बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 10 मानव कल्याण मे सूक्ष्मजीव दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सूक्ष्म जैविकी के अनुप्रयोग बताए?
उत्तर: सूक्ष्मजैविकी के अध्ययन से हमें सूक्ष्मजीवों की अनेकानेक लाभदायक व हानिकारक गतिविधियों का ज्ञान होता है। सूक्ष्मजीव पृथ्वी पर उपस्थित जीवन के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण घटक है। हमारी यह सामान्य धारणा कि स सूक्ष्मजीव रोगजनकीय अथवा हानिकर होते है सही नहीं है। अनेक सूक्ष्मजीव मानव समाज के लिए अत्यन्त ही लाभप्रद होते है। अनेक बार तो हमें ऐसा लगेगा कि यदि ये सूक्ष्म जीव न होते तो हमारा जीवन हो सम्भव नहीं हम प्रतिदिन सूक्ष्मजीवों तथा सूक्ष्मजीवी व्युत्पन्न उत्पादों का प्रयोग करते हैं। दूध को दही में बदलने की प्रक्रिया अथवा विभिन्न प्रकार के किण्वन की क्रियायें, प्रतिजैविकों के उत्पादन की बात हो या पाहित मल की उपचार की बात बायोगैस उत्पादन की बात करें अथवा पृथ्वी पर अति आवश्यक अक्रिय गैस नाइट्रोजन के स्थिरीकरण (यौगिकोकरण) आदि सुघटनायें बिना सूक्ष्मजीवों को उपस्थिति के सम्पन ही नहीं है। आजकल तो सूक्ष्मजीवों का प्रयोग जैयनियन्त्रण विधि द्वारा हानिप्रद पौड़कों को मारने के लिए भी किया जाने लगा है। जैवनियन्त्रण मापन से विषैले पीड़कनाशियों के प्रयोग में भारी कमी आयी है, जिनका उपयोग पौड़क नियन्त्रण में किया जाता रहा है। आज समय की मांग है कि रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरकों का ही प्रयोग किया जाये स्पष्ट है मानव समाज के कल्याण में इन सूक्ष्मजीवियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 2. जीवाणु व मानव स्वास्थ्य के मध्य समबंधों पर टिप्पणी करे।
उत्तर: जीवाणु और मानव स्वास्थ्य:
(i) जीवाणुओं की कुछ जातियों के संवर्द्धन से विटामिन प्राप्त किये जाते हैं; जैसे— राइबोफ्लेविन (riboflavin)—बी- विटामिनों (B-vitamins) में से एक विटामिन को क्लॉस्ट्रोडियम एसीटोब्यूटाइलिकम के द्वारा संश्लेषित कराया जाता है।
(i) कुछ जीवाणु जैसे ईश्बेरिचिया कोलाई मनुष्य की आंत में रहते हैं और सहजीवी जीवाणु माने जाते हैं। यह विटामिन बी बनाते हैं। ये कुछ एन्जाइम भौ उत्पन्न करते हैं जो भोजन के पाचन में महायता करते हैं। शाकाहारी चौपायों, जैसे—घोड़ा, गाय-भैंस आदि में तो प्रोटोजोआ (जन्तु) के साथ-साथ जीवाणु सेल्यूलोस के पाचन में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। सेल्यूलोस का पाचन किसी भी ऐसे एन्जाइम के द्वारा नहीं हो सकता जो इन स्तनपोषियों में उत्पन्न होते हैं।
(iii) मुखगुहा, श्वसन नाल, आंत्र आदि अनेक शारीरिक अंगो में विभिन्न जीवाणु रहते हैं जो बाहर से आने वाले रोगजनक जीवाणु इत्यादि को नष्ट कर देते हैं। यह क्रिया इन जीवाणुओं के द्वारा उत्पन्न किये कुछ रासायनिक मदार्थों के कारण होती है।
(iv) जीवाणुओं से विभिन्न प्रकार के प्रतिजैविक पदार्थ बनाये जाते हैं जो विभिन्न प्रकार के रोगी के रोगाणुओं को नष्ट करने के काम आते हैं। इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रतिजैविक स्ट्रेप्टोमाइसीस की विभिन्न जातियों से प्राप्त किये जाते हैं। इनमें से स्ट्रेप्टोमाइसीन . क्लोरोमाइसिटीन ओरीओमाइसिन, टेरामाइसिन, निओमाइसिन आदि अनेक नाम अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त बैसीलस को जातियों आदि से टायरोथिसिन , सबटिलिन प्राप्त होता है।
प्रश्न 3. घरेलू उत्पादक क्रियाओ मे सूक्ष्मजीवों की उपयोगिता बताए।
उत्तर: घर में हम प्रतिदिन सूक्ष्मजीवियों अथवा उनसे व्युत्पन्न उत्पादों का प्रयोग करते हैं, जैसे-
1. जीवाणुओं द्वारा व्युत्पन्न खाद्य पदार्थों का उत्पादन- (i) दूध से दही, मक्खन, पनीर, योगर्ट, चीज इत्यादि बनाना
(ii) दाल-चावल का बना ढीला-ढाला (मुलायम) गूंथा गया आटा जिसका प्रयोग डोसा तथा इडली जैसे आहार बनाने में किया जाता है, जीवाणुओं द्वारा किण्वित होता है। इस आटे की फूली उमरी हुई संरचना कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस के उत्पादन के कारण होती है।
(iii) स्विस चीज का निर्माण प्रोपिआनिर्वक्टोरिअम शोरमैनाई नामक जीवाणु की उपस्थिति में किया जाता है। इसमें अत्यधिक तथा बड़े-बड़े छिद्र कार्बन डाइऑक्साइड को उपस्थिति के कारण होते हैं।
(iv) सिरका बनाने के लिए, भोजन के संरक्षण के लिए कुछ जीवाणुओं (जैसे बैसीलस सबटिलिस , का उपयोग प्रतिजैविक उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
2. यीस्ट द्वारा व्युत्पन्न खाद्य पदार्थों का उत्पादन-ब्रेड, तन्दूरी रोटी आदि बनाने के लिए ईस्ट
की जातियों (विशेष कर सैकेरोमाइसीज सरेविसी) का उपयोग किया जाता है। योस्ट से अन्य कई प्रकार के भोज्य पदार्थ बनाये जाते हैं।
3. पारम्परिक पेय पदार्थों तथा आहारों की एक बड़ी संख्या सूक्ष्मजीवियों द्वारा किण्वित कराकर तैयार की जाती हैं। दक्षिण भारत के कुछ भागों में एक पारम्परिक पेय टोडी है। इसे ताड़वृक्ष के तने के साथ को किण्वित कराकर तैयार किया जाता है। सूक्ष्मजीवियों का प्रयोग किण्वित मछली, सोयाबीन, बाँस प्ररोह आदि से भोजन तैयार करने में किया जाता है। पनीर या चीज जो एक प्राचीन भोज्य पदार्थ है, को तैयार करने में सूक्ष्मजीवियों का प्रयोग किया जाता है। विभिन्न किस्मों के पनीर विशेष सूक्ष्मजीवों के प्रयोग से अपनी गठनसंरचना, सुगन्ध तथा स्वाद जैसे अभिलक्षणों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। रॉक्यूफोर्ट चीज एक विशेष प्रकार के कवक की वृद्धि से परिपक्व होते है।
प्रश्न 4. जैव उर्वरक के रूप मे सूक्ष्म जीवों पर विचार प्रस्तुत करे।
उत्तर: जैव उर्वरक अर्थात् खाद , ऐसे कार्बनिक पदार्थ हैं जो विभिन्न कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से तैयार किये जाते हैं। इनमें पौधों के लिए आवश्यक, लगभग सभी तत्वों की आपूर्ति की क्षमता होती है। इन तत्वों को ये कम मात्रा में किन्तु लम्बे समय तक प्राप्त कराते हैं। ये मृदा की भौतिक दशा को भी सुधारते हैं क्योंकि इनमें ह्यूमस बढ़ाने की अत्यधिक क्षमता होती है। ह्यूमस का निर्माण प्रमुखतः मृतजीवी कवक एवं जीवाणु करते हैं।
जैव उर्वरकों को बनाने में सूक्ष्मजीवों की ही भूमिका होती है जिनमें प्रमुखतः जीवाणु एवं कवक होते हैं। पशुओं का गोबर, करकट, भूसा, वनस्पति आदि के अवशेष, मवेशियों के मूत्र आदि को किसी चित्र छायादार स्थान पर गड्ढे में एकत्रित कर लेते हैं और अधिक तथा प्रतिदिन इसी प्रकार के पदार्थ इसमें डालते रहते हैं। गड्ढे के भरने पर इसे मिट्टी से ढढक देते है। गड्डे के अन्दर पदार्थ पानी से नम रहने चाहिये। चार-पांच माह में इनमें उपस्थित कार्बनिक पदार्थों का अपघटन हो जाता है। अधिक मात्रा में भी इसे तैयार किया जा सकता है तथा इसमें बचा हुआ चारा, खल, साग-सब्जी की अपशिष्ट पतियों, पशुशाला से निकलने वाले अवशिष्ट आदि मिला देने और नमी आदि बनाये रखने पर यह खाद, उत्तम खाद होती है। यह कम्पोस्ट खाद एक जैव उर्वरक है तथा फसल के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
प्रश्न 5. बाइओ गैस उत्पादन के दौरान उपसतिथ गैसो कौन कौन सी है?
उत्तर: बायो गैस अवायवीय अवस्थाओं में कार्बनिक पदार्थों प्राय: सेल्यूलोज के किण्वन के द्वारा बनने वाली प्रमुख रूप से ज्वलनशील गैस मीथेन (CH4) होती है। सामान्यतया गोवर के प्रयोग से तैयार की गई गोबर गैस में लगभग 65% मीथेन, 30% कार्बन डाइऑक्साइड, 15 हाइड्रोजन सल्फाइड तथा अल्प मात्रा में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन मोनो ऑक्साइड गैसें होती हैं। सूक्ष्मजीव सामान्यतः कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के समय अन्तिम उत्पादों में कोई न कोई गैस उत्पन्न करते हैं। अनस अपघटन प्रक्रियाओं में तो ये गैसें कार्बनिक पदार्थ की किस्म के आधार पर कई प्रकार की हो सकती हैं। जैसे, किण्वन क्रियाओं में प्राय: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस ही मुख्य रूप से होती है। कुछ जीवाणु जो सेल्यूलोजीय पदार्थों का अवायवीय अपघटन करते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा हाइड्रोजन (H2) के साथ-साथ काफी अधिक मात्रा में मीथेन गैस (CH) भी उत्पन्न करते हैं। सामूहिक रूप से इन जीवाणुओं को मीथेनोजेन कहते हैं। इन जीवाणुओं में सामान्यतः पाया जाने वाला जीवाणु मीथेनोबैक्टीरियम होता है।
प्रश्न 6. वाहित मल के प्राथमिक उपचार के बारे मे बताए।
उत्तर: भौतिक शुद्धीकरण को कई पदों में पूरा किया जाता है-
(i) छानना – विशेष प्रकार के छन्नों के द्वारा गन्दगी को छान लिया जाता है। इस पद के मोटी गन्दगी छान कर अलग कर ली जाती है।
(ii) निःसादन- अघुलनशील गन्दगी वाहितमल को स्थिर करने पर बैठ जाती है। मूलभूत रूप से उपचार के इन पदों में वाहित मल से बड़े-छोटे कणों को निस्वंदन अवसादन द्वारा भौतिक रूप से अलग कर दिया जाता है। इन्हें फिर-भित्र चरणों में किया जाता है। आरम्भ में तैरते हुए कूड़े-करकट को अनुक्रमिक निस्पंदन द्वारा हटाया जाता है। इसके बाद द तथा छोटी गुटिकाओं, पेवल इत्यादि को अवसादन द्वारा निष्कासित किया जाता है। सभी ठोस जो प्राथमिक आपक के नीचे बैठे कण है, वह और प्लावी बहिःस्राव को निर्मित कर है। महि: स्नाव को प्राथमिक निःसादन टैंक से द्वितीयक उपचार के लिए से प जाता है।
प्रश्न 7 .कवकों से प्राप्त कार्बनिक अम्लों के नाम बताए।
उत्तर: कार्बनिक अम्ल कवकों के नाम
साइट्रिक अम्ल एम्परजिलस , साइट्रस
गैलिक अम्ल एस्परजिलस
फ्यूमैरिक अम्ल म्यूकर राइजोपस
कोजिक अम्ल एस्परजिलस
ग्लूकोनिक अम्ल | पेनीसीलियम
लैक्टिक अम्ल राइजोपस
ऑक्सैलिक अम्ल एस्परजिलस
इटैकॉनिक अम्ल एस्परजिलस