मोनोसैकेराइड, डाइसैकेराइड और पॉलिसैकेराइड में अन्तर लिखिए।
उत्तर⇒मोनोसैकेराइड, डाइसैकेराइड और पॉलिसैकेराइड में अन्तर –
मोनोसैकेराइड | डाइसैकेराइड | पॉलिसैकेराइड |
1. इसका सामान्य सूत्र CH2nOn है। (n=3-7) |
2.इसका जल अपघटन नहीं होता है। 3. ये जल में विलेय तथा स्वाद में मीठे होते हैं । 4.इनमें ग्लूकोसाइड बन्ध नहीं होता। 5.ये हेमीऐसीटल बनाते हैं । | 1. इसका सामान्य सूत्र Cn+1H2nOn है ।
2. ये जल अपघटित होकर मोनोसैकेराइड के दो अणु देते हैं। 3. ये जल में विलेय तथा स्वाद में मीठे होते हैं। 4. इनमें एक ग्लूकोसाइड बन्ध होता है। 5. ये ऐसीटल बनाते हैं। | 1. इसका सामान्य सूत्र (C6 H10O5)n पॉलिहेक्सोस या (CgH8O4), पॉलि -पेण्टोज है। 2. ये जल-अपघटित होकर मोनोसैकेराइड के अनेक अणु देते हैं। 3.ये जल में अविलेय हैं तथा स्वादहीन होते हैं। 4.इनमें अनेक ग्लूकोसाइड बन्ध होते हैं। 5.ये रेखीय या शाखायुक्त उच्च बहुलक हैं। और हेमीऐसीटल और ऐसीटल दोनों नहीं बनाते हैं। |
प्रश्न 25. संक्षेप में समझाइये
(a) दो ऐन्जाइमों के नाम तथा उनके कार्य।
(b) जल में घुलनशील दो विटामिनों के नाम एवं इनके अभाव से होने वाले रोग।
उत्तर⇒ (a) दो ऐन्जाइमों के नाम तथा उनके कार्य
नाम-
1. ऐमाइलेज (टायलिन)
कार्य- यह स्टार्च को ग्लूकोज में बदल देता है।
2. पेप्सिन –
कार्य- यह प्रोटीन को ऐमीनो अम्ल में बदल देता है।
(b) जल में घुलनशील विटामिन –
1. विटामिन B1– थायमीन –
अभाव में रोग – बेरी-बेरी
2. विटामिन C- ऐस्कार्बिक अम्ल
अभाव में रोग – स्कर्वी
जल में घुलनशील विटामिनों के अन्य उदाहरण- विटामिन B2 , B6 , B12 तथा K.