बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 2 विलयन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
अध्याय 2 विलयन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. विलयन को परिभाषित कीजिए। कितने प्रकार के विभिन्न विलयन सम्भव हैं?
उत्तर:विलयन - विलयन दो या दो से अधिक अवयवों का समांगी मिश्रण होता है जिसका संघटन निश्चित परिसीमाओं के अन्तर्गत ही परिवर्तित हो सकता है। यहाँ समांगी मिश्रण से तात्पर्य यह है कि मिश्रण में सभी स्थानों पर इसका संघटन व गुण समान होते हैं। विलयन को बनाने वाले पदार्थ विलयन के अवयव कहलाते हैं। किसी विलयन में उपस्थित अवयवों की कुल संख्या के आधार पर इन्हें द्विअंगी विलयन (दो अवयव), त्रिअंगी विलयन (तीन अवयव), चतुरंगी विलयन (चार अवयव) आदि कहा जाता है। द्विअंगी विलयन के अवयवों को सामान्यतः विलेय तथा विलायक कहा जाता है। सामान्यतः जो अवयव अधिक मात्रा में उपस्थित होता है, वह विलायक कहलाता है, जबकि कम मात्रा में उपस्थित अन्य अवयव विलेय कहलाता है। विलायक विलयन की भौतिक अवस्था निर्धारित करता है जिसमें विलयन विद्यमान होता है। दूसरे शब्दों में विलेय वह पदार्थ होता है जो घुलता है तथा विलायक वह पदार्थ है जिसमें यह विलेय घुलता है।
उदाहरणार्थ- यदि चीनी के कुछ क्रिस्टलों को जल से भरे बीकर में डाल दिया जाए तो ये जल में घुलकर विलयन बना जायेंगे। इस स्थिति में चीनी विलेय तथा जल विलायक कहलाएगा। विलयन में कणों का आण्विक आकार लगभग 1000pm होता है तथा इसके विभिन्न अवयवों को किसी भी भौतिक विधि जैसे फिल्टरीकरण, निथारन, अभिकेन्द्रीकरण आदि के द्वारा पृथक्कृत नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 2.प्रत्येक प्रकार के विलयन के सम्बन्ध में एक उदाहरण देकर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:विलयन के प्रकार है-
विलेय तथा विलायक की भौतिक अवस्था के आधार पर विलयनों को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
विलयनो के प्रकार | विलय | विलायक | सामान्य उदाहरण |
गैसीय विलयन | गैस द्रव ठोस | गैस गैस गैस | औक्सीजन व नाइट्रोजन गैस का मिश्रण क्लोरोफोम का नाइट्रोजन गैस में मिश्रण कपूर का नाइट्रोजन गैस में विलयन |
द्रव् विलयन | गैस द्रव ठोस | द्रव द्रव द्रव | जल में धुली हुई ऑक्सीजन जल में धुला हुआ एथेनोल जल में धुला हुआ ग्लूकोस |
ठोस विलयन | गैस द्रव ठोस | ठोस ठोस ठोस | हाइड्रोजन का पलेडियम में विलयन पारे का सोडियम के साथ अमलगम तांबे का सोने में विलयन |
उपयुक्त नौ प्रकार के विलयनों में से तीन विलयन- द्रव में ठोस, द्रव में गैस तथा द्रव में द्रव अतिसामान्य विलयन हैं। इन तीनों प्रकार के विलयनों में द्रव विलायक के रूप में होता है। वे विलयन जिसमे जल घुलने के रूप में होता है, जलीय विलयन कहलाते हैं, जबकि जिन विलयनों में जल घुलने के रूप में नहीं होता अजलीय विलयन कहलाते हैं। सामान्य अजलीय विलायकों के उदाहरण हैं- ईथर, बेन्जीन, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि। विलयन के प्रकारों की व्याख्या निम्नलिखित है –
1) गैसीय विलयन - सभी गैसें तथा वाष्प समांगी मिश्रण बनाती हैं तथा इसीलिए इन्हें विलयन कहा जाता है। ये विलयन स्वतः और तीव्रता से बनते हैं। वायु गैसीय विलयन का एक अच्छा उदाहरण है।
(2) द्रव विलयन- ये विलयन ठोसों और गैसों को द्रवों में मिश्रित करने पर अथवा दो द्रवों को मिश्रित करने पर बनते हैं। कुछ ठोस पदार्थ भी मिश्रित करने पर द्रव विलयन बनाते हैं। उदाहरणार्थ- साधारण ताप पर सोडियम तथा पोटैशियम धातुओं की सममोलर मात्राएँ मिश्रित करने पर द्रव विलयन प्राप्त होता है। जल में पर्याप्त मात्रा में विलेय ऑक्सीजन तालाबों, नदियों एवम समुद्र में जल मै रेह्ने वाले जीवों की प्राण-रक्षा करती है। इन विलयनों में द्रव में द्रव विलयन बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। गैसों के समान द्रव मिश्रित किए जाने पर समांगी मिश्रण नहीं बनाते हैं। इनकी विलेयताओं के आधार पर इन मिश्रणों को तीन प्रकारों में बाँटा गया है:
1. जब दोनों अवयव पूर्णतया मिश्रणीय हों - इस स्थिति में दोनों द्रव समान प्रवृत्ति के होते हैं अर्थात् या तो ये दोनों ध्रुवी (जैसे-एथिल ऐल्कोहॉल तथा जल) होते हैं या अध्रुवी (जैसे—बेन्जीन तथा हेक्सेन) होते हैं।
2. जब दोनों अवयव लगभग - यहाँ एक द्रव ध्रुवी तथा दूसरा अध्रुवी प्रकृति का होता है; जैसे-बेन्जीन तथा जल, तेल तथा जल आदि।
3. जब दोनों अवयव आंशिक मिश्रणीय हों - यदि द्रव A में अन्तरअणुक आकर्षण A−A, द्रव B में अन्तरअणुक आकर्षण B−B से भिन्न हो, परन्तु A−B आकर्षण माध्यमिक कोटि का हो, तब दोनों द्रव परस्पर सीमित मिश्रणीय होते हैं। उदाहरणार्थ-ईथर तथा जल आंशिक रूप से मिश्रित होते हैं।
(3) ठोस विलयन - ठोसों के मिश्रणों की स्थिति में ये विलयन अत्यन्त सामान्य होते हैं। उदाहरणार्थ- गोल्ड तथा कॉपर ठोस विलयन बनाते हैं; क्योंकि गोल्ड परमाणु कॉपर क्रिस्टल में कॉपर परमाणुओं को प्रतिस्थापित कर देते हैं और इसी प्रकार कॉपर परमाणु गोल्ड क्रिस्टलों में गोल्ड परमाणुओं को बदल सकते हैं। दो अथवा दो से अधिक धातुओं की मिश्रधातुएँ ठोस विलयन होती हैं। ठोस विलयनों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-
1. प्रतिस्थापनीय ठोस विलयन - इन विलयनों में एक पदार्थ के परमाणु, अणु अथवा आयन क्रिस्टल जालक में अन्य पदार्थ के कणों का स्थान ले लेते हैं। प्रतिस्थापनीय ठोस विलयनों का समान्य उदाहरण इस प्रकार है पीतल, कॉपर तथा जिंक।
2. अन्तराकाशी ठोस विलयन - इन विलयनों में एक प्रकार के परमाणु अन्य पदार्थ के परमाणुओं के जालक में विद्यमान रिक्तिकाओं अथवा अन्तराकाशों के स्थान को ग्रहण कर लेते हैं। अन्तराकाशी ठोस विलयन का एक सामान्य उदाहरण टंगस्टन-कार्बाइड (WC) है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित शब्दों को परिभाषित करें:
i) मोल अंश
ii) मोललिटी
उत्तर : (i) मोल अंश- इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है:
एक घटक का मोल अंश =घटक के मोलों की संख्यासभी घटकों के मोलों की कुल संख्या
उदाहरण के लिए, एक द्विआधारी मिश्रण में, यदि A और B के मोलों की संख्या क्रमशः nAऔर nB है, तो A का मोल अंश होगा-
XA=nAnA+nB
1 संख्या वाले घटकों वाले समाधान के लिए, हमारे पास है
XS=nin1+n2+............ni
यह दिखाया जा सकता है कि किसी दिए गए समाधान में सभी तिल अंशों का योग एकता है,
X1 + X2 + ——–+ Xi= 1
(ii) मोललिटी- मोललिटी (एम) को विलायक के प्रति किलोग्राम (किलो) विलेय के मोल की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है और इसे इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:
मोललिटी (एम): विलेय के मोल विलायक का द्रव्यमान किग्रा
प्रश्न 4. ग्लूकोस का एक जलीय विलयन 10% (w/w) है। विलयन की मोललता तथा विलयन में प्रत्येक घटक का मोल-अंश क्या है? यदि विलयन का घनत्व 1.2 gml-1हो तो विलयन की मोलरता क्या होगी?
उत्तर:
10% ( w/w) ग्लूकोस विलयन का तात्पर्य है कि 100g ग्लूकोस विलयन में 10 ग्लूकोस उपस्थित होगा।
जल का द्रव्यमान
=100−10
=90g
= 0.090 kg
10g ग्लूकोस
=10180 mol
=0.0555 mol
90 g H2O = 9018
= 5 mol
मोललता (m)=0.05550.090
=0.617 m
ग्लूकोस का मोल प्रभाज = 1018010180+ 9018 = 0.011
जल का मोल प्रभाज =901810180+ 9018 = 0.989 100g
विलयन = 1001.2 ml = 83.33 ml
मोलरता =0.0555 mol0.08333 l =0.67M
प्रश्न 5. यदि 1g मिश्रण में Na2CO3 एवं NaHCO3 के मोलों की संख्या समान हो तो इस मिश्रण से पूर्णतः क्रिया करने के लिए 0.1 m HCl के कितन ml की आवश्यकता होगी?
उत्तर:
Na2CO3 तथा NaHCO3 के मिश्रण का भार = 1g
माना की मिश्रण में Na2CO3 के xg उपस्थित हैं।
अत: NaHCO3 की मात्रा =(1−x)g
∴ NaHCO3 के मोल = 1- x84
( ∴ NaHCO3 का अणुभार = 84 )
चूँकि मिश्रण सममोलर है,
अत: x106= 1- x84
या
x= 106190g
Na2CO3 का मिश्रण में द्रव्यमान = 106190
NaHCO3 का मिश्रण में द्रव्यमान= 1 - 106190 = 84190
Na2CO3+ 2HCl 2NaCl +CO2+ H2O 1 मोल 2 मोल
NaHCO3+ HCl NaCl +CO2+ H2O 1 मोल 1 मोल
106 g Na2CO3 के पूर्ण उदासीनीकरण के लिए आवश्यक HCl = 2 mol
∴ 106190g Na2CO3 के पूर्ण उदासीनीकरण के लिए आवश्यक HCl
= 2106 106190
= 2190 mol
84 g NaHCO3 के पूर्ण उदासीनीकरण के लिए आवश्यक HCl = 1 mol
∴ 84190g NaHCO3 के पूर्ण उदासीनीकरण के लिए आवश्यक HCl = 184 184190
= 1190 mol
अत: HCl के कुल आवश्यक मोल = 2190+ 1190 = 3190 mol आवश्यक 0.1 HCl का आयतन
=1000319010
=157.8 ml
प्रश्न 6. द्रव्यमान की दृष्टि से 25% विलयन के 300 g एवं 40% के 400 g को आपस में मिलाने पर प्राप्त मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत सान्द्रण निकालिए।
उत्तर:
25% विलयन का तात्पर्य है कि 25 g विलेय 100 g विलयन में उपस्थित है तथा 40% विलयन का तात्पर्य है कि 40 g विलेय 100 g विलयन में उपस्थित है।
300 g विलयन में विलेय
= 25 300100 = 75 g
400 g विलयन में विलेय
= 40 400100 = 160 g
∴ विलेय का कुल द्रव्यमान
=75+160
= 235 g
∴ मिश्रण में विलेय का द्रव्यमान प्रतिशत
= 235 100700
=33.57%
प्रश्न 7. हेनरी का नियम तथा इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर: हेनरी का नियम - सर्वप्रथम गैस की विलायक में विलेयता तथा दाब के मध्य मात्रात्मक सम्बन्ध हेनरी ने दिया। इसे हेनरी का नियम इसलिए कहते हैं। इसके अनुसार, "स्थिर ताप पर विलायक के प्रति एकांक आयतन में घुला गैस का द्रव्यमान विलयन के साथ साम्यावस्था में गैस के दाब के समानुपाती होता है। डाल्टन, जो हेनरी के समकालीन थे, उन्होंने भी स्वतन्त्र रूप से निष्कर्ष निकाला कि किसी द्रवीय विलयन में गैस की विलेयता गैस के आंशिक दाब पर निर्भर करती है। यदि हम विलयन में गैस के मोल-अंश को उसकी विलेयता का माप मानें तो यह कहा जा सकता है कि किसी विलयन में गैस का मोल-अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है।
अत: विकल्पतः हेनरी नियम को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है -
"किसी गैस का वाष्प-अवस्था में आंशिक दाब (p), उस विलयन में गैस के मोल-अंश (x) के समानुपाती होता है।"
p x
p = KH. x
यहाँ KH हेनरी स्थिर है। जब एक से ज्यादा गैसों के मिश्रण को विलायक के सम्पर्क में लाया जाता है, तब प्रत्येक गैसीय अवयव अपने आंशिक दाब के समानुपात में घुलता है। इसीलिए हेनरी नियम अन्य गैसों की उपस्थिति से स्वतन्त्र होकर प्रत्येक गैस पर लागू किया जाता है।
हेनरी नियम के अनुप्रयोग - हेनरी नियम के उद्योगों में अनेक अनुप्रयोग हैं एवं यह कुछ जैविक घटनाओं को समझने में सहायक होता है। इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं -
सोडा-जल एवं शीतल पेयों में CO2 की विलेयता बढ़ाने के लिए बोतल को अधिक दाब पर बन्द किया जाता है।
गहरे समुद्र में श्वास लेते हुए गोताखोरों को अधिक दाब पर गैसों को अधिक घुलनशीलता का सामना करना पड़ सकता है। अधिक बाहरी दाब के कारण श्वास के साथ ली गई वायुमण्डलीय गैसों की विलेयता रुधिर में अधिक हो जाती है। जब गोताखोर सतह की ओर आते हैं, बाहरी दाब धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसके कारण घुली हुई गैसें बाहर निकलती हैं, इससे रुधिर में नाइट्रोजन के बुलबुले बन जाते हैं। यह केशिकाओं में अवरोध उत्पन्न कर देता है और एक चिकित्सीय अवस्था उत्पन्न कर देता है। जिसे बेंड्स कहते हैं, यह बहुत पीड़ादायक एवं जानलेवा होता है। बेंड्स से तथा नाइट्रोजन की रुधिर में अधिक मात्रा के जहरीले प्रभाव से बचने के लिए, गोताखोरों द्वारा श्वास लेने के लिए उपयोग किए जाने वाले टैंकों में हीलियम मिलाकर तनु की गई वायु को भरा जाता है (इस वायु को संघटन इस प्रकार होता है−11.7% हीलियम,56.2% नाइट्रोजन तथा 32.1%ऑक्सीजन)।
अधिक ऊँचाई वाली जगहों पर ऑक्सीजन का आंशिक दाब सतही स्थानों से कम होता है, अत: इन जगहों पर रहने वाले लोगों एवं आरोहकों के रुधिर और ऊतकों में ऑक्सीजन की सान्द्रता निम्न हो जाती है। इसके कारण आरोहक कमजोर हो जाते हैं और स्पष्टतया सोच नहीं पाते। इन लक्षणों को एनॉक्सिया कहते हैं।
प्रश्न 8. 6.56 10-3 g एथेन युक्त एक संतृप्त विलयन में एथेन का आंशिक दाब 1 bar है। यदि विलयन में 5.00 10-2 g एथेन हो तो गैस का आंशिक दाब क्या होगा?
उत्तर:
m = KHx p
प्रथम मामले में, 6.56 10-3 g = KHx 1 bar
KH = 6.56 10-3 g bar-2
द्वितीय मामले में, 5.00 x 10-2 g = (6.56 x 10-2g bar-2) x p
या
p= 5.0010-2g6.56 10-2g bar-1
=0.762 bar
प्रश्न 9. राउल्ट के नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन का क्या अर्थ है तथा मिश्रण H का चिह्न इन विचलनों से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर: जब कोई विलयन सभी सान्द्रताओं पर राउल्ट के नियम का पालन नहीं करता तो वह अनादर्श विलयन कहलाता है। इस प्रकार के विलयनों का वाष्प दाब राउल्ट के नियम द्वारा निर्धारित किए गए वाष्प दाब से या तो ज्यादा होता है या कम। यदि यह ज्यादा होता है तो यह विलयन राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है और यदि यह कम होता है तो यह ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।
(j) राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन – दो अवयवो A तथा B वाले एक द्विअंगी विलयन पर विचार करते हैं। यदि विलयन में A-B अन्योन्यक्रियाएँ A-A तथा B-B अन्योन्यक्रियाओं की तुलना में दुर्बल होती हैं अर्थात् विलेय विलायक अणुओं के मध्य अन्तराआण्विक आकर्षण बल विलेय-विलेय और विलायक-विलायक अणुओं की तुलना में दुर्बल होते हैं, तब इस प्रकार के विलयनों में से A अथवा B के अणु शुद्ध अवयव की तुलना में सरलता से पलायन कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप विलयन के प्रत्येक अवयव का वाष्प दाब राउल्ट नियम के आधार पर अपेक्षित वाष्प दाब से अधिक होता है। इस प्रकार से कुल वाष्प दाब भी अधिक होता है। विलयन का यह व्यवहार राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन के रूप में जाना जाता है। गणितीय रूप से इसे इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं।
इसी प्रकार कुल वाष्प दाब,
p = PA + PB सदैव अधिक होता है।
इस प्रकार के विलयनों में, मिश्रण H शून्य नहीं होता, अपितु धनात्मक होता है क्योकि
A-A अथवा B-B आकर्षण बलों के विरुद्ध ऊष्मा की आवश्यकता होती है। अत: घुलनशीलता ऊष्माशोषी प्रक्रिया होती है।
(ii) राउल्ट नियम से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन - इस प्रकार के विलयनों में A-A व B-B के बीच अन्तराआण्विक आकर्षण बल
A-B की तुलना में दुर्बल होता है, अत: इस प्रकार के विलयनों में A तथा B अणुओं की पलायन प्रवृत्ति शुद्ध अवयव की तुलना में कम होती है, परिणामस्वरूप विलयन के हर एक अवयव का वाष्प दाब राउल्ट नियम के आधार पर अपेक्षित वाष्प दाब से कम होता है। इसी प्रकार कुल वाष्प दाब भी कम होता है। गणितीय रूप में,
इस प्रकार के विलयनों में मिश्रण H शून्य नहीं होता, अपितु ऋणात्मक होता है क्योंकि आकर्षण बलों में वृद्धि से ऊर्जा उत्सर्जित होती है। अत: घुलनशीलता ऊष्माक्षेपी प्रक्रिया उत्पन्न होती है।
प्रश्न 10. विलायक के सामान्य क्वथनांक पर एक अवाष्पशील विलेय के 2% जलीय विलयन का 1.004 bar वाष्प दाब है। विलेय का मोलर द्रव्यमान क्या है?
उत्तर: क्वथनांक पर शुद्ध जल का वाष्प दाब (P) = 1 atm = 1.013 bar
विलयन का वाष्प दाब(Ps)= 1.004 bar
लेय का द्रव्यमान (w2) = 2 g
विलयन का द्रव्यमान = 100 g
विलयन का द्रव्यमान = 98 g
तनु विलयनों के लिए राउल्ट के नियमानुसार,
=p-psp= n2n1+n2=n2n1
= n2n2n1n1 = (1.013 - 1.004)1.013 bar
=2 gM218 g mol-198 g m2
=218981.0130.009 g mol-1
=41.35 g mol-1
प्रश्न 11. 300 k पर जल का वाष्प दाब 12.3 k Pa है। इसमें बने अवाष्पशील विलेय के एक मोलल विलयन का वाष्प दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर: एक मोलल विलयन का तात्पर्य है कि 1 kg विलायक (जल) में विलेय का 1 molउपस्थित है।
विलेय का मोल प्रभाज
= 11+55.5
= 0.0177
अत:
p- psp= x2 अर्थात् 12.3- ps12.3
=0.0177 ps
=12.08 k Pa
प्रश्न 12. एक विलयन जिसे एक अवाष्पशील ठोस के 30 g को 90 g जल में विलीन करके बनाया गया है। उसका 298 k पर वाष्प दाब 2.8 k Pa है। विलयन में 18 g जल और मिलाया जाता है जिससे नया वाष्प दाब 298 K पर 2.9 k Pa हो जाता है। निम्नलिखित की गणना कीजिए-
(i) विलेय का मोलर द्रव्यमान
(ii) 298 K पर जल का वाष्प दाब।
उत्तर:
p- psp = w2M1w1M2
मामले में,
p- 2.82.8 = 30 189090
p- 2.92.9 = 30 18108M2=5M2 ...........(i)
समीकरण (i) तथा (ii) से,
p=3.5 k Pa , M2=23 g mol-1
प्रश्न 13. शक्कर के 5% (द्रव्यमान) जलीय विलयन का हिमांक 271 K है। यदि शुद्ध जल को हिमांक 273.15 K है तो ग्लूकोस क 5% जलीय विलयन के हिमांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
△Tf=1000Kfw2m2m
अतः
w2= 5 g , w = 100-5 = 95 g
Tf=273.15-271
= 2.15
M2=342 (शर्करा)
∴2.15 = 1000Kf534295
ग्लूकोस के लिए,
Tf=1000Kf518095
समीकरण (i) तथा (ii) से,
Tf=4.085 K हिमांक
=273.15−4.09
=269.06
प्रश्न 14. दो तत्व A एवं B मिलकर AB2 एवं AB4 सूत्र वाले दो यौगिक बनाते हैं। 20 g बेन्जीन में घोलने पर 1g AB2 हिमांक को 2.3 K अवनमित करता है, जबकि 1.0 g AB4से 1.3 K का अवनमन होता है। बेन्जीन के लिए मोलर अवनमन स्थिरांक 5.1 K kg mol-1 है। A एवं B के परमाण्वीय द्रव्यमान की गणना कीजिए।
उत्तर: AB के लिए : अणु द्रव्यमान =a+2b ( a तथा b तत्त्व A और B के परमाणु भार हैं)
AB4 के लिए : अणु द्रव्यमान = a+4b
सूत्र
△Tf = 1000Kfwm2m
AB2 के लिए,
2.3=10005.11(a+2b)20
a+2b= 110.87103 = 10005.11(a+4b)20
समीकरण (i) तथा (ii) को हल करने पर
a=25.59u,b=42.64ua=25.59u,b=42.64u
प्रश्न 15. 300 K पर 36 g प्रति लीटर सान्द्रता वाले ग्लूकोस के विलयन का परासरण दाब 4.98 bar है। यदि इसी ताप पर विलयन का परासरण दाब 1.52 bar हो तो उसकी सान्द्रता क्या होगी?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, परासरण दाब = 4.98 bar, w=36 g , V=1 L (I मामले में)
परासरण दाब =1.52 bar (II मामले में)
I के लिए,
V = MRT
4.98 1 = 36180RT
II के लिए,
1.52= CRT (c=MV)
समीकरण (i) तथा (ii) को हल करने पर,
c=0.061 mol-1
प्रश्न 16. अगर CuS का विलेयता गुणनफल 6×10-16 है तो जलीय विलयन में उसकी अधिकतम मोलरता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
जलीय विलयन में CuS की अधिकतम मोलरता= mol L-1 में CuS की विलेयता यदि = mol L-1 में CuS की विलेयता s है
CuS ⇋ Cu2+ + S2- Ksp= [Cu2+] [S2-5]= s×s=s2
S2=610-16 या
S = 610-16
= 2.4510-8 mol L-1
प्रश्न 17. नैलॉन (C19H21NO3) जो कि मॉर्फीन जैसी होती है, का उपयोग स्वापक उपभोक्ताओं द्वारा स्वापक छोड़ने से उत्पन्न लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। सामान्यतया नैलॉन की 1.5 mg खुराक दी जाती है। उपर्युक्त खुराक के लिए 1.510-3 जलीय विलयन का कितना द्रव्यमान आवश्यक होगा?
उत्तर:
विलेय का भार = 1.5 mg
= 0.0015 g,
विलेय का अणुभार = 311,
विलायक को भार =
m = विलेय का भारविलेय का अणुभार 1000
=0.00153111000
=0.001531110001.510-3
=3.2154
विलायक का भार = 3.2154 g,
विलयन का भार
= 3.2154 + 0.0015
= 3.2159 g
प्रश्न 18. बेन्जोइक अम्ल का मेथेनॉल में 0.15 m विलयन बनाने के लिए आवश्यक मात्रा की गणना कीजिए।
उत्तर:
V=250 ml
V=250 ml , m=0.15 m, विलेय का अणुभार =122 , विलेय की मात्रा=?
m=विलेय का भारविलेय का अणुभार 1000विलयन का आयतन ml में
0.15=1221000250
=0.151222501000
=4.575 g
प्रश्न 19. ऐसीटिक अम्ल, ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल एवं ट्राइफ्लुओरो ऐसीटिक अम्ल की समान मात्रा से जल के हिमांक में अवनमन इनके उपर्युक्त दिए गए क्रम में बढ़ता है। संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
हिमांक में अवनमन निम्न क्रम इस प्रकार होता है –
ऐसीटिक अम्ल < ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल< ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्लफ्लोरीन अधिक ऋणविद्युती होने के कारण उच्चतम इलेक्ट्रॉन निष्कासन प्रेरणिक पर प्रभाव डालता है। अतः ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल प्रबल अम्ल है जबकि ऐसीटिक अम्ल दुर्बलतम अम्ल है।। अतः ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल अत्यधिक आयनित होकर अधिक आयन उत्पन्न करता है जबकि ऐसीटिक अम्ल सबसे कम आयन उत्पन्न करता है। अधिक आर्यन उत्पन्न करने के कारण ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल हिमांक में अधिक अवनमन करता है एवं ऐसीटिक अम्ल सबसे कम।
प्रश्न 20. CH3 --CH2 --CHCl--COOH के 10 g को 250 g जल में मिलाने से होने वाले हिमांक का अवनमन परिकलित कीजिए। Ka=1.410-3, Kf=186 K kg mol-1)
उत्तर: CH3CH2 CHClCOOH का मोलर द्रव्यमान = 122.5 g mol-1
10gCH3CH2 CHClCOOH=10122.5mol = 8.1610-2mol
विलयन की मोललता m=8.1610-22501000
=0.3264 यदि CH3CH2 CHClCOOH की वियोजन की मात्रा a हो तब
वांट-हॉफ गुणांक की गणना
CH3CH2 CHClCOOH →CH3CH2 CHClCOO- + H+ प्रारम्भिक मोल साम्य पर मोल 1 कुल =1+ai = 1+a1= 1+a = 1+0.065=1.065
Tf=i Kfm = 1.065 1.86 0.3264
=0.649 0.65
प्रश्न 21. CH2FCOOH के 19.5 g को 500 g H2O में घोलने पर जल के हिमांक में 10C का अवनमन देखा गया। फ्लुओरोऐसीटिक अम्ल का वान्ट हॉफ गुणक तथा वियोजन स्थिरांक परिकलित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, w2=19.5 g , w1=500 g, Kf=1.86 K gmol-1 , (Tfप्रेक्षित=1.0
M2(प्रेक्षित)=1000Kfw2w1Tf
=10001.8619.55001.0
=72.54 g mol-1
CH2FCOOH के लिए M2 (परिकलित)
=14+19+45
=78 g mol-1
वांट-हॉफ गुणांक
(i)v
=7872.54
=10753
माना वियोजन की मात्रा है तो
प्रारम्भ में,
CH2FCOOH ⟶ CH2FCOO-+H+C mol l-1 00C ( 1-a) CaCa
∴ i=C(1+a)C=1+ या
=i-1=1.0753-1=0.0753
Ka=[CH2FCOO-][H+][CH2FCOOH]
=Ca. CaC(1-a)=Ca21-aलेकिन
C=19.57815001000
0.5 M
∴ Ka=Ca21-a
=(0.5)(0.0753)21-0.0753
=3.0710-3
प्रश्न 22. 100 g द्रव A (मोलर द्रव्यमान 140g mol-1) को 1000 g द्रव B (मोलर द्रव्यमान 180g mol-1 में घोला गया। शुद्ध द्रव B का वाष्प दाब 500 Torr पाया गया। शुद्ध द्रव A का वाष्प दाब तथा विलयन में उसका वाष्प दाब परिकलित कीजिए यदि विलयन का कुल वाष्प दाब 475 Torr हो।
उत्तर:pB=XB PB
=5000.8860
=443
विलयन का वाष्प दाब 475 है। अतः विलयन में,
A का वाष्प दाब
=475−443
=32 Torr
∴pA=PAxA या
32=PA×0.1139 या
PA=320.1139
=280.94 torr
प्रश्न 23. 328 K पर शुद्ध ऐसीटोन एवं क्लोरोफॉर्म के वाष्प दाब क्रमशः 741.8 mm Hg तथा 632.8 mm Hg हैं। यह मानते हुए कि संघटन के सम्पूर्ण परास में ये आदर्श विलयन बनाते हैं, P कल ,P क्लोरोफॉर्म तथा P एसीटोन को
x एसीटोन के फलन के रूप में आलेखित कीजिए। मिश्रण के विभिन्न संघटनों के प्रेक्षित प्रायोगिक आँकड़े अग्रलिखित हैं –
X ऐसीटोन | 0.0 | 0.118 | 0.234 | 0.360 | 0.508 | 0.582 | 0.645 | 0.721 |
P ऐसीटोन /mmHg | 0 | 54.9 | 110.1 | 202.4 | 322.7 | 405.9 | 454.1 | 521.1 |
P क्लोरोफॉर्म /mmHg | 632.8 | 548.1 | 469.4 | 359.7 | 257.7 | 193.6 | 161.2 | 120.7 |
P कुल | 632.8 | 603.0 | 579.5 | 562.1 | 580.4 | 599.5 | 615.3 | 641.8 |
उपर्युक्त आँकड़ों को भी उसी ग्राफ में आलेखित कीजिए और इंगित कीजिए कि क्या इसमें आदर्श विलयन से धनात्मक अथवा ऋणात्मक विचलन है?
उत्तर:
वायु के जल के साथ साम्य पर कुल दाब =10 atm.
∵ वायु में 20% ऑक्सीजन तथा 79% नाइट्रोजन आयतनानुसार उपस्थित हैं।
X ऐसीटोन | 0.0 | 0.118 | 0.234 | 0.360 | 0.508 | 0.582 | 0.645 | 0.721 |
P ऐसीटोन /mmHg | 0 | 54.9 | 110.1 | 202.4 | 322.7 | 405.9 | 454.1 | 521.1 |
P क्लोरोफॉर्म /mmHg | 632.2 | 548.1 | 469.4 | 359.7 | 257.7 | 193.6 | 161.2 | 120.7 |
P कुल | 632.8 | 603.0 | 579.5 | 562.1 | 580.4 | 599.5 | 615.3 | 641.8 |
उपर्युक्त आँकड़ों के आधार पर ग्राफ की प्रकृति निम्नलिखित निचे दी गयी है –
चूंकि p कल का ग्राफ नीचे की ओर झुका है, अत: विलयन राउल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित कर रहा है।
प्रश्न 24. वायु अनेक गैसों का मिश्रण है। 298 K पर आयतन में मुख्य घटक ऑक्सीजन और नाइट्रोजन लगभग 20% एवं 79% के अनुपात में हैं। 10वायुमण्डल दाब पर जल वायु के साथ साम्य में है। 298 K पर यदि ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के हेनरी स्थिरांक क्रमशः 3.30 X 107 mm तथा 6.51 X 107 mm हैं तो जल में इन गैसों का संघटन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
वायु के जल के साथ साम्य पर कुल दाब=10 atm.
∵ वायु में 20% ऑक्सीजन तथा 79% नाइट्रोजन आयतनानुसार उपस्थित हैं।
∴ ऑक्सीजन का आंशिक दाब
po2=2010010 atm=2 atm
=2760 mm
= 1520 mm
नाइट्रोजन का आंशिक दाब
pN2=7910010 atm=7.9 atm
KH(O2)=3.30107mm
KH(N2)=6.51107mm
हेनरी के नियमानुसार,
po2=KHO2
xo2=PO2KH
=15203.30107
=4.6110-5
pN2=KHxN2
=6004 mm6.51107mm
=9.2210-5
प्रश्न 25. यदि जल का परासरण दाब 27C पर 0.75 वायुमण्डल हो तो 2.5 लीटर जल में घुले CaCl2 (i=2.47) की मात्रा परिकलित कीजिए।
उत्तर:
=iCRT=inVRT या
n=ViRT
=0.75 atm25 l2.470.0821l atm k-1 mol-1300K
=1.87560.836
=0.0308 mol
CaCl2 का मोलर द्राव्य्मान
= 40 + 2 × 35.5
=111 g mol-1
धुली मत्रा
= 0.03080×111g
= 3.42 g