बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 14 पारितंत्र लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 14 पारितंत्र लघु उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > जीव विज्ञान अध्याय 14 पारितंत्र

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 - गूदेदार पादपों के ऐसे दो लक्षण दीजिए जिनके कारण ये मरु अवस्थाओं में जीवित रहते हैं।

उत्तर- (1) इन पर मोटा उपचर्म होता है जो जलवाष्प को वाष्पोत्सर्जित नहीं होने देता, तथा

(i) इनमें जल की काफी मात्रा गूदे में रहती है अतः काफी समय तक यह पौधे का काम चलाता रहता है।

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प्रश्न 2- उत्पादक से उपभोक्ता तक ऊर्जा प्रवाह में ऊर्जा की मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर-उत्पादक से उपभोक्ता तक प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा की अधिकतम मात्रा कम जाती है।

प्रश्न 3 - मनुष्य किस श्रेणी का उपभोक्ता है?

उत्तर- मनुष्य सर्वभक्षी (omnivorous) प्राणी है। अतः यह सभी प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणियों क उपभोक्ता है।

प्रश्न 4- हरे पौधों को 'उत्पादक' क्यों कहा जाता है? कुकुरमुत्ता ऊर्जा कैसे प्राप्त करता है?

उत्तर- हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को अनुबन्धित करके प्रकाश संश्लेषण के द्वारा भोजन निर्मित करते हैं। अन्य जीव भी इसी भोजन पर निर्भर करते है, अतः पौधों को 'उत्पादक' कहा जाता है। कुकु एक कवक है तथा परपोषी (मृतजीवी) है; ऐसे पौधों को ऊर्जा कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से प्राप्त हो है।

प्रश्न 5-मांसाहारी जन्तुओं का पौधों से क्या सम्बन्ध है?

उत्तर- मांसाहारी जन्तु भोजन के लिए शाकाहारी जन्तुओं पर निर्भर रहते हैं जिनका भोजन पौधे है। मांसाहारी जन्तु अप्रत्यक्ष रूप से अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर है।

प्रश्न 6- यदि पृथ्वी पर जीवाणु एवं कवक नष्ट हो जायें तो खाद्य श्रृंखला पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 

उत्तर- जीवाणु तथा कवक कार्बनिक पदार्थों को अपघटित कर देते हैं। इनकी अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थों का अपघटन बन्द हो जायेगा और पौधे फिर से इनका उपयोग नहीं कर सकेंगे। पौधे अन्ततः भोजन का संश्लेषण नहीं कर सकेंगे और खाद्य श्रृंखला का चलना कठिन हो जायेगा।

प्रश्न 7- पृथ्वी पर सौर ऊर्जा के प्रथम संग्राहक कौन हैं?

उत्तर—पृथ्वी पर सौर ऊर्जा के प्रथम संग्राहक उत्पादक (producers) अर्थात् हरे पौधे हैं, जो सौर ऊर्जा  प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन में बदल कर संग्रहीत कर लेते हैं।

प्रश्न 8- पारिस्थितिक अनुक्रमण की परिभाषा लिखिए।

उत्तर— समय के साथ समुदाय में परिवर्तन की प्रक्रिया अनुक्रमण (succession) कहलाती है। इस प्रक्रिया के में चूंकि क्रमकी समुदायों का प्रतिस्थापन होता है अतः सम्पूर्ण प्रक्रिया को क्रमक कहते है; जैसे- जल में अनुक्रमण या जलक्रमक आदि।

प्रश्न 9- जीवमण्डल के उत्पादक तथा उपभोक्ता में अन्तर बताइये।

उत्तर- जीवमण्डल में उत्पादक स्वपोषी होते हैं और अत्यधिक सरल यौगिकों (CO, तथा जल) से कार्बनिक पदार्थों कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, वसा आदि का निर्माण कर लेते है जबकि उपभोक्ता उत्पादकों द्वारा तैयार किये गये खाद्य पदार्थों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निर्भर करते है।

प्रश्न 10- उत्पादक और उपभोक्ता का एक-एक उदाहरण लिखिए।

उत्तर- सभी हरे पौधे कुछ जीवाणुओं को छोड़कर उत्पादक होते हैं। सभी जन्तु तथा वे पौधे जो स्वपोषी नहीं, परपोषी होते हैं, उपभोक्ता होते हैं।

प्रश्न 11- शुद्ध (नेट) उत्पादकता तथा सकल उत्पादकता में एक अन्तर बताइए।

उत्तर-उत्पादकों द्वारा एकांक समय में एक इकाई क्षेत्रफल में कुल उत्पादन सकल उत्पादकता है। उत्पादकों द्वारा सकल उत्पादकता में से संचित उत्पादन शुद्ध उत्पादकता है।

प्रश्न 12- पृथ्वी के उन तीन अक्षांशीय क्षेत्रों को बताइये जिनके आधार पर के वितरण का प्रमुख नामांकन किया गया है।

उत्तर- पृथ्वी पर जीवन के वितरण के तीन मुख्य अक्षांशीय क्षेत्र :

1. उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र (tropical zone)

2. शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र (temperate zone)

3. ध्रुवीय क्षेत्र (polar zone)।

13.'कोरल रीफ्स' या प्रवाल भित्तियाँ क्या है?

उत्तर- प्रवाल भित्तियाँ  समुद्रतटीय क्षेत्रों में बनी हुई वे बहाने हैं जो रिअन पॉलिस के द्वारा बनी है। ये प्रमुखतः साफ, उसले गर्म समुद्र में जहाँ मान 20 से नीचे यदा-कदा ही जाता है, पाये जाते हैं। यहाँ काफी मात्रा में सूर्य का प्रकाश भी प्रकाश संश्लेषण के लिए रहना चाहिए। यहाँ कोरल पॉलिप्स के द्वारा कैल्केरिअस पदार्थ लावित करके तथा कुछ चूना सावित करने वाले शैवालों  के द्वारा इनको बनाया जाता है। ये सामान्यतः जल में दूबी रहती है किन्तु ज्यार भाटे के उतार के समय इनके सिरे दिखाई देते है। कोरल रीफ्स में अनेक प्रकार के जीवों को वासस्थान मिलता है। शैवालों को चिपकने के लिए आधार मिलता है अत: इनकी उत्पादकता प्राय: उच्चतम होती है।

14. जैव पिरामिड का खाद्य श्रृंखला से सम्बन्ध बताए। 

उत्तर-  जाल के विभिन्न ऊर्जा स्तरों या पोषण स्तरों को जैव पिरामिड द्वारा रेखाचित्र के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। खाद्य जाल आपस में सम्बन्धित तथा एक-दूसरे से अनेक पोषण स्तरों का जाल है और पोषण स्तरों को खाद्य श्रृंखलायें इकाई रूप में प्रदर्शित करती है अतः पिरामिड की आधारभूत संगठक इकाइयां खाद्य श्रृंखलाये ही होती है।

15. अपघटक किसे कहते है ?

उत्तर: अनेक ऐसे सूक्ष्म जीव जो मृत पदार्थ अर्थात् कार्बनिक पदार्थों को तोड़कर उनको सरल कार्बनिक एवं अकार्बनिक यौगिकों अथवा उनके अवयवों में बदल देते हैं अपघटक  कहलाते हैं। इस उत्पादकों अर्थात् हरे पौधों के उपयोग के लिए उनमें उपस्थित पदार्थों को मूल रूप में पर्यावरण के जल मृदा वायु में स्वतन्त्र कर देते है। इसलिए ये जीव मृतजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-अनेक जीवाणु (bacteria) कवक (fungi) |

16. जीवमण्डल में अपघटकों की आवश्यकता तथा उनके कार्य?
उत्तर - विभिन्न प्रकार के कच्चे पदार्थों को बारम्बार उपयोग के लिए अपघटक हो परिवर्तित करके उपलब्ध कराते है। अतः प्रकृति में चलने वाले जैव-भू-रासायनिक चक्र इनके बिना चल ही नहीं सकते। इनके प्रमुख कार्य निम्नलिखित है-

(i) ये जन्तुओं और पौधों के मृत शरीर को नष्ट करते हैं अर्थात् प्रकृति में से व्यर्थ पदार्थों को हटा कर करते हैं।

(ii) ये पदार्थों के चक्रीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा आवश्यक सरल पदार्थों को पारिस्थितिक तन्त्र में उपयोग के लिए उपलब्ध कराते हैं।

(iii) ये प्रदूषण की समस्या को कम करते

17. पृथ्वी पर यदि हरे पौधों को संख्या तीव्रता से कम होती जाये, तो जन्तु जगत किस प्रकार प्रभावित होगा?

उत्तर- हरे पौधों में सौर ऊर्जा को अनुबन्धित करके रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्षमता होती है। पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड (CO) और जल (HO) से सूर्य के प्रकाश में भोजन (मण्ड, वसा तथा प्रोटीन) का निर्माण करते हैं तथा उनका संग्रह करते हैं। जीव जगत को हरे पौधों के द्वारा पदार्थों से ही ऊर्जा भोजन के रूप में उपलब्ध होती है। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में वायुमण्डलीय डाइऑक्साइड लेते है और बदले में जीवधारियों के श्वसन के लिए वायुमण्डल को ऑक्सीजन लौटाकर शुद्ध करते हैं। अतः हरे पौधों के बिना पृथ्वी पर जन्तु जगत का जीवन भी असम्भव है।

प्रश्न 18 - एक अपरदहारी तथा अपघटक में अन्तर दोनों का एक-एक उदाहरण देकर कीजिए।

उत्तर- अपरदहारी कूड़े-करकट को काट कुतरकर छोटे कणों के रूप में बदलता है उसे मुलायम बनाता है तथा अपघटक को क्रिया के लिए तैयार करता है। उदाहरण केंचुआ अपघटक इन छोटे-छोटे विखण्डों, कणों आदि के जटिल कार्बनिक पदार्थों पर क्रिया करके उनसे कर्जा प्राप्त करते हैं। ये इन पदार्थों को सरल अकार्बनिक यौगिकों अथवा तत्वों में तोड़ देते हैं। यह क्रिया अपघटन कहलाती है। उदाहरण-जीवाणु, कवक इत्यादि।

प्रश्न 19 - एक जलाशय  की पुरोगामी  तथा चरम जाति नाम बताइये। उन परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए जो अनुक्रम की इस प्रक्रिया में क्रमकी समुदायों के विकास के समय जीव भार था जैव विविधता में दिखाएं देते हैं। )

उत्तर- (i) जलाशय की पुरोगामी जातियाँ ( स्वपोषी पादप प्लवक (autotroph phytoplanktons) होते हैं; जैसे—डायटम्स (diatoms), एककोशिकीय तथा सूत्राकार शैवाल (algae), फ्लैब्लेट्स (flagellates), सायनोबैक्टीरिया (cyanobacteria), आदि।

(ii) जलाशय अनुक्रमण की चरम जातियाँ वृक्ष (trees) होते हैं।

(iii) अनुक्रम के चलते क्रमशः क्रमकी समुदायों के विकास के समय जीवधार तथा जैव विविधता बढ़ती जाती है।

प्रश्न 20. एक जलीय तथा एक स्थलीय पारितन्त्र में उन खाद्य श्रृंखलाओं के नाम बताइये जो कर्जाका अधिकांश भाग प्रवाहित करती हैं। इन दो खाद्य श्रृंखलाओं में एक अन्तर भी बताइये।

उत्तर- (i) जलीय पारितन्त्र में चारण खाद्य श्रृंखल अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है इसमें अधिकांश ऊर्जा का प्रवाह होता है।

(ii) स्थलीय पारितन्त्र में अपरद खाद्य श्रृंखला  में ही चारण खाद्य श्रृंखला की अपे कहीं अधिक ऊर्जा प्रवाहित की जाती है।

(iii) चारण खाद्य श्रृंखला उत्पादक अर्थात् हरे पौधों से प्रारम्भ होती है किन्तु अपरद खाद्य श्रृंखला कार्बनिक पदार्थ से प्रारम्भ होती है।

प्रश्न 21 – अपरद  क्या है? प्रकृति में इसका निपटारा कैसे होता है? इसका महत्त्व समझाइये।

उत्तर- अपरद: पौधों के मृत भाग; जैसे पत्तियाँ, जड़ें, भूमिगत तने, इत्यादि तथा जन्तुओं के मृत शरीर अथवा उनके (अंग-प्रत्यंग) उत्सर्जी पदार्थ आदि मृदा को प्राप्त होते हैं। ये पदार्थ अपरद कहलाते हैं। इन पदार्थ सड़ने-गलने तथा अपघटन से ही मृदा का परिपक्वन होता है, इस ह्यूमस  बनता है।

प्रश्न 22  पोषक चक्र किसे कहते हैं ?

पोषक चक्र-प्रकृति में पर्यावरण के जैविक तथा अजैविक घटकों के बीच पदार्थों का चक्रण घोषक चक्र कहलाता है।

उदाहरणार्थ पौधे वातावरण से CO2 प्राप्त करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। जब पादप अवशेषों का घटकों द्वारा अपघटन होता है तो CO2 पुनः वातावरण में चली जाती है। इसी प्रकार अन्य तत्वों का भी चक्रण ता रहता है।