बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 9 खाद्य उत्पादन मे वृद्धि की कार्यनीति लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 9 खाद्य उत्पादन मे वृद्धि की कार्यनीति लघु उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > जीव विज्ञान अध्याय 9 खाद्य उत्पादन मे वृद्धि की कार्यनीति

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. ऊतक संवर्धन में 'कैलस निर्माण' तथा 'एक्सप्लाण्ट' का अर्थ बताइये।

उत्तर- ऊतक संवर्धन में कैलस निर्माण, किसी ऊतक या किसी छोटे भाग को उगाने पर अविभेदित किण या कैलस प्राप्त होता है। कर्तोत्तक या एक्सप्लाण्ट, अन्तः पात्र सूक्ष्म प्रवर्धन के द्वारा संवर्धित भाग को कहते हैं।

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प्रश्न 2.  स्पाइरुलीना का आर्थिक महत्त्व क्या है?

उत्तर- स्पाइरुलीना एक सूक्ष्मजीव है तथा सायनोबैक्टीरिया है। यह विभिन्न प्रकार के कार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों जैसे आलू संसाधन संयंत्र से निकले अपशिष्ट, घास-फूस पशु खाद, धौरा यहाँ तक की वाहित मल पर उगाया जा सकता है तथा इसमें भरपूर पोषक पदार्थ होते हैं। यह SCP (single cell protein) के अच्छे स्रोत के रूप में उगाया जाता है। यह पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करता है।

प्रश्न 3. वरण (selection) क्या है? वरण की दो विधियाँ बताइये।

उत्तर – जब किसी पौधे या पौधों के समूह को इच्छित लक्षणों के लिए सम्पूर्ण समष्टि के मध्य अन्य अनैच्छिक लक्षणों को छोड़ते हुए से चयनित किया जाता है तो इसे वरण कहते हैं। प्रमुख दो प्रकार के वरण- (i) व्यापक वरण ,
      (ii) शुद्ध वंशक्रम वरण 

प्रश्न 4  - आन्तरप्रजातीय  तथा आन्तरजातीय संकरण क्या है? 

उत्तर- किसी पादप जाति के अन्तर्गत दो प्रजातियों के मध्य संकरण को आन्तर प्रजातीय तथा एक ही वंश की दो जातियों के मध्य संकरण को आन्तरजातीय संकरण कहते हैं।

प्रश्न 5  - पादप प्रजनन के क्या उद्देश्य हैं?

उत्तर—पादप प्रजनन का मुख्य उद्देश्य (: फसल समुन्नति ही है जिसके अन्तर्गत इच्छित लक्षणों को सन्तति फसल में प्राप्त करानी होती है; जैसे-अधिक उपज, फसल उत्तमता,

प्रतिरोधकता, सूखा एवं लवण सहिष्णुता आदि ।

प्रश्न 6 - संकरण के प्रमुख तीन उद्देश्य बताइये।

उत्तर- संकरण के प्रमुख तीन उद्देश्य हैं—

(i) वांछनीय उत्तम गुणों की एक ही किस्म में लाना।

(ii) विभिन्न गुणों का पुनर्संयोजन उत्पन्न कर विभिन्नताओं की वृद्धि करना।
(ii) संकर ओज का उपयोग करना।

प्रश्न 7. हरित क्रान्ति क्या है? इसके जनक का नाम बताइये

उत्तर- हरित क्रान्ति - वर्ष 1960 के मध्य से गेहूँ तथा धान की अनेक उच्च उत्पादन किस्मों का विकास पादप प्रजनन तकनीकों के प्रयोग से किया गया। परिणामस्वरूप खाद्य उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई। यही प्रावस्था सामान्यतः हरित क्रान्ति के नाम से जानी जाती है। हरित क्रान्ति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में जिन वैज्ञानिकों का नाम सबसे ऊपर आता है उनमें भारत के विकिरण आनुवंशिकी के जनक तथा भारत में हरित क्रान्ति के जनक डॉ० स्वामीनाथन प्रमुख है। विश्व प्रसिद्ध डॉ० नॉर्मन ई० बोरलॉग के साथ मिलकर उन्होंने अनेक बौनी प्रजातियों को विकसित किया।

प्रश्न 8 - सूक्ष्म संवर्धन के बारे में संक्षेप में बताइये।

उत्तर- सूक्ष्म संवर्धन- वैज्ञानिकों ने पादपों से एकल कोशिका अलग करने इनका संकरण करने आदि में सफलता प्राप्त करने के बाद इनसे कायिक प्रवर्धन के द्वारा अनेक स्वस्थ, रोग रहित तथा मजबूत नवोद्भिद नियन्त्रक प्रक्रिया के द्वारा प्राप्त किये है। यह प्रक्रिया सूक्ष्म संवर्धन कहलाती है। ऐसे पौधे जीवन काल तक निरोगी रहते हैं, छोटे रूप में परिपक्व हो जाते हैं। इनका उत्पादन बहुत ही कम समय तथा लाखों की संख्या में तथा पूरे वर्ष किया जा सकता है तथा इन्हें संग्रहित करके भी रखा जा सकता है।

प्रश्न 9. कायिक भ्रूण जनन क्या है?

उत्तर- किसी कायिक कोशिका से परिवर्द्धित भ्रूण कायिक भ्रूण कहलाता है। ऑक्सिन्स जैसे 2,4-D की उच्च सान्द्रताओं में इस प्रकार के परिवर्द्धन सम्भावित होते हैं। इनको उसी घोषक पदार्थ में अथवा अन्य पोषक पदार्थ में विकसित किया जाता है। यह क्रिया कायिक भ्रूण जनन कही जाती है।

प्रश्न 10 - MOET कार्यक्रम ने पशुओं की वांछित प्रजाति की संख्या की अत्यधिक बढ़ाने में सहायता की है। कार्यक्रम को चलाने के लिए चरणों को बताइये।

उत्तर- MOET (Multiple ovulation embryo transfer technology) कार्यक्रम के निम्नांकित चरण होते हैं-

(i) मादा पशु को हॉर्मोन्स (FSH प्रकार के) द्वारा सुपर अण्ड निर्माण के लिए प्रेरित किया जाता है।

(ii) इस मादा पशु का प्रसंग कराके अथवा कृत्रिम संसेचन के द्वारा अण्डों को निषेचित कराया जाता है।
(iii) 8-32 कोशिका अवस्था तक निषेचित अण्डों को परिवर्तित होने दिया जाता है इसके बाद इन्हें प्राप्त करके एवजी माताओं (surrogate mothers) में स्थानान्तरित कर दिया जाता है।

प्रश्न 11  – एक केला शाक वायरस संक्रमित हो गया है। इस शाक से आप केले का स्वस्थ पौधा कैसे प्राप्त करेंगे ?

उत्तर— रोग संक्रमित पादपों के प्ररोह शीर्ष को एक्सप्लांट के रूप में चयन करके तथा फिर इस एक्सप्लाण्ट सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा कैलस तैयार करेंगे। कैलस में विभिन्न हार्मोन मिलाकर संवर्धन माध्यम पर प्रवर्धन तैयार करके से नवादभिद तैयार कर लेते हैं। फिर इन्हें वांछित स्थान पर रोपित कर देते हैं।

प्रश्न 12. पारजीनी जन्तुओं से होने वाले चार लाभ बताइए।

उत्तर—(i) अधिक उत्पादक होते हैं जैसे—दूध, मांस, प्रोटीन आदि पदार्थों के अच्छे उत्पादक।
((ii) विभिन्न प्रकार के रोगों के प्रति प्रतिरोधी होते है।

(iii) पर्यावरण के अनुरूप होते हैं।

(iv) पालने में आसानी होती है।

प्रश्न 13. सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पादित एस०सी०पी० खाद्य पदार्थों के उपयोग के लाभ बताए। 

उत्तर: एस०सी०पी० के उत्पादन में सूक्ष्मजीवों का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है, उसी प्रकार उत्पादित एस०सी० पी० भी अत्यधिक लाभकारी होती है-

1. सूक्ष्मजीव अत्यधिक तेजी से वृद्धि करते हैं तथा अधिकाधिक मात्रा में एस०सी०पी० का उत्पादन करते हैं।
2. इनको काफी अधिक मात्रा में थोड़ी जगह में तथा थोड़े-से संसाधनों के उपयोग के द्वारा हो उगाया जा सकता है।

3. अत्यधिक सस्ते, यहां तक अतिव्यर्थ पदार्थों का प्रयोग, इनको उगाने के लिए आधार पदार्थ के रूप में किया जा सकता है। इससे पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है।

4. एस०सी०पी० में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है।

5. इनका उत्पादन प्रयोगशाला में वर्ष भर किया जा सकता है तथा इस पर जलवावीय कारकों का प्रभाव नहीं है।

6. इनके उत्पादन में कम समय कम स्थान तथा कम लागत की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 14. एस०सी०पी० को उदाहरण सहित समझाए। 

उत्तर: एकल कोशिका प्रोटोन (SCP) के उत्पादन के लिए आधार पदार्थ अत्यधिक सस्ते यहाँ तक कि व्यर्थ अपशिष्ट पदार्थ होते हैं। घरेलू इण्डस्ट्रीज आदि से निष्कासित अपशिष्ट, सल्फाइट अपशिष्ट तरल हाइड्रोकार्बन अपशिष्ट जो पेट्रोलियम इण्डस्ट्री से निकलते हैं, आलू संसाधन उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट तिनके भूसा, शीरा, जैव खाद आदि का आधार पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। बड़े-बड़े किण्वन ताल मे अधिक वायु की उपस्थिति में सूक्ष्मजीवों की तीव्र वृद्धि प्राप्त की जाती है। इस प्रकार अत्यधिक मात्रा में प्रोटोन उत्पाद प्राप्त किये जाते हैं। एक गणना के अनुसार 40-45 किलोग्राम पीस्ट उचित अवस्थाओं में (दशाओं) में 24 घण्टे में 250 टन तक प्रोटीन उत्पादित कर देती है।

प्रश्न 15. ट्रान्सजेनिक पादपों का महत्त्व बताए। 

उत्तर: 1. ट्रान्सजेनिक पादपों का महत्त्व: 

1. ऐसे पौधों में कीट व रोग प्रतिरोधकता लायी जाती है जो रासायनिक कीटनाशियों से अधिक कारगर सिद्ध होती है।

2. रोग, शाकनाशी, हिमीकरण, लवणता, सूखा व उच्च ताप प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक पादप बनाने से फसलों के उत्पादन को काफी सीमा तक बढ़ाया जा सका है।

3. इनका उपयोग अब चिकित्सा क्षेत्र में जीवन रक्षक औषधियाँ व रसायन बनाने में भी किया जा सकेगा।
4. वैक्सीन को बनाने के लिये प्रत्यावर्ती DNA तकनीक के द्वारा नये वैक्सीन पौधों में विकसित किये जा सकेंगे/किये जा रहे हैं।

प्रश्न 16. कायिक संकरण किसे कहते है?

उत्तर: इस तकनीक का उपयोग वैज्ञानिकों ने पादपों से एकल कोशिकायें अलग करने में तथा उनका संवर्धन, कायिक संकरण आदि के लिए किया है। कुछ एन्जाइम्स की सहायता से इन कोशिकाओं की कोशिका भित्ति को पंचाकर प्लाज्मा झिल्ली द्वारा घिरा नग्न प्रोटोप्लास्ट पृथक् किया जाता है। दो विभिन्न प्रजातियों से अलग किया गया प्रोटोप्लास्ट युग्मित करके संकर प्रोटोप्लास्ट उत्पन्न किया जाता है। संकर प्रोटोप्लास्ट से नये पादप का पुनर्जनन किया जाता है। यह प्रक्रिया कायिक संकरण कहलाती है। इस प्रकार बना पादप एक कायिक संकर होता है। ऐसे एक प्रयोग में टमाटर एवं आलू से कायिक संकर, पोमेटो (pomato) का निर्माण किया गया। 

प्रश्न 17. जनन द्रव्य का संग्रहण किस प्रकार से होता है?

उत्तर: — विभिन्न फसलों में पूर्ववर्ती आनुवंशिक परिवर्तनशीलता उन्हें अपनी जंगली प्रजातियों से प्राप्त होती है। इन जंगली किस्मों, प्रजातियों, तथा कृष्य प्रजातियों के सम्बन्धियों का संग्रहण एवं परिरक्षण तथा उनके अभिलक्षणों का मूल्यांकन उनके समष्टि में उपलब्ध प्राकृतिक जोर के प्रभावकारी समुपयोजन के लिए पूर्वापेक्षित होता है। फसल में उपस्थित सभी जीन्स के विविध एलीलों का संग्रहण ही जननद्रव्य का संग्रहण कहलाता है।

प्रश्न 18. संकर बीजों के लाभ बताए। 

उत्तर: संकर बीजों के कुछ लाभ निम्नलिखित है-
1. इनसे फसलों को शीघ्र तैयार किया जाता है।

2. इनसे फसलों में रोग अवरोधक क्षमता का विकास होता है।

3. संकर बीजों से विकसित फसलों में फल एवं बीजों की संख्या बढ़ जाती है।

4. इनसे फल व बौजों का आकार बढ़ जाता है जिससे उपज (उत्पादन) बहुत अधिक बढ़ जाती है।

5. इनसे प्रजनन की क्षमता बढ़ जाती है।

6. इनसे अनेक अन्य जैविक गुणों: जैसे आयु में वृद्धि तथा फूलने-फलने के समय पर प्रभाव आदि का विकास होता है।

प्रश्न 19. बहुगुणित को परिभाषित करे। 

उत्तर: किसी भी जीव के शरीर की प्रत्येक कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित होती है। यह संख्या सामान्यतः द्विगुणित (diploid = 2n) अथवा युग्मक कोशिकाओं में अगुणित (haploid = n) होती है। अगुणित संख्या को जीव का जीनोम कहते हैं अर्थात् एक सामान्य कोशिका में दो जीनोम होते हैं।

पदयों में प्राकृतिक अवस्था में कभी-कभी द्विगुणित अवस्था से भी अधिक संख्या में गुणसूत्र मिलते हैं। ऐसी अवक्षतः को बहुगुणित्या कहते है।  ऐसे जीवों को बहुगुणित (polyploid) कहा जाता है। 

प्रश्न 20. पशुओ मे होने वाले कुछ रोगों के नाम बताए?

उत्तर: रोगों के कारण—
पशुओं में रोग होने के निम्नलिखित कारण हैं-
1. जैविक कारन  - पशुओं में छोटे प्राणियों या सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा कुछ विशिष्ट रोग उत्पन्न व प्रसारित किये जाते है जैसे—
(i) जीवाणुओं द्वारा होने वाले रोग  एन्थ्रैक्स, ब्रूसिलोसिस

(ii) विषाणुओं द्वारा होने वाले रोग - मुंह एवं खुरपका, रिडरपेस्ट।

(iii) प्रोटोजोआ द्वारा होने वाले रोग — कॉक्सीडियोसिस, बेबीसियोसिस एवं सरी।

(iv) आन्तरिक परजीवियों द्वारा होने वाले रोग– हेल्मिन्थिस तथा गोलकृमि ।

प्रश्न 21. अन्तःप्रजनन अवसादन किसे कहटे है?

उत्तर: अन्तः प्रजनन समयुग्मता को बढ़ावा देता है। इस प्रकार यदि हम किसी भी प्रकार के पशु में शुद्ध वंशक्रम विकसित करना चाहते हैं तो अन्तः प्रजनन आवश्यक है। यह श्रेष्ठ किस्म के जीन्स के संचयन में तथा कम वांछनीय जीन्स के निष्कासन में सहायता प्रदान करता है। अतः यह तरीका, जहाँ प्रत्येक पद पर चयन हो, वहाँ अन्तःप्रजात व्यष्टि की उत्पादकता बढ़ाती है। यद्यपि अन्तः प्रजनन यदि लगातार बना रहे विशेषकर निकट अन्तः प्रजनन तो जनन क्षमता और यहाँ तक कि उत्पादकता घट जाती है। इसे अन्तःप्रजनन अवसादन कहते हैं।

प्रश्न 22. कुकुत पालन के उद्देश्य बताए। 

उत्तर: कुक्कुट पालन के उद्देश्य:  कुक्कुट पालन निम्नलिखित उद्देश्यों से किया जाता है-

1. अण्डा व अण्डे से बने पदार्थों के उत्पादन के लिये।

2. माँस तथा मांस से बने पदार्थों के उत्पादन के लिये।

3. ब्रॉयलर उत्पादन के लिये।

4. व्यावसायिक चूजा उत्पादन के लिये।
प्रारूपिक रूप से कुक्कुट, बतख तथा कभी-कभी टक, गीज आदि भी कुक्कुट पालन में सम्मिलित किये जाते हैं। बहुधा कुक्कुट (पोलट्री) शब्द का प्रयोग केवल इन पक्षियों के मांस के लिए ही किया जाता है; तथापि अ पक्षियों का मांस भी इसमें सम्मिलित किया जाना चाहिए। डेरी उद्योग की भाँति कुक्कुट फार्म प्रबन्धन के लिए भी उपयुक्त नस्लें, सही, सही-सही आहार तथा जल, सफाई पक्षियों तथा कामगारों का स्वास्थ्य इत्यादि महत्त्वपूर्ण घटक हैं।

प्रश्न 23. मतशयकी किसे कहते है?

उत्तर: मत्स्यकी: मत्स्यकी एक प्रकार का उद्योग है जिसका सम्बन्ध मछली अथवा अन्य जलीय जीवों को पकड़ना, उनका प्रसंस्करण करना तथा उन्हें बेचने से होता है। विश्वभर में जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली तथा अन्य जलीय जन्तुओं जैसे-झींगे, केकड़े, लॉबस्टर, खाद्य आयस्टा कुछ मछलियाँ आदि का प्रयोग करता है। सामान्यतः समुद्री तटों तथा उसके आस-पास रहने वालों के भोजन का एक बड़ा भाग मछलियाँ होती है।

प्रश्न 24. पादप प्रजनन के कोई दो उद्देश्य बताए। 

उत्तर: 1. अधिक उपज पादप प्रजनन का प्रथम तथा प्रधान उद्देश्य ही अधिक उपज प्राप्त करन है। गेहूं, चावल, मक्का, गन्ना आदि में अधिक उपज देने वाली किस्में तैयार की गई है।

अनेक फसलों की 50 से 70 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त कराने वाली किस्में उपलब्ध हैं।

2. फसल की गुणवत्ता - फसल की गुणवत्ता में वृद्धि करना पादप प्रजनन का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। अनाजों के पोषक मूल्य  में वृद्धि, दालों में प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि, गन्ने में शर्करा की मात्रा में वृद्धि, कपास में रेशों के गुणों में सुधार जैसे रेशों की लम्बाई, मोटाई, मजबूती आदि को वांछित स्तर तक प्राप्त करना तथा इसी प्रकार, फल, सब्जियों, पुष्पों, बीजों आदि के परिमाप, आकृति, स्वाद, स्वरूप, सुरुचित, सुगन्ध आदि को उत्तम स्तर का प्राप्त करना पादप प्रजनन का उद्देश्य होता है।

प्रश्न 25. फसल सुधारने की पाँच प्रमुख विधियों के नाम बताए। 

उत्तर: फसलों को सुधारने की प्रमुख विधियाँ : फसल सुधारने की पांच प्रमुख विधियाँ है-

1. पादप पुरःस्थापन व दशानुकूल 
2. वरण
3. संकरण 
4 . उत्परिवर्तन प्रजनन 
5. बहुगुणिता