बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 15 जैव विविधता व संरक्षण लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 जैव विविधिता के तीन आवश्यक घटकों के नाम बताइए।
उत्तर- जैव विविधता के तीन आवश्यक घटक निम्नलिखित है-
(1) आशिक विविधता
(2) जातीय
(3) इको विविधता
प्रश्न 2- जातीय क्षेत्र सम्बन्ध में समाश्रयण की ढलान का क्या महत्त्व है?
उत्तर- जब छोटे-छोटे क्षेत्रों में जातीय क्षेत्र अन्तर्सम्बन्ध की गणना करते हैं तब समाश्रयण में ढलान का महत्त्व उस क्षेत्र में वर्गीकीय समूहों से अधिक होता है, तथापि जब यह आकलन बड़े क्षेत्रों; जैसे महाद्वीपों के लिए करते है तब समाश्रयण का ढलान तीव्र होता है।
प्रश्न 3 - पारिस्थितिकीविद किस प्रकार विश्व की कुल जातियों का आकलन करते हैं?
उत्तर- पारिस्थितिकोविद् प्रजाति की उष्ण व शीतोष्ण प्रदेशों में मिलने की प्रकृति, अधिकता आदि को अन्य प्राणियों व पौधों से तुलनात्मक एवं आनुपातिक गणना करते हैं इसी से कुल जातियों का आकलन किया जाता है।
प्रश्न 4 – क्या आप ऐसी स्थिति के बारे में सोच सकते हैं जहाँ पर हम जानबूझकर किसी जाति को विलुप्त करना चाहते हैं? क्या आप इसे उचित समझते हैं?
उत्तर- हाँ, ऐसी अनेक जाति है जिनसे हानि होती है जैसे—रोग उत्पन्न करने वाले जीव। इन्हें जानबूझकर विलुप्त करना होता है। उदाहरण के लिए: पोलियो के विषाणु। इन्हें विलुप्त कर हम दुनिया को पोलियो मुक्त करना चाहते हैं। इस प्रकार के सूक्ष्मजीवो से पर्यावरण के लिए किसी भी प्रकार की कोई लाभप्रद क्रिया नहीं होती है। ये किसी प्रकार से किसी पारितन्त्र के आवश्यक घटक (उत्पादक या अपघटक) भी नहीं है।
प्रश्न 5 - जैव विविधता क्या है?
उत्तर- पृथ्वी पर अनेकानेक जातियों के जन्तु एवं पादप मिलते हैं। कई जीव जातियाँ मानव संरक्षण में फसलों के रूप दे या घरेलू पशुओं (मवेशियों) के रूप में सदियों से उगायी या पाली जाती रही है। विभिन्न जातियों का पाया जाना व विविधता (biodiversity) कहलाती है। जीवों में मिलने वाली इस विविधता के कारण ही प्रकृति में सन्तुलन ला रहता है और सम्पूर्ण पारितन्त्र की खाद्य आपूर्ति होती है। जैव पारिस्थितिक विविधता का मूल कारण जीवों में मिलने वाली आनुवंशिक विभिन्नताये है। इस प्रकार इसे आनुवंशिक विविधता भी कह सकते हैं।
प्रश्न 6 – पादपों की जाति विविधता (22 प्रतिशत) जन्तुओं की ( 72 प्रतिशत) की अपेक्षा बहुत कम है। क्या कारण है कि जन्तुओं में अधिक विविधता मिलती है?
उत्तर-जन्तुओं में अनुकूलन की क्षमता पादपों से अधिक होती है और ये वातावरण के प्रति अपने को शीघ्र ही अनुकूलित कर सकते हैं। ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्वयं जा सकते हैं। इनमें मिलने वाले तन्त्रिका तन्त्र से समन्वयन बना रहता है क्योंकि ये पर्यावरण से संवेदना ग्रहण कर उस पर अनुक्रिया कर सकते हैं इस प्रकार ये अधिक उच्च श्रेणी की जातियों में विकसित होते रहते हैं। अतः पौधों की अपेक्षा किसी स्थान पर जन्तुओं में विविधता अधिक मिलती है।
प्रश्न 7 -पारितन्त्र सेवा के अन्तर्गत बाद व भू-अपरदन (soil erosion) नियन्त्रण आते हैं। यह किस कार पारितन्त्र के जीवीय घटकों (biotic components) द्वारा पूर्ण होते हैं?
उत्तर—पौधे बाढ़ व भूमि अपरदन को नियन्त्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी जड़ों से मिट्टी बंध जाती है फलस्वरूप मृदा अपरदन नहीं होने पाता है। तेज वायु तथा बहते जल में ऊपरी मिट्टी बहुतो नहीं है। पौधों की जड़ें मिट्टी को भुरभुरी व छिद्रित भी बनाती हैं इसके कारण पानी भौमिक जल के रूप में भूमि के अन्दर बैठ जाता है।
प्रश्न 8. -हॉट स्पॉट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- ऐसे क्षेत्र जो जैव जातियों से अत्यधिक समृद्ध होते हैं और जिनको मानव क्रिया-कलापों के प्री उअत्यधिक संवेदनशील घोषित किया गया है अर्थात् ये एक नियत विपत्ति के अन्तर्गत हैं। ये स्थान अधिक के लिए पहचाने जाते हैं।
प्रश्न 9. -विदेशी जातियों का आगमन जैव विविधता को हानि पहुंचाता है। एक उदाहरण दे समझाइए ।
उत्तर- जब जाने-अनजाने में कोई विदेशी जाति किसी क्षेत्र में लायी जाती है तो वह सुविधा तथा पाकर आक्रामक हो जाती है और वहाँ की मूल जातियों को हानि पहुँचाती है। उदाहरण–समुद्रसोख या आकोर्निया का भारतीय झीलों पर आक्रमण करके विभिन्न जातियों को हानी पहुंचाना।
प्रश्न 10- यदि उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों का विस्तार पृथ्वी के वर्तमान 6% क्षेत्र के स्थान पर 12% कर दिया जाए तो जैव विविधता किस प्रकार प्रभावित होगी ?
उत्तर- उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन अत्यधिक जैव विविधता वाले क्षेत्र होते है। विश्व की अधिकांश जीव जातियां इन्हीं क्षेत्रों में वितरित है। उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन विभिन्न जीव जातियों के सबसे अच्छे आवास है। अतः इनका क्षेत्रफल बढ़ने पर यहाँ जीव जातियों की संख्या भी इसी अनुपात में बढ़ेगी।