बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 16 दैनिक जीवन में रसायन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 16 दैनिक जीवन में रसायन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > रसायन विज्ञान अध्याय 16 दैनिक जीवन में रसायन - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों को उपयुक्त उदाहरणों द्वारा समझाइए ?

(क) ऋणायनी अपमार्जक (ख) धनायनी अपमार्जक (ग) अनायनिक अपमार्जक

उत्तर⇒ (क) ऋणायनी अपर्माजक- ऋणायनी अपमार्जक लंबी शंखला वाले ऐल्कोहलों या हाइड्रोकार्बन के सल्फोनेटिक व्युत्पन्न होते हैं। दीर्घ श्रृंखला वाली ऐल्कोहॉलों को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कराने से ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट बनते हैं। जिन्हें क्षार से उदासीन करने पर ऋणायनी अपमार्जक बनते हैं। इसी प्रकार से एल्किलबेन्जीन सल्फोनेट, ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनिक अम्लों के द्वारा उदासीन करने से प्राप्त होते हैं।

          (ख) धनायनी अपमार्जक-ऐमीनों के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड ऋणायनों के साथ बने चतुष्क लवण होते हैं। इनमें धनायनी भाग में लंबी हाइड्रोकार्बन शृंखला होती है तथा नाइट्रोजन अणु पर एक धन आवेश होता है। अतः इन्हें धनायनी अपमार्जक कहते हैं। जैसे सैटिलट्राइमेथिल अमोनिया ब्रोमाइड।

         

(ग) अनायनिक अपमार्जक-ऐसा अपर्माजक स्टीऐरिक अम्ल तथा पॉलीऐथिलीन ग्लाइकोल की अभिक्रिया से बनाता है।

CH3(CH2)16COOH + HO(CH2CH2O)n CH2CH2 OH

            CH3(CH2)16COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH

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प्रश्न 2. साबुन की शोधन क्रिया समझाइए।

उत्तर⇒ सभी अपमार्जकों तथा साबुन में दो भाग होते हैं। एक समूह जल में घुलनशील तथा दूसरा जल में अघुलनशील, परिणामस्वरूप जब साबुन या अपमार्जक को जल में घोला जाता है तब हाइड्रोकार्बन भाग जल से दूर भागता है जबकि आयनिक भाग जल को आकर्षित करता है।

         

धूल के कण जो तेल की भांति व्यवहार दर्शाते हैं। हाइड्रोकार्बन शृंखला की ओर आकर्षित होते हैं। जबकि आयनिक गन्दे जल में घुल जाती है। परिणामस्वरूप कपड़ा साफ हो जाता है। जब उचित सांद्रता में साबुन या अपमार्जकों को जल में मिलाया जाता है तो मिसेल बनते हैं।

 

प्रश्न 3. एण्टेसिड, एण्टीबायोटिक और दर्दशामक क्या है ?

उत्तर⇒ एण्टेसिड -यह वह रासायनिक पदार्थ है जो पेट की अम्लीयता को उदासीन बनाकर उचित मार्ग पर ला देता है।

         उदाहरण- CaCO3 , NaHCO3 , Mg(OH)2CaCO3  या Al(OH)3 को टिकिया के रूप में या घोल के रूप में लेने पर पेट में उपस्थित अधिक HCl को उदासीन करता है।

         एण्टीबायोटिक - वह रासायनिक पदार्थ जो सूक्ष्म जीवाणुओं (बैक्टीरिया, कवक, फफूंदी) से उत्पन्न होता है, जो अन्य सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि रोके या समाप्त ही कर दें।

         ददशामक - वह रासायनिक पदार्थ जो शरीर के दर्द के निवारण में प्रयुक्त होता है।

उदाहरण- 

 

प्रश्न 4. अपमार्जक क्या होते हैं ? वर्गीकरण करें, साबुन की तुलना में अपमार्जक अधिक उपयोगी है वर्णन करें ?

उत्तर⇒ अपमार्जक-लवणों की अत्यधिक घुलनशीलता के कारण सामान्यतः जल में इनकी सांद्रता अधिक होती है। ज्यादातर आयनिक लवणों की कठोर जल में कुछ धातु आयन जैसे Ca+2 और Mg+2आयन होते हैं। जब ये आयन साबुन के साथ घुलते हैं तो अघुलनशील अवक्षेप बनाते हैं। ये अवक्षेप कपड़े धान में व्यवधान उत्पन्न करते हैं। संश्लिष्ट अपमार्जक वह शोधक अभिकर्मक है जिनमें साबुन के सभी गुण होते हैं, परन्तु जो वास्तव में साबुन नहीं होते। अपमार्जक कठोर जल के साथ झाग बनाते हैं। सामान्यतः सोडियम लॉरील सल्फेट और सोडियम डोडेसिल बेन्जीन सल्फोनेट अपमार्जक के उदाहरण है।

सोडियम ऐल्किल बेंजीन सल्फोनेट

        साबुन कठोर जल में कार्य नहीं करते :

        कठोर जल में अपमार्जक अधिक उपयोगी है। क्योंकि कठोर जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के आयन होते हैं। यह आयन सोडियम या पोटैशियम साबुन को कठोर जल में घोलने पर क्रमशः अघुलनशील कैल्सियम और मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित कर देते हैं। अतः अच्छी धुलाई में क्षमता डालते हैं।

        अपमार्जकों के प्रकार-संश्लिष्ट अपमार्जक तीन प्रकार के होते हैं। ऋणायनी, धनायनी और अनायिक एक लम्बी श्रृंखला वाले ऐल्कोहलों या हाइड्रोकार्बनों के सल्फोनेटित व्युत्पन्न होते हैं।

CH3-(CH2)16CH2OH + H2SO4 CH3-(CH2)16CH2OSO3H

        CH3(CH2)16CH2SO-O3Na+

        इस प्रकार के अपमार्जक ऋणायिनक होते हैं। क्योंकि इन पर ऋणायन होता है।

        उदाहरण- ऐल्किल बेंजीन सल्फोनेट ऋणायनी अपमार्जक अम्लीय विलयन में भी उपयोगी होते हैं जो एल्किल हाइड्रोजन सल्फेट बनाते हैं जो कि घुलनशील पदार्थ है। साबुन अम्लीय विलयन में अघुलशील पदार्थ बनाते हैं।

        धनायनी अपमार्जक-धनायनी अपमार्जक एमीनों के ऐसीटेट क्लोराइड या ब्रोमाइड या ब्रोमाइड ऋणायनों के साथ बने चतुष्क लवण होते हैं। इनके धनायनी भाग में लंबी हाइड्रोकार्बन शंखला होती है। तथा नाइट्रोजन अणु पर एक धन आवेश होता है सेटिलट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड एक प्रचलित धनायनी अपमार्जक है।

           अनायनिक अपमार्जक-कुछ अपमार्जक अनायनिक अपमार्जक भी होते हैं। अनायनिक अपमार्जकों की संरचना में कोई आयन नहीं होता। ऐसा अपमार्जक स्टीऐरिक अम्ल तथा पालीएथीलीन ग्लाइकॉल की अभिक्रिया से बनता है।

CH3(CH2)16COOH + HO(CH2CH2O)nCH2CH2OH

CH3(CH2)16COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH

अनायमिक अपमार्जक

कछ द्रव अवस्था में अनायनिक अभिकर्मक भी होते हैं।

प्रश्न 5. (i) प्रतिअम्ल क्या है ? उन सामान्य यौगिकों का उल्लेख करें जो प्रतिअम्ल के रूप में उपयोग होते हैं ?

(ii) निम्न को उदाहरण देकर समझाइए (क) प्रशांतक (ख) प्रतिजनन क्षमता औषध (ग) प्रतिहिस्टैमिन।

उत्तर⇒ (i) प्रतिअम्ल वे पदार्थ होते हैं जो आमाशय से अम्ल के अत्यधिक उत्पादन को रोकते हैं तथा pH- को उदासीनता से आगे नहीं बढ़ने देते। धात्विक हाइड्रॉक्साइड जैसे मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड Mg(OH)2 मैग्नीशियम कार्बोनेट MgCO3 आदि।

           (ii) (क) प्रशांतक- प्रशांतक रासायनिक यौगिकों का वह वर्ग है जिसका उपयोग तनाव तथा छोटी या बड़ी मानसिक बीमारियों में किया जाता है। यह अच्छा होने की भावना को अभिप्रेरित करके चिंता, तनाव, क्षोभ अथवा उत्तेजना से मुक्ति देते हैं। प्रशांतक विभिन्न प्रकार के होते हैं। ये अलग-अलग क्रिया-विधियों से कार्य करते हैं। जैसे नॉरऐड्रीनलीन एक तंत्रिकीय संचारक है जो मनोदशा परिवर्तन में भूमिका निभाती है।

           (ख) प्रतिजनन क्षमता औषध-जनन नियंत्राण गोलियों में आवश्यक रूप में संश्लिष्ट एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टीरॉन व्युत्पन्नों का मिश्रण होता है। दोनों ही यौगिक हार्मोन होते हैं। प्रोजेस्टेरोन अंडोत्सर्ग को निरोधित करता है। नारएथिनड्रान संश्लिष्ट प्रोजेस्टीरॉन व्युत्पन्न का उदाहरण है।

           (ग) प्रतिहिस्टेमिन-हिस्टेमिन एक शक्तिशाली वाहिका विस्फारक है। इसके विविध कार्य हैं। यह श्वसनिकओं और आहार नली के चिकनी पेशियों को संकुचित करती है तथा दूसरी पेशियों, जैसे रुधिर वाहिकाओं की दीवारों को नरम करती है। जुकाम के कारण होने वाले नासिका संकुलन और पराग के कारण होने वाली ऐलर्जी का कारण भी हिस्टैमिन ही होती है।संश्लिष्ट औषध ब्रोमोफेनिरामिन और टरफेनाडीन प्रतिहिस्टैमिन का कार्य करती है।

 

प्रश्न 6. साबुन कठोर जल में कार्य क्यों नहीं करता ?

उत्तर⇒ कठोर जल में कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के आयन होते हैं। यह आयन सोडियम या पोटैशियम साबुन को कठोर जल में घोलने पर क्रमशः अघुलनशील कैल्शियम और मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित कर देते हैं।

2C17H35COONa + CaCl2 2NaCl +(C17H35COO)2Ca  

          साबुन             कैल्शियम       सोडियम                 अघुलनशील

.                                क्लोराइड       क्लोराइड              कैल्शियम स्टिऐरेट

.                             (कठोर जल में)                             (कैल्शियम साबुन)

       यह अघुलनशील साबुन मलफेद की तरह पानी से अलग हो जाते हैं और शोधक अभिकर्मक के कार्य के लिए बेकार होते हैं।

प्रश्न 7. कार्बन रेशे क्या होते हैं ? उन्हें किस प्रकार बनाया जाता है ? कार्बन रेशों के दो मुख्य उपयोग बताइए।

उत्तर⇒ दो चमकीले धागे जो पूरी तरह कार्बन से बने होते हैं, कार्बनिक रेशा कहलाते हैं। समान वजन वाले किसी भी अन्य रेखा की तुलना में इनकी शक्ति बहुत अधिक होती है।

             कार्बन रेशे का निर्माण, सेलुलोज या किसी भी कृत्रिम रेशे के द्वारा किया जाता है। इनके निर्माण में प्राकृतिक या कृत्रिम रेशे को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है। इसे सुदृढ़-फाइबर भी कहा जाता है। कार्बन रेशों का प्रयोग सामान्य इंजीनियरी क्षेत्र, उच्च तकनीकी क्षेत्र और जैव चिकित्सा क्षेत्र में होता है।

प्रश्न 8. हमें औषधियों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत करने की आवश्यकता क्यों है ?

उत्तर⇒ औषधि को विभिन्न प्रकारों से वर्गीकृत किया जा सकता है, जो निर्भर करता है

उनके भेषजगुणविज्ञान संबंधी प्रभाव पर

किसी विशेष जैवरासायनिक प्रक्रिया पर उनके प्रभाव पर

उनकी रासायनिक संरचना के आधार पर

उनके आण्विक लक्ष्य के आधार पर।

उदाहरण- औषधि का भेषजगुणविज्ञान संबंधी प्रभाव पर आधारित वर्गीकरण डॉक्टरों के लिये बहुत उपयोगी होता है। औषधि का आण्विक लक्ष्य पर आधारित वर्गीकरण औषधीय रसायनविज्ञानियों (रसानज्ञों) के लिये उपयोगी होता है। अतः औषधि विभिन्न उद्देश्यों के लिये विभिन्न तरीकों में वर्गीकृत की जाती है।

प्रश्न 9.रोगाणुनाशी क्या है ?

उत्तर⇒  रोगाणुनाशी - रोगाणुनाशी वे पदार्थ हैं, जिनमें रोगाणुओं को नष्ट करने की शक्ति होती है। रोगाणुनाशी के रूप में सल्फर यौगिक, मर्करी यौगिक (मरक्यूरिक आयोडाइड) तथा फोनॉलिक यौगिक प्रयुक्त किया जाता है।

साबुन में उपस्थित सल्फर यौगिक मुँहासे , रूसी  तथा त्वचा संक्रमण से त्वचा की रक्षा करते हैं।

रोगाणुनाशी के रूप में फीनॉलिक यौगिकों का प्रयोग अधिक होता है।

क्रेसाइकलिक अम्ल जो m-क्रिसॉल तथा p-क्रिसॉल का मिश्रण है, रोगाणुनाशी के रूप में साबुन में डाला जाता है।

प्रश्न 10. प्रतिजैविक से क्या समझते हैं ? प्रथम प्रतिजैविक का नाम बताइए।

उत्तर⇒  प्रतिजैविक - सूक्ष्म जीवों (बैक्टीरिया, फफूंदी) से बने वे पदार्थ जो अन्य सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर दें; प्रतिजैविक कहलाते हैं। शरीर में पहुँचने के बाद ये उन सूक्ष्म जीवों को जो रोग के कारण हैं, की वृद्धि रोक देते हैं तथा शनैः शनैः उन्हें नष्ट कर देते हैं या उनके विकास में बाधा डालते हैं । ऐलेक्जेण्डर फ्लेमिंग ने प्रथम प्रतिजैविक पेनिसिलिन की खोज की। इसका सामान्य सूत्र C9H12N2O4SR है, इसकी सामान्य संरचना निम्न है-

प्रश्न 11. प्रत्येक को उदाहरण सहित समझाइये(अ) प्रतिजैविक, (ब) दर्दनाशी ( पीड़ाहारी )।

उत्तर⇒ 

(अ) प्रतिजैविक- ऐसे रासायनिक पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों से उत्पन्न होते है तथा अन्य सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर बीमारियों की रोकथाम करते हैं, प्रतिजैविक कहलाते हैं।

ये दो प्रकार के होते हैं

वृहद् स्पेक्ट्रम प्रतिजैविक-उदाहरण- टेट्रासाइक्लीन क्लोरेम्फेनिकॉल, पेनेसिलिन

सूक्ष्म स्पेक्ट्रम प्रतिजैविक-उदाहरण-नियास्टेटिन, बैसिट्रेसिन, पेनेसिलिन प्रतिजैविक औषधियाँ विभिन्न रोगों, जैसे- टायफाइड, वूफिंग कफ, न्यूमोनिया तथा तपेदिक के उपचार में प्रयुक्त होती है।

(ब) दर्दनाशी (पीड़ाहारी)- वे औषधियाँ जो शरीर के दर्द या पीड़ा को कम करने में प्रयुक्त होती है, दर्दनाशी या पीड़ाहारी औषधियाँ कहलाती है।

प्रकार तथा उदाहरण-

नार्कोटिक-मार्फीन, कोडीन।

नॉन-नार्कोटिक-ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल, ऐनाल्जिन।

प्रश्न 12. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए|

एण्टीफर्टिलिटी ड्रग्स

एण्टासिड

डिटर्जेन्ट (अपमार्जक)

शामक औषधि

सल्फा ड्रग।

उत्तर⇒  1. एण्टीफर्टिलिटी ड्रग्स- वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग प्रजनन क्षमता को नियंत्रित करने में किया जाता है एण्टीफर्टिलिटी औषधियाँ कहलाती हैं। एण्टीफर्टिलिटी के प्रयोग से महिलाओं में मासिक स्राव चक्र तथा अण्ड विर्सजन को नियंत्रित करते हैं। आजकल जिन उर्वरता निरोधक का सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है वे हैं–मेस्ट्रेनाल, नॉन-एथिनड्रॉन आदि।

2. एण्टासिड -वे रासायनिक पदार्थजो अमाशय में उत्पन्न अम्ल की अधिकता को कम या उदासीन कर देते हैं और द्रव के pH मान में वृद्धि कर उपयुक्त स्तर पर ले जाते हैं। अमाशय में अम्ल की मात्रा बढ़ने से उत्तेजना तथा पीड़ा देती है जो अमाशय में HCl की अधिक मात्रा उत्पन्न होने से होता है तथा पेट में अल्सर (घाव) जैसे बीमारियों को उत्पन्न करता है। सामान्य रूप से उपयोग में लाये जाने वाले एण्टासिड Mg(OH)2 , MgCO3 , NaHCO3 आदि हैं। जो केवल रोगों को नियंत्रित करते हैं। रोगों के कारण को नहीं।

आजकल ओमेप्रेजॉल, लैन्सो प्रेजॉल आदि एण्टासिड के रूप में उपयोग किये जाते हैं।

3. डिटर्जेन्ट (अपमार्जक)- ये सल्फोनिल अम्लों के लवण या ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट होते हैं। यदि एथिलीन प्रकार के 10  से 18   कार्बन वाले असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों की सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कराई जाती है जो कुछ कार्बनिक अम्ल बनते हैं। कार्बनिक अम्लों के ये सोडियम लवण हैं। ऐसे यौगिकों को संश्लेषित डिटर्जेन्ट कहते हैं। जैसे-सोडियम n-  डोडेसिल बेंजीन सल्फोनेट, सोडियम n-डोडेसिल सल्फेट।

संश्लेषित डिटर्जेन्ट में दो भाग होते हैं

 हाइड्रोकार्बन की लम्बी श्रृंखला जो हाइड्रोफोलिक (जल प्रतिकर्षी) होती है।

छोटी आयनिक श्रृंखला जो हाइड्रोफिलिक (जल-आकर्षक) होती है। आयनिक श्रृंखला सामान्यतया सोडियम सल्फोनेट (SO3-Na+)अथवा सोडियम सल्फेट    (SO4-Na+) की होती है।

डिटर्जेन्ट पृष्ठ सक्रिय यौगिक  हैं, जो जल के पृष्ठ तनाव को कम कर देते हैं। जब ऐसे यौगिकों को पानी में विलेय किया जाता है, तो ये धूल कणों को पानी में वितरित कर पृष्ठ को साफ कर देते हैं।

डिटर्जेन्ट के उपयोग- डिटर्जेन्ट निर्मलक होते हैं। इनका उपयोग साबुन की तरह सूती, ऊनी, रेशमी तथा कृत्रिम रेशों से बने हुए वस्त्रों, बर्तन एवं अन्य घरेलू वस्तुओं को साफ करने में किया जाता है।

डिटर्जेन्ट के गुण-डिटर्जेन्ट निम्नलिखित गुणों के कारण साबुन से अधिक अच्छा है-

डिटर्जेन्ट मृदु तथा कठोर दोनों प्रकार के जल में प्रयुक्त किये जा सकते हैं।

डिटर्जेन्ट का जलीय विलयन उदासीन होता है। अत: डिटर्जेन्ट बिना किसी हानि के कोमल रेशों से बने वस्त्रों को साफ करने में प्रयुक्त किये जा सकते हैं।

4. शामक औषधि-ये उन मरीजों को दिया जाता है जो मानसिक रूप से अस्वस्थ तथा उत्तेजित होते हैं। उदाहरण- इक्वैनिल, ल्यूमिनल, बार्बिट्यूरिक अम्ल, सैकोनॉल आदि।

5. सल्फा ड्रग-ये रसोचिकित्सा औषधि है, ये ऐन्टीबायोटिक के समान क्रियाशील है किन्तु प्रयोगशाला में संश्लेषित किये जाते हैं। जैसे-सल्फाडाइजीन, सल्फापिरीडीन।

प्रश्न 13. निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए

प्रशान्तक तथा सम्मोहक,

प्रतिशमक।

उत्तर⇒ 1. प्रशान्तक तथा सम्मोहक - ये औषधियाँ केन्द्रीय स्नायु तन्त्र के मुख्य केन्द्रों पर कार्य करती हैं तथा चिन्ता को कम करने में सहायता करती हैं। ये नींद लाने वाली गोलियों के अवयव हैं। इनका उपयोग प्रायः बिना उचित कारणों के किया जाता है। इन

औषधियों का अधिक सेवन करने से इनकी आदत पड़ जाती है इसलिए इनको किसी चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिये। इनमें से कुछ, जैसे - ल्यूमिनेल तथा सैकोनॉल, बार्बिट्यूरिक अम्ल के व्युत्पन्न हैं। एक्वैनिल विभिन्न प्रकार की औषधि हैं।

2. प्रतिशमक - ये भी केन्द्रीय स्नायु तन्त्र पर कार्य करते हैं। इन्हें लेने पर मनुष्य स्वस्थ रहता है तथा उसमें आत्मविश्वास की भावना जाग्रत होती है और ये उदास मनोदशा में मनुष्यों की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। अतः इनको मनोदशा उत्थापक कहते हैं। इनको सभी प्रकार की पेप गोलियों में डाला जाता है। इन्हें उचित सलाह के बिना नहीं लेना चाहिये। टॉफ्रेनिल ऐसी ही एक दवा है। मनोदशा का उत्थापन बेंजेडीन (ऐम्फेटेमीन) औषधियों के एम्फेटेमीन समूह के द्वारा भी उत्पन्न होता है। इनका प्रारूपिक उदाहरण बेंजेडीन है।

 

प्रश्न 14. किसी एण्टीहिस्टामिन औषधि का नाम एवं उपयोग, परिभाषा सहित लिखिए।

उत्तर⇒ एण्टीहिस्टामिन - मनुष्य में हिस्टामिन पेशियों में संकुचन, धमनियों व कोशिकाओं में शिथिलन, लार ग्रंथियों को उत्तेजित आदि प्रभाव उत्पन्न करता है।

अतः एण्टीहिस्टामिन वे औषधियाँ हैं, जो इन प्रभावों को समाप्त या नियंत्रित करते हैं।

उदाहरण-

1. एण्टरगन-यह प्रबल एलर्जिक परिस्थितियों में प्रयुक्त होती है।

2. बेनाड्रिल

 

प्रश्न 15. कुछ प्रमुख ज्वरनाशक औषधियों के नाम व सूत्र लिखिए।

उत्तर⇒  ज्वरनाशक शरीर का ताप अधिक हो जाने (ज्वर) पर लिये जाने वाले रसायन ज्वरनाशक कहलाते हैं। ये शरीर के केन्द्रीय संवहन तन्त्र पर प्रभाव डालते हैं, जैसे-पैरासिटामॉल। कुछ रसायन ज्वरनाशक और दर्दनाशक दोनों कार्य करते हैं, जैसे-ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल, ऐनाल्जिन आदि। इनके सेवन से अक्सर पसीना निकलता है।

प्रमुख ज्वरनाशक औषधियों के संरचना सूत्र निम्नांकित हैं

प्रश्न 16. पूतिरोधी  किसे कहते हैं ?

उत्तर⇒  वे औषधियाँ जो सूक्ष्म जीवों की वृद्धि तथा गुणन को रोकती हैं, म पूतिरोधी कहलाती हैं। ये मानव के स्वस्थ ऊतकों को हानि नहीं पहुँचाती हैं। ये । घावों, अल्सरों तथा रोगग्रस्त त्वचा पर उपयोग की जाती हैं। ऐल्कोहॉल, बोरिक अम्ल, आयोडीन, क्लोरीन आदि पूतिरोध OCOOH3 प्रयोग बैक्टीरिया के क्षय से उत्पन्न दुर्गन्ध के लिए किया जाता है।

उदाहरण-डेटॉल - ये क्लोरो जाइलेनोल व टरपीनियोल का मिश्रण होता है । त्वचा पर उपयोग के लिए प्रयुक्त होता है

प्रश्न 17. प्रतिरक्षी तंत्र क्या है ? यह किस प्रकार विकसित होता है ?

उत्तर⇒  शरीर में विभिन्न प्रकार के विषाणुओं या ऐण्टीजन को नष्ट करने के लिए लिम्फोसाइट निर्मित हो जाते हैं जो प्रतिरक्षी कहलाते हैं। ये प्रतिरक्षी विशेष प्रकार की श्वेत रक्त कणिकाएँ होती हैं। ये आक्रमणकारी जीव या विष को नष्ट करने हेतु एक विशेष प्रकार की ग्लोब्युलिन प्रोटीन बनाकर मुक्त करती हैं, ये प्रोटीन रक्त तथा ऊतक द्रव में संचरित होकर आक्रमणकारी विषाणु, जीवाणुओं तथा विष पदार्थों को नष्ट कर देती हैं। लिम्फोसाइट ऐण्टीजन को बाँध लेते हैं और स्वयं तेजी से विभाजित होते हैं। जिससे रक्त में प्रतिरक्षी की संख्या बढ़ जाती है जिससे ऐण्टीजन का प्रभाव नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 18. ज्वरनाशी से क्या तात्पर्य है ? क्लोरोएम्फिनिकॉल

उत्तर⇒  शरीर का ताप अधिक हो जाने (ज्वर) पर लिये जाने वाले रसायन ज्वरनाशी कहलाते हैं । ये शरीर के केन्द्रीय संवहन तंत्र पर प्रभाव ‘ डालते हैं, जैसे—पैरासिटामॉल, ऐस्प्रिन, ऐनाल्जिन।

प्रश्न 19. जैव-निम्नीकृत होने वाले और जैव-निम्नीकृत न होने वाले अपमार्जक क्या हैं ? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर⇒  जैव-निम्नीकृत अपमार्जक- ये बैक्टीरिया द्वारा निम्नीकृत हो जाते हैं। इसमें हाइड्रोकार्बन श्रृंखला अशाखित होती है। ये जल प्रदूषण नहीं करते हैं तथा अच्छे होते हैं। 

उदाहरण-सोडियम लॉराइल सल्फेट।।

अजैव-निम्नीकृत अपमार्जक- इनमें उच्चतम शाखित हाइड्रोकार्बन श्रृंखला होती है, जिससे वे बैक्टीरिया द्वारा सरलता से निम्नीकृत नहीं होते हैं और ये जल प्रदूषण करते हैं।

उदाहरण- सोडियम 4-(1, 3, 5, 7 ट्रेटामिथाइलएसी-टाइल) बेंजीन सल्फोनेट।

प्रश्न 20. निम्नलिखित शब्दों को उपयुक्त उदाहरणों द्वारा समझाइए

धनात्मक अपमार्जक,

ऋणात्मक अपमार्जक,

अनआयनिक अपमार्जक।

उत्तर⇒  1. धनात्मक अपमार्जक- ये वे अपमार्जक हैं जिनमें धनात्मक (केटायनिक) जलरोधी समूह होता है। ये सामान्यतः एसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड के चतुष्क अमोनियम लवण होते हैं । 

उदाहरण-इथाइल ट्राइ-मिथाइल अमोनियम क्लोराइड है

[CH3(CH2)15NCH3)3]+Cl-

2. ऋणात्मक अपमार्जक- ये वे अपमार्जक हैं जिनमें ऐनायनिक जलरोधी समूह होता है। ये दो प्रकार के होते हैं

सोडियम एल्काइल सल्फेट, उदाहरण-सोडियम लॉराइल सल्फेट 

सोडियम एल्काइल बेंजीन सल्फोनेट, उदाहरण-सोडियम 4-(1-डेकाडाइल बेंजीन सल्फोनेट (SDS))

3. अनआयनिक या उदासीन अपमार्जक-ये वसा अम्लों के साथ उच्चतर आण्विक भार वाले एल्कोहॉलों के एस्टर होते हैं। उदाहरण-पॉलीएथिलीन ग्लाइकॉल स्टीयरेट

CH3(CH2)16COO(CH2CH2)16COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH

पॉलीएथीलीन ग्लाइकॉल स्टीयरेट

प्रश्न 21. सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम या ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड की तुलना में श्रेष्ठ प्रति-अम्ल क्यों है ? 

उत्तर⇒  प्रति- अम्ल NaHCO3 , Mg(OH)2 या Al(OH)3,  आमाशय में बनने वाले अतिरिक्त (अधिक मात्रा में) अम्ल को उदासीन करते हैं परन्तु लम्बे समय तक इनके उपयोग से आमाशय में अधिक मात्रा में अम्ल का उत्पादन होता है, जो हानिकारक होता है तथा परिणामस्वरूप अल्सर हो सकता है। इसका अर्थ है कि औषधि केवल लक्षणों को नियंत्रित करते हैं।

सिमेटिडीन व रैनिटिडीन इस प्रकार पार्श्व प्रभाव के बिना कार्य करते हैं (क्योंकि ये कारण को नियंत्रित करते हैं) जैसे-ये आमाशय की दीवार के ग्राही के साथ हिस्टैमिन की अन्तक्रिया को रोकते व हिस्टैमिन अम्ल के स्रावण को उत्तेजित करते हैं। अत: ये NaHCO3 , Mg(OH)2 या Al(OH)3, से श्रेष्ठ प्रति-अम्ल है।

प्रश्न 22. निम्न प्रकार के अनायनिक अपमार्जक द्रव अपमार्जकों, इमल्सीकारकों और क्लेदन कारकों में उपस्थित होते हैं। अणु में जलरागी तथा जलविरागी हिस्सों को दर्शाइये। अणु में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह की पहचान कीजिए।

उत्तर⇒ 

अध्रुवीय भाग (जलविरागी) ध्रुवीय भाग (जलरागी)

अपमार्जक अणुओं में उपस्थित क्रियात्मक समूह है –

ईथर तथा

1° ऐल्कोहॉलीय समूह।

प्रश्न 23. क्लोरोएम्फिनिकॉल की संरचना लिखिए तथा बताइए यह किस काम में आता है ?

उत्तर⇒  क्लोरोएम्फिनिकॉल एक प्रभावकारी एण्टीबायोटिक औषधि है। इसका मुख्य उपयोग टाइफाइड, ज्वर, पेचिश, खाँसी, मैनिन्जाइटिस तथा मूत्र रोगों में होता है।

 

प्रश्न 24.साबुन और अपमार्जक में प्रमुख अंतर क्या है ?

उत्तर⇒  साबुन और अपमार्जक में अन्तर-

 

                      साबुन

                अपमार्जक

1. ये प्रायः वसा अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं।

2. ये कठोर जल में कपड़े साफ नहीं करते हैं।

3 . इनका जलीय विलयन क्षारीय होता है। ये तेलयुक्त होते हैं इसलिये इनमें सफाई का गुण अपमार्जक की तुलना में कम होता है।

4 . इनका उपयोग कोमल वस्त्रों को साफ करने के लिये नहीं किया जा सकता है।

1 . ये प्रायः ऐल्किल बेंजीन सल्फोनिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं।

2 . ये मृदु जल के अतिरिक्त कठोर जल में भी कपड़ों को साफ करते हैं।

3 . इनका जलीय विलयन उदासीन होता है। ये तेल रहित होते हैं इसलिये इनमें सफाई का गुण साबुन की तुलना में अधिक होता है। 

4 . इनका उपयोग कोमल वस्त्रों को साफ करने के लिये किया जा सकता है।

 

प्रश्न 25. निम्नलिखित रसायनों के उदाहरण लिखिए

(1) दो पीडाहारी,

(2) दो प्रतिरोधी,

(3) दो प्रतिरोधी रसायन,

(4) दो प्रतिजैविक,

(5) दो निश्चेतक,

(6) दो सल्फा औषधि,

(7) दो रॉकेट प्रक्षेपक,

(8)क्लोरेम्फेनिकॉल प्रतिजैविक के दो उपयोग।

उत्तर⇒ (1) दो पीड़ाहारी- 

(i) मार्फीन, (ii) ऐस्प्रिन।

(2) दो प्रतिरोधी- 

(i) डेटॉल, (ii) बाइथायोनॉल।

(3) दो प्रतिरोधी रसायन– 

(i) बोरिक एसिड, (ii) जेन्शन वायलेट।

(4) दो प्रतिजैविक- 

(i) टेरामाइसिन, (ii) स्ट्रेप्टोमाइसिन ।

(5) दो निश्चेतक- 

(i) साइक्लोप्रोपेन, (ii) पेलेडाइन।

(6) दो सल्फा औषधि- 

(i) सल्फोनाइड, (ii) सल्फाइडीन।

(7) दो रॉकेट प्रक्षेपक- 

(i) पालीयूरेथेन, (ii) अमोनियम परक्लोरेट ।

(8) क्लोरेम्फेनिकॉल प्रतिजैविक के दो उपयोग-

(i) टाइफाइड में, (ii) तीव्र बुखार व दस्त में।