बिहार बोर्ड कक्षा 12 भौतिक विज्ञान अध्याय 13 नाभिक लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 भौतिक विज्ञान अध्याय 13 नाभिक लघु उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > भौतिक विज्ञान अध्याय 13 नाभिक

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. रेडियोऐक्टिव पदार्थ के क्षय नियतांक  को परिभाषित कीजिए। इसका अर्ध आयु के साथ सम्बन्ध बताइए। 

उत्तर:- किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ का क्षय नियतांक वह समय है जिसके पश्चात् रेडियोऐक्टिव पदार्थ में विघटन के कारण परमाणुओं की संख्या मूल मान का 1/e वाँ भाग रह जाती है।

                                                    T = 0.6931

जहाँ, T = अर्ध आयु तथा λ = क्षय नियतांक।

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2.नाभिकीय विखण्डन क्या है ? एक अभिक्रिया दीजिए। 

उत्तर:- जब किसी भारी नाभिक पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की आती है तो वह लगभग समान आकार वाले नये तत्वों के नाभिकों में विभक्त हो जाता है। इस प्रक्रिया को नाभिकीय विखण्डन कहते हैं।

इस प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विमुक्त होती है ।

                  92U235 + 0n1  56Ba141 + 36Kr92 + 30n + 200 Mev

3.नाभिकीय संलयन क्या है ? एक अभिक्रिया दीजिए। 

उत्तर:- जब दो हल्के परमाणुओं के नाभिक संयुक्त होकर नया नाभिक बनाते हैं तो इस प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विमुक्त होती है। इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं।

                              1H2+ 1H21He4 + 24MeV.

4.नाभिकीय विखण्डन और नाभिकीय संलयन में अंतर लिखिए। 

उत्तर:- नाभिकीय विखण्डन और नाभिकीय संलयन में अंतर –

नाभिकीय विखण्डन

इस प्रक्रिया में एक भारी नाभिक लगभग समान द्रव्यमान के दो नाभिकों में विभक्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया सामान्य ताप पर सम्भव है। | प्रति विखण्डन विमुक्त ऊर्जा अधिक होती है | (200 Mev)

नाभिकीय संलयन इस प्रक्रिया में दो हल्के नाभिक संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते हैं। यह प्रक्रिया अत्यधिक ताप पर ही सम्भव है। प्रति संलयन विमुक्त ऊर्जा कम होती है (24 MeV)।

5.प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा का तात्पर्य क्या है ? ड्यूट्रॉन (1H2) और α-कण (2He4) की बंधन ऊर्जा क्रमश: 1.25 और 7.2 MeV प्रति न्यूक्लिऑन है। कौन-सा नाभिक अधिक स्थायी है ? 

उत्तर:- बंधन ऊर्जा उस बाह्य ऊर्जा के बराबर होती है जो किसी नाभिक को उसके अवयवी न्यूक्लिऑनों में अपघटित करने के लिये आवश्यक होती है। नाभिक की बंधन ऊर्जा और नाभिक में न्यूक्लिऑनों की संख्या के अनुपात को प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा कहते हैं।

किसी नाभिक की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा जितनी अधिक होती है, वह उतना ही अधिक स्थायी होता है। 2He4 की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा 1H2 की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा से अधिक है। अतः 2He4 अधिक स्थायी है।

6.रेडियोऐक्टिविटी क्या है ? रेडियोऐक्टिव पदार्थों से निकलने वाली विभिन्न किरणों के नाम लिखिए।

उत्तर:- किसी पदार्थ से स्वतः ही बैकरल किरणों के निकलने की घटना को रेडियो ऐक्टिविटी कहते हैं। रेडियोऐक्टिव पदार्थ से निम्न किरणें निकलती हैं

α – किरणें,

β – किरणें और

γ – किरणें। 

7.नाभिकीय बलों के दो महत्त्वपूर्ण गुण लिखिए। 

उत्तर:-

नाभिकीय बल आकर्षण बल होते हैं।

ये बल आवेश पर निर्भर नहीं करते।

ये बल अत्यन्त लघु परास बल हैं।

ये अत्यन्त तीव्र बल हैं।

ये बल केन्द्रीय बल नहीं हैं।

8.रेडियोऐक्टिव पदार्थ के क्षय नियतांक और औसत आयु की परिभाषा लिखिए और प्रत्येक का मात्रक बताइए। 

उत्तर:- किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ का क्षय नियतांक वह समय है जिसके पश्चात् रेडियोऐक्टिव पदार्थ में विघटन के कारण परमाणुओं की संख्या मूल मान का 1/e वाँ भाग रह जाती है।

 इसका मात्रक प्रति सेकण्ड है।

औसत आयु- किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ की औसत आयु समस्त परमाणुओं के आयु के योगफल और परमाणुओं की कुल संख्या के अनुपात के बराबर होती है।

                                               औसत आयु = 1

इसका मात्रक सेकण्ड है।

9.प्रायः हल्के नाभिकों में नाभिकीय संलयन की क्रिया होती है, क्यों?

उत्तर:-हल्के नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा कम होती है। अतः जब दो हल्के नाभिक मिलकर भारी नाभिक बना लेते हैं तो प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा बढ़ जाती है।

10. दो नाभिक 3X7  और 3Y4   दिये गये हैं।

(i) क्या वे एक ही तत्व के समस्थानिक हैं, क्यों ?

(ii) दोनों में से कौन सा अधिक स्थायी है ? कारण दीजिए। 

उत्तर:- (i) हाँ, वे एक ही तत्व के समस्थानिक हैं, क्योंकि उनका परमाणु क्रमांक समान है।

(ii) नाभिक 3X7  में प्रोट्रॉनों की संख्या 3 तथा न्यूट्रॉनों की संख्या 7 – 3 = 4 है।

नाभिक 3Y4  में प्रोट्रॉनों की संख्या 3 तथा न्यूट्रॉनों की संख्या 4 – 3 = 1 है।

नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या प्रोट्रॉन-प्रोट्रॉन के बीच लगने वाले प्रतिकर्षण बल को कम कर देती है। स्पष्ट है कि नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या अधिक होने पर वह नाभिक अधिक स्थायी होगा। अत:3X7  ,3Y4   की तुलना में अधिक स्थायी है।

11.नाभिक में कौन-कौन से कण होते हैं ? ZXA  नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या क्या होगी?

उत्तर:- नाभिक में प्रोट्रॉन और न्यूट्रॉन होते हैं। 

नाभिक ZXA  में न्यूट्रॉनों की संख्या = (A-Z)।

12.-कण के उत्सर्जन के पश्चात् नाभिक में न्यूट्रॉन और प्रोटॉन का अनुपात घटता है या बढ़ता है या अपरिवर्तित रहता है ?

उत्तर:- -कण के उत्सर्जन के पश्चात् नाभिक में न्यूट्रॉन और प्रोटॉन का अनुपात बढ़ता है, क्योंकि -कण के उत्सर्जन के पश्चात् प्रोटॉनों की संख्या 2 से कम हो जाती है।

13.नाभिकीय संलयन अभी तक पृथ्वी पर एक प्रायोगिक तथा नियंत्रित ऊर्जा स्रोत के रूप में क्यों प्रयुक्त नहीं हुआ है ?

उत्तर:- नाभिकीय संलयन बहुत उच्च ताप पर संभव है। बहुत अधिक ताप पर होने के कारण इनका नियंत्रण संभव नहीं है।

14.नाभिकीय विखंडन के लिए केवल न्यूट्रॉन ही उपयुक्त होता है। क्यों ?

उत्तर:- न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता। अत: वह नाभिक के धनावेश से विक्षेपित नहीं होता। इस प्रकार न्यूट्रॉन नाभिक में सफलतापूर्वक प्रवेश कर सकता है।

15.स्पष्ट कीजिए कि गामा किरणों की वेधन क्षमता अधिक होती है जबकि ऐल्फा किरणों की आयनीकरण क्षमता अधिक होती है।

उत्तर:- गामा किरणें विद्युत चुंबकीय तरंगें हैं। इनका वेग प्रकाश के वेग के बराबर होता है। अतः ये किरणे पदार्थ में अधिक अंदर तक प्रवेश कर जाती हैं। अतः इनकी वेधन क्षमता अधिक होती है। परंतु ऐल्फा किरणों का द्रव्यमान अधिक होता है, अतः गतिज ऊर्जा भी अधिक होती है। फलस्वरूप आयनीकरण क्षमता अधिक होती है।

16.नाभिक की त्रिज्या उसकी द्रव्यमान संख्या से किस प्रकार संबंधित है ? 

उत्तर:- नाभिक की त्रिज्या उसकी द्रव्यमान संख्या में सम्बन्ध 

                                                R = R0A13

17.β – कण, α – कण की तुलना में अधिक वेधन क्षमता रखते हैं जबकि इनकी किसी गैस के आयनीकरण की क्षमता कम होती है। ऐसा क्यों ?

उत्तर:- β – कणों का आकार छोटा तथा वेग अधिक होने के कारण इन कणों की α – कणों की तुलना में वेधन क्षमता अधिक होती है। साथ ही आकार छोटा और वेग अधिक होने के कारण गैस के अणुओं से टकराने की संभावना कम हो जाती है। अतः α – कणों की तुलना में β-कणों की आयनीकरण क्षमता कम होती है।

18.नाभिकीय रियेक्टर में भारी जल एक उपयुक्त मन्दक है। क्यों ?

उत्तर:- भारी जल के नाभिक का द्रव्यमान न्यूट्रॉन के द्रव्यमान की कोटि का होता है। अत: न्यूट्रॉन भारी जल से टकराकर मन्द हो जाते हैं।

19. XA से प्रदर्शित एक परमाणुn, α – कण उत्सर्जित करता है। कितने प्रोटॉन शेष रहेंगे तथा नये परमाणु का परमाणु क्रमांक क्या होगा?

 उत्तर:- एक α – कण में 2 प्रोटॉन होते हैं । अत: n, α – कण निकलने से 2n प्रोटॉन कम हो जायेंगे।

∴ शेष प्रोटॉनों की संख्या = Z – 2n.

परमाणु क्रमांक = Y – 2n

20.भारी नाभिक में प्रोटॉनों की अपेक्षा न्यूट्रॉनों की संख्या अधिक होती है, क्यों ?

उत्तर:- भारी नाभिक के स्थायित्व को बनाये रखने के लिए न्यूट्रॉनों की अधिक संख्या की जरूरत होती है। यदि प्रोटॉनों की संख्या भी अधिक हो जाय तो उनके बीच स्थिर वैद्युत प्रतिकर्षण बल भी अधिक हो जायेगा। इसलिए इस प्रकार का नाभिक अस्थायी होगा।

21.तापीय न्यूट्रॉन क्या हैं ? 

उत्तर:- नाभिकीय विखण्डन की नियंत्रित श्रृंखला में तीव्रगामी न्यूट्रॉनों को मंदकों की सहायता से मन्दित किया जाता है। इन मन्दगामी न्यूट्रॉनों को तापीय न्यूट्रॉन कहते हैं।

22. 10 मिलीग्राम के तुल्य ऊर्जा कितनी होगी? 

उत्तर:-

                     E = mc2 = 10 × 10-6 × (3 × 108 )2

                                  = 9 × 1011 जूल।

23. यदि रेडियोऐक्टिव पदार्थ से निकलने वाली α, β और γ किरणों के मार्ग में एक कागज की शीट रख दी जाये तो किसके रुक जाने की अधिक संभावना है ?

उत्तर :- यदि रेडियोऐक्टिव पदार्थ से निकलने वाली α, β और γ किरणों के मार्ग में एक कागज की शीट रख दी जाये तो α – किरणों के रोके जाने की अधिक संभावना है, क्योंकि उनका द्रव्यमान अधिक होता है।

24.β – किरणें नाभिक से निकलती हैं। ये किरणें तीव्रगामी इलेक्ट्रॉनों से मिलकर बनी होती हैं। परंतु नाभिक में इलेक्ट्रॉन नहीं होते। फिर ऐसा कैसे होता है ?

उत्तर:- नाभिक में इलेक्ट्रॉन नहीं होते। वास्तव में नाभिक में न्यूट्रॉन के प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन में विघटन के कारण B-कण उत्पन्न होते हैं।

                                       n             p    +   e- 

                                    (न्यूट्रॉन)   (प्रोटॉन)     (इलेक्ट्रॉन)

या                 

                                         0n1  1H1 + -1e0

25. α – कणों के प्रकीर्णन सम्बन्धी रदरफोर्ड का प्रयोग नाभिक का साइज ज्ञात करने में किस प्रकार सहायक है ? व्याख्या कीजिए। 

उत्तर:- परमाणु के अन्दर नाभिक में सम्पूर्ण धनावेश केन्द्रित होता है। -कणों में धनावेश होता है। अतः जब -कण नाभिक के पास आता है तो उस पर प्रतिकर्षण बल लगता है। ज्यों-ज्यों -कण नाभिक के स्थिर विद्युत्-क्षेत्र में नाभिक के नजदीक पहुँचता जाता है, प्रतिकर्षण बल के कारण उसकी गति मंद होती जाती है। फलस्वरूप उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ती जाती है और गतिज ऊर्जा कम होती चली जाती है। जब a-कण विरामावस्था में आ जाता है तो उसकी सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।

नाभिक से वह कम से कम दूरी, जहाँ तक -कण पहुँच सकता है, निकटतम पहुँच की दूरी कहलाती है। यही निकटतम पहुँच की दूरी नाभिक की त्रिज्या के बराबर होती है।