बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 1 ठोस अवस्था लघु प्रश्न उत्तर
अध्याय 1 ठोस अवस्था लघु प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. ठोस कठोर क्यों होते हैं?
उत्तर : ठोस के अवयवी कणों की स्थितियाँ नियत होती हैं। ये कण केवल अपनी माध्य स्थितियों के चारों ओर दोलन करते हैं। ठोस के अवयवी कण निविड संकुलित होते हैं तथा उनके बीच बहुत ही कम स्थान रिक्त होता है। इन्हीं कारणों से ठोस कठोर होते हैं।
प्रश्न 2. ठोसों का आयतन निश्चित क्यों होता है?
उत्तर :ठोस के अवयवी कणों की स्थितियाँ नियत होती हैं। ठोस के अवयवी कण निविड संकुलित होते हैं तथा उनके बीच बहुत ही कम स्थान रिक्त होता है। ये कण केवल अपनी माध्य स्थितियों के चारों ओर दोलन करते हैं। इन्हीं कारणों से ठोसों का आयतन निश्चित होता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित को अक्रिस्टलीय तथा क्रिस्टलीय ठोसों में वर्गीकृत कीजिए।
पॉलियूरिथेन, नैफ्थैलीन, बेंजोइक अम्ल, टेफलॉन, पोटैशियम नाइट्रेट, सेलोफेन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, रेशाकाँच, ताम्बा।
उत्तर :पॉलियूरिथेन, टेफलॉन, सेलोफेन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, तथा रेशाकाँच: अक्रिस्टलीय ठोस है |
नैफ्थैलीन, बेंजोइक अम्ल, पोटैशियम नाइट्रेट, तथा ताम्बा: क्रिस्टलीय ठोस है |
प्रश्न 4. काँच को अतिशीतित द्रव क्यों माना जाता है?
उत्तर : द्रवों के सदृश, अक्रिस्टलीय ठोसों में अति मंद प्रवाह की प्रवृति होती है। काँच एक अक्रिस्टलीय ठोस है। इसी प्रवाह के कारण पुरानी इमारतों की खिड़कियों और दरवाजों में जड़े शीशे निरअपवाद रूप से शीर्ष की अपेक्षा निचले सिरे पर थोड़े मोटे हो जाते हैं।
चूँकि काँच एक अक्रिस्टलीय ठोस है तथा इसमें अति मंद प्रवाह की प्रवृति होती है, अत: काँच को अतिशीतित द्रव माना जाता है।
प्रश्न 5. एक ठोस के अपवर्तनांक का सभी दिशाओं में समान मान प्रेक्षित होता है। इस ठोस की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए। क्या यह विदलन गुण प्रदर्शित करेगा?
उत्तर :अपवर्तनांक एक भौतिक गुण है, तथा भौतिक गुणों का सभी दिशाओं में समान होना अक्रिस्टलीय ठोसों का एक अभिलाक्षणिक गुणधर्म है
अत: एक ठोस के अपवर्तनांका का सभी दिशाओं में समान मान प्रेक्षित होना बतलाता है कि यह एक अक्रिस्टलीय ठोस है, जिसकी प्रकृति समदैशिक होती है।
विदलन गुण: अक्रिस्टलीय ठोस को जब एक तेज धार वाले हथियार से काटने पर यह अनियमित सतहों वाले दो टुकड़ों में कट जाते हैं।
प्रश्न 6. उपस्थित अंतराण्विक बलों की प्रकृति के आधार पर निम्नलिखित ठोसों को विभिन्न संवर्गों में वर्गीकृत कीजिए: पोटैशियम सल्फेट, टिन, बेंजीन, यूरिया, अमोनिया, जल, जिंक सल्फाइड, ग्रैफाइट, रूबिडियम, ऑर्गन, सिलिकन कार्बाइड।
उत्तर :पोटैशियम सल्फेट : आयनिक ठोस
टिन: धात्विक ठोस
बेंजीन : आण्विक ठोस (अध्रुवीय)
यूरिया : आण्विक ठोस (ध्रुवीय)
अमोनिया: आण्विक ठोस (ध्रुवीय)
जल : हाइड्रोजन आबंधित आण्विक ठोस
जिंक सल्फाइड : आण्विक ठोस
ग्रेफाइट : सहसंयोजक अथवा नेटवर्क ठोस
रूबिडियम : धात्विक ठोस
आर्गन : अध्रुवीय आण्विक ठोस
सिलिकन कार्बाइड: सहसंयोजक अथवा नेटवर्क ठोस
प्रश्न 7. ठोस A, अत्यधिक कठोर तथा ठोस एवं गलित दोनों अवस्थाओं में विद्युतरोधी है और अत्यंत उच्च ताप पर पिघलता है। यह किस प्रकार का ठोस है?
उत्तर : अत्यधिक कठोर, ठोस एवं गलित दोनों अवस्थाओं में विद्युत रोधी तथा गलनांक अत्यधिक उच्च होना सहसंयोजक ठोस का अभिलाक्षणिक गुण है।
चूँकि दिया गया ठोस A में सहसंयोजक ठोस के अभिलाक्षणिक गुण हैं, अत: यह एक सहसंयोजक ठोस है।
प्रश्न 8. आयनिक ठोस गलित अवस्था में विद्युत चालक होते हैं परंतु ठोस अवस्था में नहीं, ब्याख्या कीजिए।
उत्तर : आयनिक ठोसों के अवयवी कण आयन होते हैं। ये ठोस अवस्था में अवयवी कणों के बीच प्रबल स्थिर वैद्युत बलों से बंधे होते हैं जिसके कारण आयन गमन के लिये स्वतंत्र नहीं होते हैं। परंतु गलित अवस्था में अथवा जल में घोलने पर आयनिक ठोस के आयन गमन के लिये मुक्त हो जाते हैं। आयनों का गमन ही विद्युत का चालन करता है।
इसलिये आयनिक ठोस गलित अवस्था अथवा जल में विलयन की अवस्था में विद्युत का संचालन करते हैं परंतु ठोस अवस्था में नहीं अर्थात विद्युतरोधी होते हैं।
प्रश्न 9. किस प्रकार के ठोस विद्युत चालक, अघात्वर्घ्य और तन्य होते हैं?
उत्तर : धात्विक ठोस विद्युत चालक, अघातवर्ध्य और तन्य होते हैं। जैसे आयरन , क़ॉपर, गोल्ड आदि।
प्रश्न 10. "जालक बिन्दु " से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : एक क्रिस्टल के अवयवी कणों के त्रिविमीय व्यवस्था का आरेखन क्रिस्टल जालक कहलाता है। इस जालक में क्रिस्टल के प्रत्येक कणों को एक बिन्दु द्वारा दर्शाया जाता है।
इस क्रिस्टल जालक के आरेखन में क्रिस्टल का प्रत्येक बिन्दु जालक बिन्दु कहलाता है। जालक बिन्दु को जालक स्थल भी कहा जाता है।
क्रिस्टल जालक का प्रत्येक बिन्दु अर्थात जालक बिन्दु एक अवयवी कण को निरूपित करता है। ये अवयवी कण एक परमाणु, अणु या आयन हो सकते हैं।क्रिस्टल बिन्दुओं को सीधी रेखा में जोड़कर जालक की ज्यामिति व्यक्त की जाती है।
प्रश्न 11. एकक कोष्ठिका को अभिलक्षणित करने वाले पैरामीटरों के नाम बताइए।
उत्तर : एकक कोष्ठिका को कुल छ: पैरामीटरों पर अभिलक्षणित किया जाता है:
ये पैरामीटर हैं: एकक कोष्ठिका की तीन किनारों के डाइमेंसन जिन्हें प्राय: a, b तथा c के द्वारा दर्शाया जाता है। तथा इन किनारों के मध्य तीन कोण जिन्हें
(b और c के मध्य), (a और c के मध्य) और
और (a और b के मध्य) द्वारा दर्शाया जाता है।
इस तरह एक एकक कोष्ठिका कुल छ: मानक a,b,c, , और द्वारा अभिलक्षणित होती है।
प्रश्न 12. निम्नलिखित में विभेद कीजिए।
(i) षटकोणीय और एकनताक्ष एकक कोष्ठिका ।
उत्तर :
षटकोणीय तथा एकनताक्ष एकक कोशिका में अंतर | ||
षटकोणीय | एकनताक्ष | |
संभव विविधताएं | आद्य | आद्य तथा अंत्य केन्द्रित |
अक्षीय दूरियाँ | a=b≠c | a≠b≠c |
अक्षीय कोण | α=β=90., =120. | α= =90., β≠120. |
(ii) फलक केन्द्रित और अंत्य केन्द्रित एकक कोष्ठिका।
उत्तर :फलक केन्द्रित और अंत्य केन्द्रित एकक कोष्ठिका में अंतर
फलक केन्द्रित एकक कोष्ठिका में कोनों पर उपस्थित अवयवी कणों के अतिरिक्त एक अवयवी कण प्रत्येक फक के केन्द्र पर भी होता है।
जबकि अंत्य केन्द्रित एकक कोष्ठिका में कोनों पर उपस्थित अवयवी कणों के अतिरिक्त एक अवयवी कण किन्हीं दो विपरीत फलकों के केन्द्र में पाया जाता है।
प्रश्न 13. स्पष्ट कीजिए कि एक घनीय एकक कोष्ठिका के (i) कोने और (ii) अंत:केन्द्र पर उपस्थित परमाणु का कितना भाग सन्निकट कोष्ठिका से सहभाजित होता है।
उत्तर :(i) आद्य घनीय एकक कोष्ठिका में उपस्थित परमाणु केवल कोनों पर होते हैं| कोने का प्रत्येक परमाणु आठ निकटवर्ती एकक कोष्ठिकाओं के मध्य सहभाजित होता है।अत: वास्तव में एक परमाणु का 18 वाँ भाग ही एक विशिष्ट एकक कोष्ठिका से संबंधित रहता है।
(ii) अंत: केन्द्र पर उपस्थित परमाणु पूर्णतया उस एकक कोष्ठिका से संबंधित होता है तथा किसी भी सन्निकट कोष्ठिका से सहभाजित नहीं होता है।
प्रश्न 14. एक अणु की वर्ग निविड संकुलित परत में द्विविमीय उपसहसंयोजन संख्या क्या है?
उत्तर : एक अणु की वर्ग निविड संकुलित परत में द्विविमीय उपसहसंयोजन संख्या 4 होती है क्योंकि इस व्यवस्था में प्रत्येक गोला चार निकटवर्ती गोलों के संपर्क में रहता है।
प्रश्न 15. निम्नलिखित में से किस जालक में उच्चतम संकुलन क्षमता है?
(i) सरल घनीय, (ii) अंत: केन्द्रित घन और (iii) षटकोणीय निविड संकुलित जालक
उत्तर : (i) सरल घनीय जालक की संकुलन क्षमता = 52.4%
(ii) अंत: केन्दित घन जालक की संकुलन क्षमता = 68%
तथा (iii)षटकोणीय निविड संकुलित जालक संकुलन क्षमता = 74% प्रतिशत होती है।
प्रश्न 16. जब एक ठोस को गरम किया जाता है तो किस प्रकार का दोष उत्पन्न हो सकता है? इससे कौन से भौतिक गुण प्रभावित होते हैं और किस प्रकार?
उत्तर :जब एक ठोस को गरम किया जाता है, तो जालक का कुल स्थान रिक्त हो जाता है, जिसके कारण उत्पना दोष को रिक्तिका दोष कहा जाता है।रिक्तिका दोष घनत्व को कम कर देता है।
प्रश्न 17. निम्नलिखित किस प्रकार का स्टॉइकियोमीट्री दोष दर्शाते हैं?
(i) ZnS (ii) AgBr
उत्तर :
(i) ZnS : यह फ्रेंकेल दोष दर्शाता है। फ्रेंकेल दोष उन आयनिक पदार्थ द्वारा दिखलाया जाता है जिनमें आयनों के आकार में अधिक अंतर होता है।
(ii) AgBr : यह फ्रेंकेल तथा शॉटकी दोनों प्रकार के दोषों को दर्शाता है।
प्रश्न 18. वर्ग 14 के तत्व को n–प्रकार के अर्धचालक में उपयुक्त अशुद्धि द्वारा अपमिश्रित करके रूपांतरित करना है। यह अशुद्धि किस वर्ग से संबंधित होनी चाहिए?
उत्तर :सिलिकन और जरमेनियम आवर्तसारणी के चौदहवें वर्ग में हैं और प्रत्येक में चार संयोजक इलेक्ट्रॉन है। क्रिस्टलों में इनका प्रत्येक परमाणु अपने निकटस्थ परमाणुओं के साथ चार सहसंयोजक बंध बनाता है।
जब पन्द्रहवें वर्ग के तत्व जैसे P अथवा As, जिनमें पाँच संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं, को अपमिश्रित किया जाता है, तो यह सिलिकन अथवा जरमेनियम के क्रिस्टल में कुछ जालक स्थलों में आ जाते हैं।
अत: वर्ग 14 के तत्व को n–प्रकार के अर्धचालक में उपयुक्त अशुद्धि द्वारा अपमिश्रित करके रूपांतरित करने के लिये अशुद्धि 14वें वर्ग से संबंधित होनी चाहिए।
प्रश्न 19. किस प्रकार के पदार्थों से अच्छे स्थायी चुंबक बनाए जा सकते हैं, लोहचुम्बकीय अथवा फेरीचुम्बकीय? अपने उत्तर का औचित्य बताइए।
उत्तर :कुछ पदार्थ जैसे: लोहा, कोबाल्ट, निकेल, गैडोलिनियम और CrO2बहुत प्रबलता से चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसे पदार्थ को लोहचुम्बकीय पदार्थ कहा जाता है।
प्रबल आकर्षण के अतिरिक्त ये स्थायी रूप से चुम्बकित किए जा सकते हैं। ठोस अवस्था में लोहचुम्बकीय पदार्थों के धातु आयन छोटे खंडों में एक साथ समूहित हो जाते हैं इन्हें डोमेन कहा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक डोमेन एक छोटे चुम्बक की तरह व्यवहार करता है। लोहचुम्बकीय पदार्थ के अचुम्बकीय टुकड़े में डोमेन अनियमित रूप से अभिविन्यासित होते हैं और उनका चुम्बकीय आघूर्ण निरस्त हो जाता है। पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर सभी डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यासित हो जाते हैं और प्रबल चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है।
चुम्बकीय क्षेत्र हटा लेने पर भी डोमेनों का क्रम बना रहता है और लौहचुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुमक बन जाते हैं।
प्रश्न 20. एक यौगिक, दो तत्वों M और N से बना है। तत्व N, ccp संरचना बनाता है और M परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों के 13 भाग को अध्यासिक्त करते हैं। यौगिक का सूत्र क्या है?
उत्तर :मान लिया कि दिये गये यौगिक में तत्व N द्वारा बनाये गये ccp संरचना में तत्व N की संख्यां =अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्यां =a
अत: चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्यां =2a
दिया गया है, M परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों के 13भाग को अध्यासिक्त करते हैं।
अत: तत्व M द्वारा अध्यासिक्त चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्यां=2a×13=2a3
अत: M और N परमाणुओं की संख्यां का अनुपात =2a3:a=2:3
अत: यौगिक का सूत्र =M2 N3
प्रश्न 21. निम्नलिखित को उचित उदाहरणों से समझाइये -
(i) लोहचुम्बकत्व
उत्तर: चुंबकीय क्षेत्र में बहुत प्रबलता से आकर्षित होने वाले तत्व लोहचुंबकीय तत्व कहलाते हैं। उदाहरण - Fe,Ni,Co तथा CrO2
ये तत्व स्थाई रूप से चुंबकित किये जा सकते हैं। इस प्रकार का चुंबकीय आघूर्ण अयुगल एलेक्ट्रॉनों के एक ही दिशा में विन्यासित होने से होता हैं।
(ii) अनचुम्बकत्व
उत्तर:चुंबकीय क्षेत्र में बहुत दुर्बलता से आकर्षित होने वाले तत्व अनचुंबकीय तत्व कहलाते हैं। एक या अधिक अयुगल एलेक्ट्रॉनों कि उपस्थिति इसे चुंबकीय क्षेत्र में आकर्षित करती हैं। चुंबकीय क्षेत्र हटाने पर यह चुंबकत्व खो देते हैं।
उदहारण - O2, Cu2+,Fe3+ आदि।
प्रश्न 22. समझाइए कि एक उच्च संयोजी धनायन को अशुद्धि की तरह मिलाने पर आयनिक ठोस में रिक्तिकाएं किस प्रकार प्रविष्ट होती हैं।
उत्तर :जब गलित सोडियम क्लोराइड (NaCl) को SrCl2
(स्ट्रॉन्सियम क्लोराइड) की अल्प मात्रा के साथ क्रिस्टलीकृत किया जाता है, तो जालक में Na+ का कुछ स्थान Sr++ द्वारा घेर लिया जाता है अर्थात प्रतिस्थापित कर लिया जाता है। इस स्थिति में प्रत्येक Sr++ द्वारा दो Na+(सोडियम आयन) का स्थान प्रतिस्थापित किया जाता है। यह एक आयन का स्थान ग्रहण करता है और दूसरा स्थान रिक्त रह जाता है। इस प्रकार उत्पन्न धनायन रिक्तियों की संख्यां Sr++ के बराबर होती है।
इस कारण से सोडियम क्लोराइड (NaCl) के क्रिस्टल में अशुद्धता आ जाती है। इस तरह की अशुद्धता के कारण उत्पन्न दोष को अशुद्धता दोष कहा जाता है।
CdCl2 तथा AgCl का ठोस विलयन भी इस प्रकार के अशुद्धता दोष का उदाहरण है।
प्रश्न 23. 'क्रिस्टलीय' पद को परिभाषित कीजिए। अक्रिस्टलीय ठोसों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर: अनाकार ठोस ऐसे ठोस होते हैं जिनके घटक कण अनियमित आकार के होते हैं और इनमें कम दूरी के क्रम होते हैं। ये ठोस प्रकृति में आइसोट्रोपिक हैं और तापमान की एक सीमा से अधिक पिघलतेहैं।इसलिए, अनाकार ठोस को कभी-कभी छद्म ठोस या सुपर कूल्ड तरल पदार्थ कहा जाता है। उनमें संलयन की निश्चित ऊष्मा नहीं होती है। अनाकार ठोस के उदाहरणों में ग्लास, रबर और प्लास्टिक शामिल हैं।
प्रश्न 24. काँच, क्रार्टज जैसे ठोस से किस प्रकार भिन्न है? किन परिस्थितिय में कार्ट्ज़ को काँच में रूपांतरित किया जा सकता है?
उत्तर: घटक कणों की व्यवस्था ग्लास को क्रार्ट्ज से अलग बनाती है।ग्लास में, घटक कणों की शॉर्ट रेंज ऑर्डर होती है, लेकिन क्रार्ट्ज में, घटक कणों की लंबी रेंज और शॉर्ट रेंज ऑर्डर दोनों होते हैं। क्रार्ट्ज को गर्म करके कांच में बदला जा सकता है और फिर इसे तेजी से ठंडा किया जा सकता है।
प्रश्न 25. निम्नलिखित ठोसों का वर्गीकरण आयनिक, धात्विक, आण्विक, सहसंयोजक या अक्रिस्टलीय में कीजिए।
(i) टेट्रा फास्फोरस डाइऑक्साइड(P4O10)
(ii) अमोनियम फॉस्फेट(NH3)4PO4
(iii) SIC
(iv) I2
(v) P
(vi) प्लास्टिक
(vii) ग्राफाईट
(viii) पीतल
(ix) Rb
(x) LIBr
(xi) Sl
उत्तर:
(i) आयनिक→ अमोनियम फॉस्फेट(NH3)4PO4, LIBr
(ii) धात्विक→पीतल, Rb
(iii) टेट्राफॉस्फोरस डॉक्सीडे(P4O10),l2,P4
(iv) सहसंयोजक→→ ग्रेफाइट,SiC,Si
(v) अक्रिस्टलीय→ प्लास्टिक