बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 4 जनन स्वास्थ्य लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जनसंख्या को कौन-कौन से दो कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर- जनसंख्या को प्रभावित करने वाले कारक-
1. जन्म व मृत्यु दर – जन्म दर अधिक व मृत्यु दर कम होने से जनसंख्या बढ़ती है।
2. अशिक्षा व अन्धविश्वास - अशिक्षा के कारण लोग परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को नहीं जानते तथा सन्तानोत्पत्ति करते अज्ञानवश बच्चे पैदा करते जाते हैं। लोगों में अन्धविश्वास के कारण भी बच्चों की संख्या बढ़ती है। अन्धविश्वास का एक कारण अशिक्षा होना भी है।
प्रश्न 2. जीव विज्ञान का विद्यार्थी होने के नाते बंध्य दम्पत्तियों को सन्तान प्राप्ति हेत क्या सुझाव देंगे।
उत्तर- बन्ध्यता के अनेक कारण हो सकते हैं जो पुरुष अथवा स्त्री अथवा दोनों पर लागू हो सकते हैं। बन्ध्यता के ये दोष शारीरिक, जन्मजात, रोगजनक अथवा मनोवैज्ञानिक हो सकते हैं। सर्वप्रथम ऐसे दम्पत्तियों को किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और बन्ध्यता का सही कारण जानना चाहिए। यदि स्त्री एवं पुरुष दोनों में क्रमशः अण्डाणु व शुक्राणुओं का सही निर्माण हो रहा है, परन्तु वे किसी कारण निषेचन नहीं कर पा रहे है तो ऐसी स्थिति में परखनली निषेचन कारगर साबित हो सकता है। दोनों में से कोई एक पूर्णतः बन्ध्य है तो शुक्राणु या अण्डाणुओं को किसी दूसरे दम्पत्यिों से लिया जा सकता है। यह तरीका गोपनीय रखा जाता है।
प्रश्न 3 – 'गर्भ निरोधक टीका' क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर—–स्त्रों की गर्भ धारण एवं प्रजनन क्षमता को नियन्त्रित करने के लिए किये गये अनेक वैज्ञानिक प्रयासों मैं 'गर्भ निरोधक टीका' बनाने की पहल राष्ट्रीय प्रति रक्षा विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली ने तथा सफलता प्राप्त की। संस्थान ने ह्यूमैन कोरियोनिक गोनैडोट्रॉपिन के आधार पर एक निरोधात्मक टीके का निर्माण करने में सफलता प्राप्त की है। HGC की कमी होने से स्त्री गर्भ धारण करने तथा गर्भावस्था को सफल बनाने में विफल हो जाती है।
प्रश्न 4. जनन नियन्त्रण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- मानव एक सामाजिक प्राणी है। मानव समाज में स्त्री-पुरुष साथ-साथ जीवन व्यतीत करते हैं और सन्तानोत्पत्ति करते हैं। आजकल जनसंख्या की वृद्धि की समस्या आम हो गयी है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने की एकमात्र विधि है कि जन्मदर को अत्यधिक कम करके मृत्युदर के बराबर करना।
जनन क्षमता को सीमित रखने क उपाय:
1. बंध्यकरण
2. कंडोम का प्रयोग
3. गर्भ निरोधक गोलिआ
4. अंत गर्भाशयी यंत्र
5. बाधा उपाय आदि।
प्रश्न 5. अंत गर्भाशयी युक्ति को समझाए।
उत्तर: अन्तः गर्भाशयी युक्तियाँ — इस विधि में प्लास्टिक या ताँबे की कोई युक्ति गर्भाशय में रोप दी जाती है। जितने समय तक यह युक्ति गर्भाशय में रहती है,रोपण गर्भाशय में नहीं हो पाता। इस प्रकार की युक्तियाँ वास्तविक बाधा उपाय हैं जो शुक्राणुओं को गर्भाशय में पहुँचने से रोकती हैं। इन विधियों में चिकित्सक द्वारा गर्भाशय में अथवा योनि मार्ग में रोपित की जाने वाली युक्तियाँ जैसे—लीप्स लूप, कॉपर टी, कॉपर 7, हॉर्मोन मोचक आई०यू०डी० जैसे प्रोजेस्टासर्ट, एल० एन०जी० 20 आदि को स्त्री के गर्भाशय के अन्दर लगा दिया जाता है, जिससे वह गर्भधारण नहीं कर सकती। सरकारी अस्पतालों में परिवार कल्याण और विभाग द्वारा स्त्रियों को लूप इत्यादि लगवाने की निःशुल्क व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त जो महिलायें गर्भधारण नहीं करना चाहतीं बच्चों में अन्तराल चाहती हैं इनके लिए IUD आदर्श गर्भनिरोधक हैं। भारत में इस प्रकार की अत्यधिक युक्तियाँ काफी प्रचलित हैं।
प्रश्न 6. अन्तर्रोपन को परिभाषित करे।
उत्तर: इन्जेक्शन्स एवं अंतर्रोपण -आजकल स्त्रियों को प्रोजेस्टिरोन जैसे एक पदार्थ - डीपो-प्रोवेरा के इन्जेक्शन भी दिए जाते हैं। एक इन्जेक्शन का प्रभाव तीन महीने तक रहता है। इसी प्रकार, प्रोजेस्टिरोन के बारीक नॉरप्लाण्ट कैप्सूल को शल्य क्रिया द्वारा त्वचा के नीचे आरोपित कर दिया जाता है। ये कैप्सूल पाँच वर्ष तक गर्भ निरोधक का कार्य करते रहते हैं।
प्रश्न 7. टेस्ट टूब बेबी किसे कहते है?
उत्तर: पात्र निषेचन या आई०वी०एफ० अर्थात् शरीर से बाहर लगभग शरीर के भीतर जैसी स्थितियों में निषेचन तथा भ्रूण स्थानान्तरण या ई०टी० ऐसा एक उपाय हो जाती सकता है। इस विधि को लोकप्रिय रूप से टेस्ट ट्यूब बेबी कार्यक्रम कहते हैं।
प्रश्न 8. यौन संचारित रोगों से उपाय बताए।
उत्तर:यौन संचारित रोगों से बचने के लिय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए है-
1. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्पर्क न करें। सामान्यतः भी निरोध (कण्डोम) का प्रयोग उपयुक्त है।
2. दूषित इन्जेक्शन की सुई का दूसरों द्वारा प्रयोग न किया जाये।
3. संक्रमित व्यक्ति का रुधिर किसी अन्य व्यक्ति को संचरित न करें।
4. संक्रमित माँ से शिशु में रोग आता है अतः ऐसी स्त्री को माँ न बनने दें।
प्रश्न 9. सिफलिस रोग पर टिप्पणी कीजिए।
उतर: सिफलिस– यह रोग ट्रेपोनेमा पैलिडम नामक जीवाणु द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मैथुन के फलस्वरूप फैलता है। पुरुषों में इस रोग के संक्रमण के 9-10 दिन बाद शिश्न मुण्ड पर लाल रंग के दाने दिखाई देने हैं। कुछ सप्ताह बाद ये दाने लुप्त हो जाते हैं।
स्त्रियों में भी भगोष्ठ व योनि में इसी प्रकार के लाल रंग के दाने दिखाई देते हैं। संक्रमित स्त्री और पुरुष दोनों में 1 से 6 सप्ताह बाद पूरे शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं। इसके पश्चात् ये जीवाणु हृदय, यकृत, मस्तिष्क एवं अस्थियों को भी प्रभावित करते हैं। मस्तिष्क के संक्रमित हो जाने पर शरीर को लकवा भी मार सकता है।
प्रश्न 10. GIFT विधि की व्याख्या करे।
उत्तर: कुछ स्त्रियों में अण्डाणु उत्पन्न नहीं होते अथवा ठीक से उत्पन्न नहीं होते। ऐसी स्त्रियों के लिए जी०आई०एफ०टी० विधि अपनायी जाती है अर्थात् दाता स्त्री से अण्डाणु प्राप्त करके फैलोपी नलिका में स्थानान्तरित किया जाता है। यहाँ स्पष्टतः एक और विशिष्ट प्रक्रिया को बताना आवश्यक है; प्रयोगशाला में भ्रूण बनाने की प्रक्रिया। यह प्रक्रिया अन्तःकोशिकीय शुक्राणु निक्षेपण अर्थात् सीधे ही अण्डाणु में शुक्राणु को निक्षेपित करना कहलाती है।
प्रश्न 11. सगर्भता का चिकित्सीय समापन क्या है?
उत्तर: सगर्भता का चिकित्सीय समापन: कभी कभी स्त्री को कुछ विशेष संरचनात्मक या क्रियात्मक स्थिति के कारण स्वतः गर्भपात हो जाता है किन्तु आजकल परिवार को सीमित रखने के उद्देश्य से प्रेरित गर्भ समापन या गर्भपात या सगर्भता का चिकित्सीय समापन भी किया जाता है। इसके लिए अधिकतम 3 माह की आयु के पहले ही भ्रूण को वैक्यूम पम्प द्वारा गर्भाशय से खींचकर निकाल दिया जाता है, या कुछ रसायनों द्वारा आँवल को नष्ट कर दिया जाता है, या फिर शल्य क्रिया द्वारा भूग को निकाल दिया जाता है। माइफ प्रिस्टोन नामक औषधि गर्भाशय की दीवार में प्रोजेस्टिरोन हॉर्मोन के प्रभाव को समाप्त करके एण्डोमीट्रियम के खण्डन को प्रेरित करती है। गर्भसमापन की सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है, जहाँ पर अनावश्यक गर्भ का समापन कराया जा सकता है। 12 सप्ताह : अधिक गर्भ (भ्रूण) का गर्भपात घातक तथा संकट उत्पन्न करने वाला होता है। माता की जान भी जा सकती है। किसी प्रकार जैसे अल्ट्रा साउण्ड इत्यादि के द्वारा भ्रूण के लिंग का पता लगाने के बाद कन्या भ्रूण का समापन कानून में प्रतिबन्धित है।
प्रश्न 12. यौन संचारित रोगों क विषय में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: यौन संचारित रोग: ऐसे रोग या रोग के संक्रमण जो सहवास/सम्भोग के माध्यम से संक्रमित होते हैं, यौन संचारित रोग अथवा रतिज रोग अथवा जनन मार्ग संक्रम कहलाते हैं। ऐसे अनेक भयंकर रोग हैं जैसे-सुजाक (gonorrhoea), आतशक (syphilis), जननिक हर्पीज (genital herpes), क्लेमाइडियोसिस (chlamydiosis), ट्राइकोमोनिएसिस (trichomoniasis), लैंगिक मस्से (genital warts), हीपैटाइटिस 'बी' (hepatitis-B) तथा एच० आई० वी० / एड्स (HIV/AIDS) आदि।
यौन संचारित रोगों में से कई संक्रमण जैसे—यकृत शोध-बी, एच०आई०वी० / एड्स आदि संक्रमित व्यक्ति के की सुविधा इन्जेक्शन की सुई के सम्मिलित प्रयोग, शल्य चिकित्सा के उपकरणों के सम्मिलित प्रयोग अथवा संदूषित रुधिर आधान भी होते हैं। संक्रमित माता से गर्भस्थ शिशु में ये संचरित हो जाते हैं। एड्स, हर्पीज, हीपैटाइटिस 'बी' आदि विषाणु रोग हैं जबकि आतशक, सुजाक आदि जीवाणु रोग हैं। ट्राइकोमोनैसिस जैसे रोगाणु प्रोटोजोआ के जन्तु होते हैं। जननिक हर्पीस सिम्प्लेक्स कानून वाइरस से, एड्स (AIDS = Acquired Immunodeficiency Syndrome), एच०आई०वी० (HIV = Human Immunodeficiency Virus) से होता है।
प्रश्न 13. एड़स रोग किस प्रकार से संक्रमित होता है?
उत्तर: इसका पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएन्सी सिण्ड्रोम (AIDS = Acquired Immunodeficiency Syndrome) है। यह रोग एक एच०आई०वी० (HIV - Human Immunodeficiency Virus) नामक वाइरस से होता है। इसको लिम्फैडेनोपैथी एसोसियेटेड वाइरस भी कहते हैं। रोगी के शरीर से स्वस्थ मनुष्य के शरीर में रुधिर स्थानान्तरण, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, इन्जेक्शन की सुई का परस्पर उपयोग, रोगी माता से उसकी गर्भस्थ सन्तानों में यह रोग फैलता है। इससे रोगी को एक लम्बे समय तक बुखार आता है तथा रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती हैं। जिससे रोगी अन्य रोगों से ग्रसित हो जाता है। अन्त में रोगी की मृत्यु हो जाती है।
प्रश्न 14. परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए कोई 5 सुझाव दीजिये।
उत्तर- परिवार नियोजन को प्रभावी बनाने के लिए सुझाव:
1. परिवार कल्याण कार्यक्रमों का उचित प्रचार किया जाये। इसे गाँवों तथा घनी औद्योगिक बस्तियों पहुँचाया जाये।
2. परिवार नियोजन कार्यक्रमों का विस्तार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की सहायता ली जाये।
3. कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाये।
4. इस कार्यक्रम के अन्तर्गत कार्य करने वाले उन सभी कर्मचारियों को विशेष सुविधायें प्रदान की जाये जो ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे हों।
5. नसबन्दी ऑपरेशन के बाद उचित चिकित्सा की व्यवस्था होनी चाहिये।
प्रश्न 15. स्तनपान अनातर्व की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर: स्तनपान अनार्तव - सामान्यतः प्रसव के बाद 4-6 माह तक स्त्री का आव चक्र रुका रहता है। यह तथ्य तब अधिक निश्चित होता है जब माता शिशु को पूरी तरह स्तनपान कराती रहती है। इस अवधि में गर्भधारण की सम्भावना प्रायः नहीं होती और यह एक प्राकृतिक विधि है। इस प्रकार की विधि पूर्णतः सुरक्षित नहीं है क्योंकि असफलता की सम्भावना भी काफी होती है।