बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 15 बहुलक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 15 बहुलक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > रसायन विज्ञान अध्याय 15 बहुलक - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. रबर के रसायन को विस्तारपूर्वक समझाइए। यह कितने प्रकार का होता है ? इसके निर्माण एवं उपयोग को लिखें।

उत्तर⇒ इतिहास - प्राकृतिक रबर की खोज का श्रेय कोलंबस को जाता है। दुनिया भ्रमण के क्रम में जब कोलंबस दक्षिणी अमेरिका पहुँचा तो यह देखा कि वहाँ के लोग एक वृक्ष के रस से तैयार किए हुए गोले से गेंद खेल रहे थे। उस गोले को वह यूरोप ले आया । वहाँ के वैज्ञानिकों ने उस गोले से पेंसिल की लिखावट को मिटाकर गोले के विषय में जानने का प्रयास शुरू किया। आगे चलकर उस गोले का नाम रबर पड़ा। इसमें लचीलापन  का गुण पाया गया। रबर की खींच कर उसके सही लम्बाई को 5 से 10 गुणा तक बढ़ाया जा सकता है। बल हटाने के बाद रबर अपने मूल आकृति को प्राप्त कर लेता है । मोटरकार  उद्योग के प्रसार से रबर की माँग काफी बढ़ गई है। इसी कारण कृत्रिम रबर का निर्माण किया गया।

             रबर के प्रकार -रबर दो प्रकार के होते हैं

1. प्राकृतिक रबर , 2. कृत्रिम रबर ।

           वृक्ष से प्राप्त दूध से रबर तैयार करना-रबर के वृक्ष को हेविया ब्रासीलिएन्सिस के नाम से जाना जाता है। रबर के वृक्ष से प्राप्त दूध को तनु करके छान लिया जाता है। इस रस या दूध जिसे लैटेक्स  कहा जाता है। इसमें फॉर्मिक अम्ल या एसिटिक अम्ल मिलाया जाता है जिससे श्वेत पिण्ड के रूप में दूध जम जाता है। इस जमे हुए आकृति को रबर कहा जाता है। श्वेत पिंड की आकृति में प्राप्त रबर को क्रीपिंग यंत्र  से पास कराया जाता है। जिससे रबर चादर के रूप में बदल जाता है। इस तरह से प्राप्त प्राकृतिक रबर क्रेप रबर भी कहा जाता है। प्राकृतिक रबर में निम्नलिखित त्रुटियाँ  होती हैं

(i) यह कमजोर एवं कम लचीला होता है।

(ii) यह अस्थायी है तथा शीर्घ ऑक्सीकारकों द्वारा प्रभावित होता है।

(iii) यह जल को काफी मात्रा में अवशोषित करता है। निम्न तापक्रम पर भंगुर और उच्च तापक्रम पर मुलायम होता है।

(iv) हवा की उपस्थिति में इसके अधिकांश गुण समाप्त हो जाते हैं।

            रबर की संरचना -प्राकृतिक रबर आइसोप्रीन का बहुलक होता है। रबर के अणु में आइसोप्रीन अणु CIS अवस्था में एक-दूसरे से जुटे रहते हैं अर्थात् आइसोप्रीन अणु के सभी CH2 समूह एक ही तरफ  रहते हैं। इसका अमणिभीय रचना प्राप्त है।

              रबर के लचीलापन-गुण -रबर के अणु का अव्यवस्थित संरचना प्राप्त किया जाता है। अव्यवस्थित रचना के कारण इसकी इन्ट्रॉपी अधिक रहती है। जब रबर को खींचा जाता है तो इसकी संरचना व्यवस्थित हो जाता है और इस अव्यवस्था में इसकी एन्ट्रॉपी कम हो जाती है। पुनः पूर्व अवस्था अर्थात् रबर को खींचना बंद कर देने पर एन्ट्रॉपी बढ़ जाती है। एन्ट्रॉपी में इस तरह के परिवर्तन के कारण ही रबर में लचीलापन का गुण आ जाता है।

        यदि आइसोप्रीन (रबर) अणु ट्रांस  अवस्था में जुटे रहें तो इसमें लचीलापन का गुण समाप्त हो जाता है। इस अवस्था में इसके एन्ट्रॉपी में कई परिवर्तन नहीं होता। ट्रॉस आइसोप्रीन कठोर रबर की तरह व्यवहार करता है। अतः हम कह सकते हैं कि सीस-आइसोप्रीन सही रबर है, जबकि ट्रांस आइसोप्रीन कठोर रबर है।

                रबर का वल्केनाइजेशन - प्राकृतिक रबर  में रबर के मुख्य गुण, जैसे लचीलापन, ताप बर्दाश्त करने की क्षमता इत्यादि कम होती है। प्राकृतिक रबर मुलायम लसलसा  और गर्म करने पर पिघल जाता है। प्राकृतिक रबर को लचीलापन शक्ति, लसलसापन, ताप बर्दाश्त करने योग्य बनाने के लिए इसका वल्केनाइजेशन  किया जाता है।

               वल्केनाइजेशन प्रक्रिया में कच्चे रबर को गंधक  के साथ करीब 200°C तक गर्म किया जाता है। जिससे सल्फर बहुलक अणु  से मिलकर सल्फर अणु  बनाता है। इस सेतु में सल्फर के 1 से 6 परमाणु तक रह सकते हैं। इस तरह के सेतु या बन्धन को क्रॉसलिंक कहा जाता है। पॉलिआइसोप्रीन और सल्फर के बीच के क्रॉसलिक को निम्न प्रकार से दिखाया जा सकता है

यहँ आइसोप्रीन के मोनोमर इकाई, S = सल्फर (1 से 6 परमाणु)

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प्रश्न 2. जैवनिम्नीय बहुलक क्या हैं ? एक जैवनिम्नीय ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर का उदाहरण दीजिए।

उत्तर⇒ जैव निम्नीय संश्लिष्ट बहुलकों को अभिकल्पित और विकसित किया गया है। इन बहुलकों में जैव बहुलकों में उपस्थिति प्रकार्यात्मक समूहों के सदृश प्रकार्यात्मक समूह पाए जाते हैं।

             ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर जैव निम्नीय बहुलकों का एक महत्वपूर्ण वर्ग है।

पॉलि β– हाइड्रॉक्सी ब्यूटिरेटट-को- β – हाइड्रॉक्सी वैलेरेट (PHBV) है एक जैव निम्नीकरणीय बहुलक है। यह 3-हाइड्राक्सी ब्यूटेनाइक अम्ल और 3-हाइऑक्सी पेन्टेनोइक अम्ल के सहबहुलक से प्राप्त होता है।

प्रश्न 3. विटामिन-B के कार्य तथा विटामिन-B के अभाव में होने वाले दो रोगों के नाम लिखिए।

उत्तर⇒ विटामिन-B1 बहुत से विटामिन के समूह को कहते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

विटामिन-B1 (थायमीन)

विटामिन-B2  (राइबोफ्लेविन)

विटामिन-B3  (पेन्टोथेनिक ऐसिड)

विटामिन-B6  (पायरीडॉक्सीन)

विटामिन-B12  (सायनोबलेमीन)।

विटामिन-B1 (थायमीन)-स्रोत-बिना पॉलिश किया चावल, हरी सब्जी, अण्डा।

कार्य- तंत्रिका तन्त्र की क्रियाशीलता बनाये रखना।

अभाव से रोग- (i) बेरी-बेरी (हाथ पैर में सूजन), (ii) गैस्ट्रिक (पाचन क्रिया का अनियमित होना)।

विटामिन-B2 (राइबोफ्लेविन) स्रोत-खमीर, अण्डा का पीला भाग आदि।

कार्य- शारीरिक वृद्धि हेतु।

अभाव से रोग- होठों का फटना, नेत्र दृष्टि कम होना।

प्रश्न 4. एक जैवनिम्नीय ऐलिफैटिक कैसे करेंगे ?

(क) नाइलॉन 6, 

(ख) मैलेमाइन फार्मेल्डिहाइड, प्रत्येक के उपयोग भी लिखें।

उत्तर⇒ (क) नाइलॉन- 6, नाइलॉन-6 का एकलक कैप्रोलेक्टम है जो साइक्लोहेक्सेन से प्राप्त होता है।

                 कैप्रोलैक्टम को गर्म करने पर α ऐमीनों कैप्रॉइक अम्ल एकलक के रूप में प्राप्त होता है। बहुलकीकरण, स्वरूप नाइलॉन 6 प्राप्त होता है।

 

यह बहुलक रस्सी, धागा तथा वस्त्र बनाने में प्रयुक्त होता है।

       (ख) मैलेमाइन फार्मेल्डिहाइड- हैट्रोसाइक्लीक ट्राई ऐमीन को जब मैलेमाइन से संघनित किया जाता है। तब बहुलीकरण स्वरूप मैलेमाइन फॉर्मल्डिहाइड प्राप्त होता है।

इसका उपयोग अभंजनीय बर्तनों के निर्माण में किया जाता है।

प्रश्न 5. क्या पॉलिएस्टर व पॉलिएक्रिलेट्स समान है ? उत्तर को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर⇒पॉलिएस्टर व पॉलिएक्रिलेट्स दोनों अलग-अलग श्रेणियों के बहुलक हैं तथा दोनों में निम्न अन्तर स्पष्ट है

पॉलिएक्रिलेट्स एकलक (होमोपॉलिमर) है जबकि पॉलिएस्टर, सह बहुलक की प्रकृति के हैं।

पॉलिएक्रिलेट्स में बहुलकों का संश्लेषण योगात्मक बहुलीकरण द्वारा होता है जबकि पॉलिएस्टर का संश्लेषण संघनन बहुलीकरण द्वारा होता है।

पॉलिएक्रिलेट्स में बहुलीकरण C=C बन्ध के द्वारा होता है जबकि पॉलिएस्टर में यह एस्टर बन्ध के द्वारा होता है।

प्रश्न 6. पॉलिथीन क्या है ? इसके दो उपयोग लिखिये।

उत्तर⇒ पॉलिथीन या पॉलिएथिलीन - अत्यधिक उच्च दाब 1000-3000 वायुमण्डल एवं 373 से 573 K पर ऑक्सी अथवा अकार्बनिक परऑक्साइड की उपस्थिति में एथिलीन बहुलीकृत होकर पॉलिएथिलीन बनाता है।

इस प्रकार पॉलिएथिलीन एक योगात्मक बहुलक है तथा व्यापार में पॉलिथीन के नाम से प्रसिद्ध है। यह ताप प्लास्टिक है तथा गर्म करने से नर्म हो जाता है, जिससे इसे विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकता है। यह जल, अम्ल, क्षार तथा कार्बनिक विलायकों द्वारा अप्रभावित रहती है।

उपयोग -

न टूटने वाली बोतलें, पाइप, बाल्टी आदि घरेलू उपयोग की वस्तुओं के निर्माण में।

पैक करने वाली सामग्रियों के निर्माण में,

तारों के विद्युत्-रोधन में।

प्रश्न 7. सेल्युलोज क्या है ? इसके उपयोग लिखिये।

उत्तर⇒ सेल्युलोज प्रकृति द्वारा संश्लेषित बहुसैकेराइड है। सेल्युलोज का अणुसूत्र (C6H10O5)n है। यह पेड़-पौधों की कोशिका भित्ति  का प्रमुख अंग है तथा कुछ जीव-जन्तुओं के ऊतक में भी पाया जाता है। लकड़ी में 60 % तथा रुई (कॉटन) में 90 % सेल्युलोज होती है। यह प्रकृति में सर्वाधिक मात्रा में मिलने वाला कार्बनिक यौगिक है।

उपयोग- सेल्युलोज से निर्मित अर्द्ध-संश्लेषित बहुलक कृत्रिम धागे व प्लॉस्टिक बनाने में बहुत उपयोगी

प्रश्न 8. जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक क्या है ? इसके उपयोग लिखिये ।

उत्तर⇒ जिग्लर- नाटा उत्प्रेरक- टाइटेनियम क्लोराइड और ऐल्युमिनियम यौगिक का अक्रिय विलायक (हेक्सेन) में मिश्रण जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक कहलाता है। 

उपयोग- 1. कम दाब और ताप पर एथिलीन से पॉलिथीन बनता है।

पॉलिथीन पॉलिथीन का उपयोग खिलौने, रेडियो, टी.वी. के केबिनेट बनाने में होता है।

2. कम ताप और दाब पर प्रोपिलीन जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक की उपस्थिति में पॉलिप्रोपिलीन बहुलक बनाता है।

पॉलिप्रोपिलीन पॉलिप्रोपिलीन का उपयोग बोतलें, पाइप, ग्रामोफोन, रिकॉर्ड बनाने में होता है।

प्रश्न 9. टेफ्लॉन की विधि, गुण तथा उपयोग का वर्णन कीजिए।

उत्तर⇒ टेफ्लॉन-यह ट्रेटाफ्लोरोएथिलीन को अमोनियम परऑक्सी सल्फेट की उपस्थिति में गर्म करके बनाया जाता है।

गुण- (1) यह बहुत कठोर पदार्थ है,

       (2) ऊष्मा का प्रतिरोधी होता है,

       (3) इसका गलनांक 330°C है,

       (4) यह रासायनिक रूप से निष्क्रिय होता है।

उपयोग- टेफ्लॉन का उपयोग सान्द्र अम्लों और दाहक द्रवों के भरने की केन बनाने तथा ऊष्मा व रासायनिक पदार्थों के प्रतिस्थायी वस्तुएँ बनाने में होता है।

प्रश्न 10. बैकलाइट कैसे बनाते हैं ? इसके उपयोग लिखिए।

उत्तर⇒ क्षार की उपस्थिति में फीनॉल और फॉर्मेल्डिहाइड के संघनन से बैकेलाइट बनता है। बैकेलाइट क्रॉस बन्ध बहुलक है।

उपयोग़-बहुलीकरण की अल्प मात्रा में बने हुए मुक्त मृदु बैकलाइट स्तरित काष्ठ के तख्तों के लिए बन्धक गोंद के रूप में तथा वार्निशों एवं लैकरों में उपयोग किये जाते हैं। बहुलीकरण की मात्रा उच्च होने से कठोर बैकलाइट बनते हैं, जो कंघे, फाउण्टेन पेन की नलियों, ग्रामोफोन के रिकॉर्ड, बिजली के सामान, फार्माइका मेज तलों तथा अनेक उत्पादों के बनाने के लिए उपयोग किये जाते हैं।

प्रश्न 11. नायलॉन-6,6 बनाने की विधि, गुण एवं उपयोग लिखिए।

उत्तर⇒ नायलॉन- 6,6 – यह पॉलिऐमाइड संवर्ग का अति सामान्य बहुलक है। इसमें अनुलग्न-66 का अर्थ है कि बहुलक श्रृंखला में एसिड और डाइऐमीन दोनों के छ:-छ: कार्बन परमाणु होते हैं।

नायलॉन- 6,6 बनाने की विधि-यह ऐडिपिक अम्ल या 1,6- हेक्सेन डाइ ओइक ऐसिड तथा हेक्सामेथिलीन डाइऐमीन या 1, 6-डाइऐमीनो हेक्सेन के बहुलीकरण से बनाया जाता है।

गुण-

नायलॉन धागे की उच्च तन्य शक्ति होती है।

ये कठोर होते हैं।

इनकी प्रवृत्ति इलेस्टिक होती है।

नायलॉन की संरचना प्रोटीन के समान होती है।

उपयोग-

इसका उपयोग ब्रिसल और ब्रश बनाने में होता है।

वस्त्र उद्योग में धागे, गलीचे, बनियान, जुरावे बनाने में होता है।

प्रश्न 12. प्राकृतिक बहुलक क्या है ? कुछ प्रमुख बहुलकों को उदाहरण द्वारा समझाइये।

उत्तर⇒ प्राकृतिक बहुलक - अनेक बहुलक प्रकृति में पाये जाते हैं । प्रकृति में इनका निर्माण एकलक इकाइयों के संयोजन अथवा संघनन द्वारा न होकर एक जटिल उपापचय प्रक्रिया द्वारा होता है। कुछ प्रमुख प्राकृतिक बहुलक निम्न हैं

1. पॉलिसैकेराइड - ये मोनोसैकेराइडों के उच्च अणु द्रव्यमान वाले बहुलक है। इसका मुख्य उदाहरण स्टॉर्च तथा सेलूलोस है। स्टॉर्च पौधे का मुख्य संरक्षित खाद्य पदार्थ है जबकि सेलूलोस पौधों का मुख्य संरचनात्मक भाग है।

2. प्रोटीन - ये a ऐमीनो अम्लों के बहुलक हैं। प्रोटीन शरीर के अधिकांश भाग की रचना ही नहीं अपितु उसका संचालन भी करते हैं। प्रोटीन के जल-अपघटन से अन्तिम उत्पाद a ऐमीनो कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं।

3. न्यूक्लिक अम्ल - ये प्राकृतिक बहुलक पदार्थ हैं जो प्रत्येक जीवित कोशिका में “न्यूक्लिओ प्रोटीन” नामक यौगिक के रूप में प्रोटीनों के साथ संयुक्त पाये जाते हैं। प्रोटीनों के जैव संश्लेषण का नियंत्रण इन्हीं के द्वारा होता है। ये आनुवंशिक सूचना के वाहक हैं तथा इस विशिष्ट कार्य हेतु इनकी संरचना भी विशिष्ट होती है। राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA) तथा डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) मुख्य न्यूक्लिक अम्ल है।

4. प्राकृतिक रबर - प्राकृतिक रबर पौधों के लैटेक्स से प्राप्त होती है जो आइसोप्रीन (2- मेथिल 1,3 ब्यूटाडाईन) का बहुलक है।

प्रश्न 13. संरचना के आधार पर बहुलकों को कितने भागों में विभाजित किया गया है ? उदाहरण देते हुए समझाइये।

उत्तर⇒ संरचना के आधार पर बहुलकों को निम्न भागों में विभाजित किया गया है

1. रैखिक बहुलक - इस प्रकार के बहुलकों में एकलक इकाइयाँ मिलकर लम्बी सीधी श्रृंखला बनाती है। ये बहुलक इकाइयाँ एक के ऊपर एक स्थित होती हैं जिसके कारण इसकी तन्यता एवं गलनांक उच्च होते हैं । उदाहरण-पॉलि एथिलीन, नाइलॉन, पॉलि एस्टर।

2. शाखित श्रृंखला बहुलक - शाखित बहुलक पार्श्व-शाखाओं वाली एक दीर्घ श्रृंखला है। इस प्रकार के बहुलकों में एकलक इकाइयाँ आपस में जुड़कर मुख्य श्रृंखला और इससे अनेक पार्श्व श्रृंखलाएँ निकलती हैं जो शाखित होती हैं। उदाहरण-ऐमिलोपेक्टिन, ग्लाइकोजेन।।

3. तिर्यकबद्ध बहुलक- इस प्रकार के बहुलक में एकलक इकाइयाँ आपस में जुड़कर जाली के समान संरचना बनाती हैं। ये बहुलक अत्यन्त कठोर एवं भंगुर होते हैं। उदाहरण-बेकेलाइट तथा यूरिया, फार्मेल्डिहाइड रेजीन।

प्रश्न 14. नायलॉन-6 और नायलॉन-6,6 में अन्तर स्पष्ट कीजिएं।

उत्तर⇒नायलॉन-6 और नायलॉन-6,6 में अन्तर।

 

नायलॉन 6

नायलॉन 6,6

1. यह कैप्रोलैक्टम एकलक अणुओं के संघनन से बनती है।

2. कैप्रोलैक्टम में 6 कार्बन की शृंखला पाई जाती है इसलिए इसे नायलॉन 6 कहते हैं।

1 . यह ऐडिपिक अम्ल तथा हेक्सामेथिल डाइ एमीन एकलक अणुओं के संघनन से बनता है।

2. ऐडिपिक अम्ल और हेक्सामेथिलीन डाइ एमीन दोनों यौगिकों में 6-6 कार्बन की श्रृंखला पाई जाती है अतः इसे नायलॉन 66 कहते हैं।

 

 

प्रश्न 15. टेफ्लॉन क्या है ? इसके उपयोग लिखिये।

उत्तर⇒ टेफ्लॉन या पॉलिटेट्राफ्लु ओरोएथिलीन टेफ्लॉन टेट्राफ्लुओरो एथिलीन का उच्च बहुलक है।

टेफ्लॉन रासायनिक रूप से निष्क्रिय एवं ऊष्मा प्रतिरोधी बहुलक है। इसका गलनांक 603K है।

उपयोग– यह गैस्केट, पम्प की पैकिंग, बल्ब की सील, अस्नेहित बेयरिंग, फिल्टर वस्त्र (जालीदार कपड़ा) आदि को बनाने के उपयोग में आता है।

प्रश्न 16. निओप्रिन रबर क्या है ? इसके उपयोग लिखिए।

उत्तर⇒निओप्रिन रबर-यह संश्लेषित रबर है, जो पोटैशियम परसल्फेट की उपस्थिति में क्लोरोप्रिन (2- क्लोरो ब्यूटा-1, 3 डाईन) के बहुलीकरण से बनता है।

उपयोग-

पेट्रोल ले जाने वाली पाइप लाइन बनाने में।

कोयला खानों में काम करने वालों के लिए बेल्ट बनाने में।

प्रश्न 17. जैवनिम्नीय बहुलक क्या हैं ? एक जैवनिम्नीय ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर का उदाहरण दीजिए।

उत्तर⇒ जैवनिम्नीय बहुलक वह बहुलक है जो एक लम्बे समयांतराल के बाद स्वयं के द्वारा अथवा सूक्ष्मजीवों की क्रिया द्वारा विघटित हो जाता है। जैवनिम्नीय बहुलक कहलाता है। इस प्रकार के बहुलक का उपयोग तथा उनका निस्तारण पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न नहीं करता है।

उदाहरण- पॉलिहाइड्रॉक्सीब्यूटीरेट को -हाइड्रॉक्सी वैलरेट PHBV.

प्रश्न 18.एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थैलिक अम्ल से डेक्रॉन किस प्रकार प्राप्त किया जाता है ?

उत्तर⇒डेक्रॉन बनाने के लिये निम्नलिखित समीकरण हैं-

 

प्रश्न 19. निम्नलिखित बहुलक संरचनाओं के एकलक की पहचान कीजिए

उत्तर⇒ (i) डेकानॉइक अम्ल –

HOOC -(CH2)8-COOH और हेक्सामेथिलीनडाइएमीन -H2N-(CH2)6-NH2 है।

 

प्रश्न 20. रबर अणुओं में द्विबंधों की उपस्थिति किस प्रकार उनकी संरचना और क्रियाशीलता को प्रभावित करती है ?

उत्तर⇒ संरचना की दृष्टि से प्राकृतिक रबर एक रेखीय सिस-1,4-पॉलिआइसोप्रिन है। इस बहुलक में द्विआबंध आइसोप्रिन इकाइयों के C, और C, के मध्य स्थित होते हैं। द्विआबंध का सिस अभिविन्यास दुर्बल अंतर-आण्विक बलों द्वारा प्रभावी आकर्षण के लिए श्रृंखलाओं को समीप नहीं आने देता। अतः प्राकृतिक रबर की कुंडलित सरंचना होती है और यह प्रत्यास्थता प्रदर्शित करता है।

 

प्रश्न 21. एथीन के बहुलीकरण के लिए मुक्त मूलक क्रियाविधि लिखिए।

उत्तर⇒ बेंजॉयल परॉक्साइड की उपस्थिति में एथीन का बहुलीकरण मुक्त मूलक क्रियाविधि द्वारा समझा जा सकता है।

प्रश्न 22. प्राकृतिक रबड़ क्या है ? इसकी मूल संरचना बताइए।

उत्तर⇒  रबड़ एक थर्मोप्लास्टिक पदार्थ है जो आइसोप्रीन (C5H8) का एक बहुलक है। यह विशेष प्रकार के पौधों के तने से प्राप्त सफेद पदार्थ जिसे लैटेक्स  कहते हैं, से बनाया जाता है। प्राकृतिक रबड़ की मूल इकाई आइसोप्रीन (C5H8) का संरचनात्मक सूत्र निम्न प्रकार है-

प्राकृतिक रबड़ की बहुलक शृंखला में आइसोप्रीन की 1,100 से 20,020 इकाइयाँ हो सकती हैं। संरचनात्मक दृष्टि से इसे इस प्रकार निरूपित किया जा सकता है।

प्रश्न 23. एथीन के बहुलकन के लिए मुक्त मूलक क्रियाविधि लिखिए।

उत्तर⇒ बेन्यासाल परॉक्साइड की उपस्थिति में एथिन का बहुलकन मुक्त मूलक क्रियाविधि द्वारा समझा जा सकता है।

(i) श्रृंखला प्रारंभिक पद

(ii) श्रृंखला संचरण पद

(iii) श्रृंखला समापन पद

प्रश्न 24 . तापसुघट्य और तापदृढ़ बहुलकों को प्रत्येक के दो उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।

उत्तर⇒ ताप सुघट्य बहुलक- यह रेखीय या किंचित शाखित लंबी श्रृंखला के अणु होते हैं जो बार-बार गर्म करने से मृदुल और ठंडा करने से कठोर हो सकने में समर्थ है। इन बहुलकों के अंतराआणिक आकर्षण बल प्रत्यास्थ बहुलकों और रेशों के मध्यवर्ती होते हैं। पॉलिथीन पॉलिस्टाइरीन तथा पॉलिवाइनिल आदि उदाहरण है।

              तापदृढ़ बहुलक- यह बहुलक तिर्यक वृद्धि या अत्यधिक शाखित अणु होते हैं जो सांचों में तापम से विस्तीर्ण तिर्यक बंधे हो जाते हैं और दोबारा दुर्गलनीय बन जाते हैं। इनका दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता जैसे-बैकेलाइट, यूरिया-फार्मेल्डिहाइड रेजिन आदि उदाहरण।

प्रश्न 25. निम्न बहुलकों को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक लिखिए

(1) पॉलिवाइनिल क्लोराइड,

(2) टेफ्लॉन,

(3) बैकेलाइट।

उत्तर⇒

(1) पॉलिवाइनिल क्लोराइड का एकलक, CH, = CHCl (वाइनिल क्लोराइड) है।

(2) टेफ्लॉन का एकलक, CF2=CF2 (टेट्राफ्लुओरोएथिलीन) है।

(3) बैकेलाइट के बनने में प्रयुक्त होने वाले एकलक, HCHO (फॉर्मेल्डिहाइड) और C6H5OH (फीनॉल) हैं।