बिहार बोर्ड कक्षा 12 भौतिक विज्ञान अध्याय 2 स्थिरवैधुत विभव तथा धारिता लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 भौतिक विज्ञान अध्याय 2 स्थिरवैधुत विभव तथा धारिता लघु उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > भौतिक विज्ञान अध्याय 2 स्थिरवैधुत विभव तथा धारिता

लघु उत्तरीय प्रश्न 

1. समविभवी तल से क्या समझते हैं ?

उत्तर:- विद्युत क्षेत्र में समविभवी तल एक ऐसा तल है जिसके सभी बिन्दुओं पर विद्युत विभव का मान समान होता है।

समविभवी तल में धन आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य शून्य होता है।

समविभवी तल में प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा तल के लम्बवत् होती है।

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2. विद्युत विभवान्तर तथा विद्युत विभव क्या है ?

उत्तर:-

 विद्युत विभवान्तर – विद्युत क्षेत्र में एकांक धनावेश को साम्य में रखते हुए, एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक उसकी तीव्रता के विरुद्ध ले जाने में संपादित कार्य को उन बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर कहते हैं। विद्युत विभवान्तर ∆V=W/q0 होता है, जहाँ W संपादित कार्य है।

आवेश q0 मुक्त राशि पद में विद्युत क्षेत्र का वर्णन करने के लिए इसकी धारणा का प्रचलन हुआ। विभवान्तर का मात्रक वोल्ट है।

विद्युत विभव – विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर अनन्त से एकांक धनावेश को लाने में संपादित कार्य को उस बिन्दु पर विद्युत विभव कहते हैं।

क्योंकि विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर निरपेक्ष विभव के लिए किसी बिन्दु को निर्देश या मानक बिन्दु माना जाता है। इसको अनन्त पर माना जाता है जिसका विभव शून्य मानते हैं, क्योंकि आवेश विन्यास अनन्त पर शून्य क्षेत्र उत्पन्न करता है। अतः बिन्दु A के अनन्त होने पर B बिन्दु पर विद्युत विभव ∆V=W/q0  है। विद्युत विभव का मात्रक भी जूल/कूलम्ब = वोल्ट होता है।

3. संधारित्र क्या है ? इसकी धारिता से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर:-

 संधारित्र – यह ऐसी व्यवस्था है जिसमें विद्युत ऊर्जा को संचित किया जाता है, जिससे उसके आकार या क्षेत्रफल में परिवर्तन के बिना ही उसकी धारिता घटायी या बढ़ायी जाती है।

धारिता – “किसी चालक की धारिता आवेश का वह परिमाण है जो उसके विभव को इकाई से बढ़ा देता है।”

अथवा, “किसी चालक की धारिता, आवेश तथा विभवान्तर का अनुपात होता है।”

धारिता = आवेश/विभवान्तर

जब किसी चालक में आवेश दिया जाता है तो उसका विभव उसमें दिये गये आवेश के परिमाण के समानुपाती बढ़ जाता है।

माना कि q आवेश के परिमाण चालक को दिया गया है, जिससे उसमें V विभव बढ़ता है तो q α V

या,             q = CV,

जहाँ C एक चालक का स्थिरांक है, जो आकार, रूप तथा घिरे हुए माध्यम पर निर्भर करता है तथा चालक की धारिता कहलाता है।

4. परावैद्युत पदार्थ से आप क्या समझते हैं ? अथवा, संधारित्र में परावैद्युत का क्या कार्य है ?

उत्तर:-

 परावैद्युत पदार्थ – वैसे पदार्थ परावैद्युत कहलाते हैं, जिन्हें संधारित्र की प्लेटों के बीच रखने पर उन प्लेटों के बीच विभवान्तर का मान कम होता है अर्थात् उसकी धारिता बढ़ जाती है । परावैद्युत पदार्थ विद्युत विरोधी होता है। जैसे-काँच, अभ्रक, पैराफिन, मोम, तेल आदि।

5. (a) आवेशित चालक के पृष्ठ पर वैद्युत क्षेत्र असतत होता है। क्या वहाँ वैद्युत विभव की असतत होगा ?

(b) किसी एकल चालक की धारिता से आपका क्या अभिप्राय है ?

(c) एक संभावित उत्तर की कल्पना कीजिए कि पानी का परावैद्युतांक (= 80) अभ्रक के परावैद्युतांक (= 6) से अधिक क्यों होता है ?

उत्तर:-

(a) आवेशित चालक के पृष्ठ पर वैद्युत विभव सतत होगा।

(b) एकल चालक पर संघारित्र है जिसका दूसरा प्लेट अनंत पर है।

(c) पानी के अणु ध्रुवीय होते हैं जबकि अभ्रक के अध्रुवीय, पानी के अणुओं में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण है। अतः पानी का परावैद्युतांक अभ्रक आदि के परावैद्युतांक से कहीं अधिक होता है।

6. निम्नलिखित में संगत समविभवी पृष्ठ को लिखें

(a) Z-दिशा में अचर वैद्युत क्षेत्र

(b) एक क्षेत्र जो समान रूप से बढ़ता है परन्तु एक ही दिशा (मान लीजिए Z-दिशा) में रहता है।

(c) मूल बिन्दु पर कोई एकल धनावेश और

(d) एक समतल में समान दूरी पर समांतर लम्बे आवेशित तारों से बने एकसमान जाल।

उत्तर:-

 (a) X-Y तल के समांतर पृष्ठ ।

(b) समविभवी तल X-Y तल के समांतर होता है किन्तु ये एक-दूसरे के समीप होते हैं जब क्षेत्र बढ़ता है।

(c) सकेन्द्री गोले का केन्द्र मूल बिन्दु पर।

(d) ग्रीड के अतिसमीप विद्युत क्षेत्र असमान होने से समविभवी सतह बदलते हुए आकृति का होता है। ग्रीड से बहुत दूर विद्युत क्षेत्र समरूप और तल के समान्तर होता है। अतः समविभवी तल ग्रीड के तल के समांतर होती है।

7.  r1 त्रिज्या तथा q1आवेश वाला एक छोटा गोला  r2त्रिज्या और q2आवेश के गोली खोल (कोश) से घिरा है। दर्शाइए यदि q1धनात्मक है तो (जब दोनों को एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है) आवश्यक रूप से आवेश, गोले से खोल की तरफ ही प्रवाहित होगा, चाहे खोल पर आवेश q2कुछ भी हो।

उत्तर: – हम जानते हैं कि किसी चालक का सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर रहता है; अतः जैसे ही दोनों गोलों को चालक तार द्वारा जोड़ा जाएगा वैसे ही अन्दर वाले छोटे गोले को सम्पूर्ण आवेश तार से होकर बाहरी खोल की ओर प्रवाहित हो जाएगा, चाहे खोल पर आवेश q2कुछ भी क्यों न हो।

8.एक आवेशित संधारित्र एवं एक वैद्युत सेल में मूल अन्तर क्या है? 

उत्तर: – आवेशित संधारित्र में वैद्युत आवेश संग्रहीत रहता है, जबकि वैद्युत सेल में वैद्युत आवेश का प्रवाह होता है।

9.दो वैद्युत बल रेखाएँ क्यों एक-दूसरे को काट नहीं सकती हैं? क्या दो समविभव सतह काट सकती हैं? 

उत्तर: – कोई भी दो वैद्युत् क्षेत्र रेखाएँ परस्पर एक-दूसरे को काट नहीं सकती हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में कटान बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाए जा सकती हैं जो एक ही बिन्द पर वैद्यत क्षेत्र की दो दिशाओं का प्रदर्शित  करेंगी जो सम्भव नहीं है। दो समविभव सतह भी काट नहीं सकती हैं क्योंकि कटान बिन्द पर विभव के दो मान होंगे जोकि असम्भव हैं

10.समान्तर प्लेट संधारित्र में दूसरी प्लेट का क्या कार्य है? 

उत्तर :– संधारित्र की दूसरी प्लेट पहली प्लेट को दिये गये आवेश की प्रकृति के विपरीत प्रकृति के आवेश से आवेशित होकर (स्थिर वैद्युत प्रेरणा द्वारा) पहली प्लेट के विभव को कम कर देती है जिससे कि प्लेटों के बीच विभवान्तर कम हो जाता है जिसके फलस्वरूप संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है अर्थात् पहली प्लेट पर और आवेश संग्रहित किया जा सकता है।

11.संघारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले दो कारक को लिखें-

उत्तर: – संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले दो कारक इस प्रकार है-

(i) प्लेट का क्षेत्र            

(ii) प्लेटों के बीच की दूरी 

12.स्थिर वैद्युत परिरक्षणं  क्या है? इसके एक जीवन उपयोगी उपयोग को लिखिए।

उत्तर: – स्थिर वैद्युत परिरक्षण किसी खोखले अथवा ठोस आवेशित चाल को दिया गया आवेश उसके पृष्ठ पर ही रहता है। अतः इसके वैद्युत क्षेत्र की वैद्युत बल रेखाएँ चालक के अन्दर प्रवेश नहीं करती हैं। अतः किसी वैद्युत उपकरण को बाह्य वैद्युत क्षेत्र के प्रभाव से बचाने के लिए इसको गोलीय खोखले चालक के अन्दर रखा जाता है। बाह्य वैद्युत क्षेत्र की वैद्युत बल रेखाएँ चालक के पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर होगा, इसके अन्दर प्रवेश नहीं करेंगी। अतः वैद्युत उपकरण सुरक्षित रहेगा। यह प्रक्रिया विद्युत् परिरक्षण कहलाती है। 

व्यावहारिक उपयोग :- इस सिद्धान्त के आधार पर ही वर्षा के समय बादलों के घर्षण से उत्पन्न तीव्र वैद्युत से बचने के लिए किसी कार में बैठा व्यक्ति कार की खिड़कियों को बन्द कर लेता है। अतः इस प्रकार चालक कार एक खोखले चालक कोश की भाँति व्यवहार कर उस व्यक्ति को वैद्युत के प्रभाव से बचाये रखता है।

13.परावैद्युत पदार्थ क्या है? 

उत्तर :– परावैद्युत पदार्थ वह पदार्थ होता है जिसके अन्दर सभी परमाणुओं में उनके सभी इलेक्ट्रॉन नाभिक के आकर्षण बल से दृढ़तापूर्वक बँधे रहते हैं। अतः ऐसे पदार्थों में वैद्युत चालन के लिए कोई भी मुक्त इलेक्ट्रॉन उपलब्ध नहीं होता अथवा मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या नगण्य होती है। अतः परावैद्युत पदार्थ वे पदार्थ हैं जिनमें होकर वैद्युत प्रवाह नहीं होता। फिर भी यदि कोई वैद्युत-क्षेत्र किसी परावैद्युत पदार्थ पर आरोपित  किया जाता है तो परावैद्युत पदार्थ के पृष्ठों पर प्रेरित आवेश उत्पन्न हो जाता है। अतः परावैद्युत पदार्थ वे कुचालक (insulator) पदार्थ हैं जिनमें वैद्युत प्रभाव (electric effects) बिना वैद्युत चालन के संचरित होते हैं।” किसी वैद्युत चालक के किसी बिन्दु पर दिया गया आवेश उसकी पूरी सतह पर शीघ्रता से फैल जाता है, जबकि किसी परावैद्युत के किसी बिन्दु पर दिया गया आवेश उसी के निकटवर्ती क्षेत्र में स्थिर रहता है। उदाहरण-काँच, रबर, प्लास्टिक, ऐबोनाइट, माइका, मोम, कागज, लकड़ी आदि।

14.किसी परावैद्युत पदार्थ के वैद्युत ध्रुवण से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: – द्युत धुवण- किसी परावैद्युत अथवा विद्युतरोधी को बाह्य वैद्युत क्षेत्र में रखने पर इसके धन व ऋण आवेशों के केन्द्र पृथक्-पृथक् हो जाते हैं, जिससे इनमें वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण प्रेरित हो जाते हैं। ऐसे परावैद्युत को ध्रुवित होना कहते हैं तथा इस घटना को वैद्युत ध्रुवण कहते हैं।

15.संधारित्रों में परावैद्युत के उपयोग से धारिता क्यों बढ़ जाती है? 

या

किसी संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत पदार्थ भरने पर इसकी धारिता पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

उत्तर: – संधारित्रों की प्लेटों के बीच परावैद्युत भरने से इसके अन्दर प्लेटों के बीच उपस्थित वैद्युत-क्षेत्र के विपरीत दिशा में एक आन्तरिक वैद्युत-क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है, जो इसकी सतह पर प्लेटों के विपरीत आवेश के प्रेरित होने से उत्पन्न होता है। अतः प्लेटों के बीच विभवान्तर घट जाता है, जिसके परिणामस्वरूप धारिता बढ़ जाती है।

16.परावैद्युत सामर्थ्य एवं भंजक विभवान्तर को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :–

 परावैद्युत सामर्थ्य- परावैद्युत पर आरोपित वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता का वह अधिकतम मान जिसको परावैद्युत बिना परावैद्युत भंजन के सहन कर सकता है, परावैद्युत की परावैद्युत सामर्थ्य कहलाती है।

भंजक विभवान्तर- किसी परावैद्युत पदार्थ के भंजक हुए बिना उसके दोनों सिरों के बीच लगाए गए वैद्युत विभवान्तर के अधिकतम मान को उस परावैद्युत का भंजक विभवान्तर कहते हैं।

17.दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 50 V है। एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक 2 x10-5कूलॉम आवेश को ले जाने पर कितना कार्य करना होगा ? 

उत्तर: – कार्य (W) = आवेश x विभवान्तर

                   W = 2 x 10-5 कूलॉम x 50 वोल्ट 

                   W= 10-3 जूल

18.इलेक्ट्रॉन वोल्ट से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:- एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट उर्जा होती है जो कि कोई इलेक्ट्रॉन वोल्ट विभवांतर द्वारा त्वरित होने पर अर्जित करता है। इलेक्ट्रॉन वोल्ट को eV से प्रदर्शित करते हैं।

             1इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV)=1.6×10-19

19. 6 सेमी की दूरी पर अवस्थित दो बिन्दुओं A एवं B पर दो आवेश 2 माइक्रोकूलॉम तथा – 2माइक्रोकूलॉम रखे हैं।

(a) निकाय के सम विभव पृष्ठ की पहचान कीजिए।

(b) इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा क्या है?

उत्तर :-

(a) चूँकि दोनों वेश समान परिमाण के परन्तु विपरीत चिह्न के हैं। अतः समविभव पृष्ठ दोना आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के लम्बवत् होगा तथा उसके मध्य-बिन्दु से जाएगा।

(b) विद्युत क्षेत्र की दिशा समविभव पृष्ठ के लम्बवत् धनावेश से ऋणावेश की ओर (AB की दिशा में) होगी।

20.आन्तरिक त्रिज्याr1 तथा बाह्य त्रिज्याr2वाले एक गोलीय चालक खोल में क्या किसी कोटर (जो आवेशविहीन है) में विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, चाहे खोल गोलीय न होकर किसी भी अनियमित आकार का हो? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :-  हाँ, यदि कोटर आवेशविहीन है तो उसके अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

इसके विपरीत कल्पना करें कि किसी चालक के भीतर एक अनियमित आकृति का आवेशविहीन कोटर है जिसके भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है। अब एक ऐसे बन्द लूप पर विचार करें जिसका कुछ भाग कोटर के भीतर क्षेत्र रेखाओं के समान्तर है तथा शेष भाग कोटर से बाहर परन्तु चालक के भीतर है। चूँकि चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य है। अत: यदि एकांक आवेश को इस बन्द लूप के अनुदिश ले जाया जाए तो क्षेत्र द्वारा किया गया नैट कार्य प्राप्त होगा। परन्तु यह स्थिति स्थिर विद्युत क्षेत्र के लिए सत्य नहीं है (बन्द लूप पर नैट कार्य शून्य होता है)। अत: हमारी परिकल्पना कि कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है, गलत है।

अर्थात् चालक के भीतर आवेशविहीन कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

21.आवेश के गोलीय खोल (कोश) से घिरा है। दर्शाइए यदिq1धनात्मक है तो (जब दोनों को एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है) आवश्यक रूप से आवेश, गोले से खोल की तरफ ही प्रवाहित होगा, चाहे खोल पर आवेशq2 कुछ भी हो।

उत्तर :- हम जानते हैं कि किसी चालक का सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर रहता है; अत: जैसे ही दोनों गोलों को चालक तार द्वारा जोड़ा जाएगा वैसे ही अन्दर वाले छोटे गोले का सम्पूर्ण आवेश तार से होकर बाहरी खोल की ओर प्रवाहित हो जाएगा, चाहे खोल पर आवेशq2 कुछ भी क्यों न हो।

22.निम्न का उत्तर दीजिए :

(a) पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष वायुमण्डल की ऊपर परत लगभग 400 किलोवोल्ट पर है, जिसके संगत विद्युतक्षेत्र ऊँचाई बढ़ने के साथ कम होता है। पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष विद्युत क्षेत्र लगभग 100Vm-1 है। तब फिर जब हम घर से बाहर खुले में जाते हैं तो हमें विद्युत आघात क्यों नहीं लगता? (घर को लोहे का पिंजरा मान लीजिए; अतः उसके अन्दर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं है।)

(b) एक व्यक्ति शाम के समय अपने घर के बाहर 2 मीटर ऊँचा अवरोधी पट्ट रखता है जिसके शिखर पर एक 1 मीटर क्षेत्रफल की बड़ी ऐलुमिनियम की चादर है। अगली सुबह वह यदि धातु की चादर को छूता है तो क्या उसे विद्युत आघात लगेगा?

उत्तर :-

(a) हमारा शरीर तथा पृथ्वी के समान विभव पर रहने के कारण हमारे शरीर से होकर कोई विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती इसीलिए हमें कोई विद्युत आघात नहीं लगता।

(b) हाँ, पृथ्वी तथा ऐलुमिनियम की चादर मिलकर एक संधारित्र बनाती हैं तथा अवरोधी पट्ट पराविद्युत का कार्य करता है। ऐलुमिनियम की चादर वायुमण्डलीय आवेश के लगातार गिरते रहने से आवेशित होती रहती है और उच्च विभव प्राप्त कर लेती है; अतः जब व्यक्ति इस चादर को छूता है तो उसके शरीर से होकर एक विद्युत धारा प्रवाहित होती है और इस कारण उस व्यक्ति को विद्युत आघात लगेगा।

23. 12pF का एक संधारित्र 50  V की बैटरी से जुड़ा है। संधारित्र में कितनी स्थिर विद्युत ऊर्जा संचित होगी?

उत्तर:-  यहाँ C = 12 p F = 12 x10-12फैरड; V = 50 वोल्ट

अत: स्थिर वैद्युत ऊर्जा

                      U = 12 CV²

                      U= 12 (12 x10-12) x (50)² जूल

                      U= 1.50 x 10-8 जूल

24.किसी खोखले आवेशित चालक के भीतर स्थिर वैद्युत विभव प्रत्येक बिंदु पर समान क्यों होना चाहिए?

उत्तर:-खोखले चार्ज कंडक्टर के अंदर, विद्युत क्षेत्र शून्य है इसलिए कंडक्टर के भीतर एक छोटे परीक्षण चार्ज को स्थानांतरित करने में कोई काम नहीं किया जाता है। अतः एक खोखले आवेशित चालक के भीतर स्थिर वैद्युत विभव प्रत्येक बिंदु पर समान होता है।

25. 500 µC आवेश 10 सेमी भुजा वाले एक वर्ग के केंद्र में है। वर्ग पर दो तिरछे विपरीत बिंदुओं के बीच 10 µC के आवेश को ले जाने में किया गया कार्य ज्ञात कीजिए। 

उत्तर:– वर्ग पर दो तिरछे विपरीत बिंदुओं के बीच 10 µC के आवेश को ले जाने में किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि ये दोनों बिंदु समविभव पर होंगे।